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ड्रूज लोग कौन हैं, जिनके लिए इजरायल ने सीरिया पर धड़ाधड़ बम बरसा दिए

Israel Syria Conflict Druze Community: सीरिया के स्वेदा में सरकारी सेना और ड्रूज लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इसके बाद इजरायल ने सीरिया के कई ठिकानों पर हमले किए हैं. पूरा मामला विस्तार से जानते हैंः

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इजरायल ने सीरिया पर खूब बमबारी की है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
17 जुलाई 2025 (Published: 07:29 PM IST) कॉमेंट्स
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सीरिया (Syria) के दक्षिणी छोर पर स्वेदा (Sweida) नाम का राज्य है, जहां ड्रूज समुदाय (Druze Community) की बड़ी आबादी रहती है. ड्रूज इस्लाम से ही निकली एक शाखा है, जिसकी अपनी अलग धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हैं. ये न पूरी तरह से इस्लामी हैं, न यहूदी और न ही ईसाई. सीरिया में 14 साल तक चले गृहयुद्ध के दौरान इन लोगों ने अपनी एक छोटी-मोटी ‘सेना’ (मिलिशिया) बना रखी थी. 

बीते दिनों इन ड्रूज लड़ाकों की एक स्थानीय सुन्नी संगठन के साथ झड़प हो गई, जिसे शांत करने के लिए सीरिया की सरकारी सेना को इलाके में भेजा गया. शांति बहाल करने आई सेना यहां ड्रूज लड़ाकों से ही भिड़ गई. दोनों में जमकर झड़प हुई. अब ड्रूज लोगों की रक्षा करने के नाम पर इजरायल इस संघर्ष में कूद पड़ा है. सीरिया पर उसने कई हमले किए हैं और कहा है कि ड्रूज लोगों पर किसी तरह के संकट पर इजरायल और तेज हमले करेगा. 

अब सवाल है कि ड्रूज लोगों के साथ इजरायल का क्या संबंध है, जिनके लिए वह सीरिया से सीधी जंग में कूद गया? इसका जवाब जानेंगे लेकिन सबसे पहले ड्रूज समुदाय के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.

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सीरिया में ड्रूज समुदाय के लोग स्वेदा में रहते हैं (फोटोः Google Map)
कौन होते हैं ड्रूज, कहां रहते हैं?

DW की रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया में 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी सुन्नी मुसलमानों की है. शिया, अलावी जैसे मुसलमान 13 फीसदी हैं. इसके अलावा ‘इस्लाम जैसे दिखने वाले’ कई छोटे-छोटे जातीय समूह के लोग भी यहां रहते हैं. उन्हीं में से एक होते हैं ‘ड्रूज’. ये इस्लाम की शिया शाखा से निकले हैं लेकिन इन्हें पक्के तौर पर मुसलमान नहीं कह सकते. 

अरबी बोलने वाले ड्रूज समुदाय का उदय 11वीं सदी में मिस्र यानी इजिप्ट से माना जाता है. शिया विचारधारा से विकसित होने के बावजूद इस समुदाय के रीति-रिवाजों में हिंदू, ईसाई और यहूदी धर्म समेत कई प्राचीन दर्शन का अंश देखने को मिलता है. 

ड्रूज लोग पुनर्जन्म में भी भरोसा करते हैं, जबकि इस्लाम में पुनर्जन्म की अवधारणा नहीं है. ड्रूज धर्म में न तो कोई धर्म-परिवर्तन कर सकता है और न ही किसी दूसरे धर्म से शादी कर सकता है.

सीरिया के अलावा लेबनान और इजरायल में भी इनकी अच्छी-खासी संख्या है. पूरी दुनिया में कुल 10 लाख ड्रूज बताए जाते हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा सीरिया में रहते हैं. यहां की कुल आबादी का 3 प्रतिशत. 

इजरायल के गोलन हाइट्स में करीब डेढ़ लाख ड्रूज रहते हैं. गोलन हाइट्स 1967 से पहले सीरिया का हिस्सा था लेकिन बाद में इजरायल ने इस पर कब्जा कर लिया. सीरिया से इजरायल के मौजूदा संघर्ष का कनेक्शन इन्हीं इजरायली ड्रूज लोगों से जुड़ता है. लेकिन कैसे? आगे ये भी जानेंगे. पहले ये जान लेते हैं

ये संघर्ष शुरू कैसे हुआ?

स्वेदा में ड्रूज लोगों के अलावा बेडौइन जनजाति के लोग भी रहते हैं. ये सुन्नी मुस्लिम होते हैं लेकिन इनकी जनजातीय परंपराएं इस्लामी परंपराओं में मिक्स होती हैं. इलाके में प्रभाव जमाने के लिए ड्रूज लोगों के साथ इनकी प्रतिस्पर्धा कई बाहर हिंसक झड़पों में बदल जाती है. असोसिएटेड प्रेस ने ब्रिटेन की युद्ध निगरानी संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के हवाले से बताया कि बेडोइन समुदाय के कुछ लोगों ने इलाके में एक जांच चौकी बनाई थी. यहां पर उन्होंने एक ड्रूज व्यक्ति पर हमला किया और उसे लूट लिया. 

इसके बाद ड्रूज लड़ाकों ने बदला लेने का फैसला किया. लिहाजा, इलाके में अपहरण और झड़प की कई घटनाएं हुईं. दोनों पक्षों में इस विवाद को शांत करने के लिए सीरिया की सरकारी सेना को स्वेदा भेजा गया. लेकिन, शांति बहाली की बजाय सेना यहां ड्रूज लड़कों से ही लड़ बैठी.

आरोप लगा कि सरकारी सुरक्षा बलों के लोग व्यवस्था बहाल करने की बजाय ड्रूज गुटों के खिलाफ बेडोइन जनजातियों का पक्ष लेने लगे. सरकारी सेना ड्रूज नागरिकों के घर जलाने और उन्हें लूटने लगी. ड्रूज पुरुषों की जबरन मूंछें मुंडवाकर उन्हें अपमानित करने के वीडियो और रिपोर्टें भी सामने आईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वीडियो में ड्रूज शख्स ने अपने भाई की लाश दिखाई, जिसे घर के अंदर सिर में गोली मारी गई थी.

इन सबको देखते हुए ड्रूज धर्मगुरु हिकमत अल-हिजरी ने एक वीडियो जारी कर दुनिया से मदद मांगी. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि सीरिया की सरकार और उसके साथियों ने उन पर जो हमला किया है, वह बर्बरता की इंतेहा है. उन्हें खत्म करने की कोशिश की जा रही है. इस अपील ने इजरायल का ध्यान खींचा.

इसके बाद ही इजरायल इस संघर्ष में कूद पड़ा.

चूंकि इजरायल सीरिया का पड़ोसी है, ऐसे में वहां की किसी घटना का उस पर असर होना स्वाभाविक है. बात ड्रूज लोगों की हो तो इसमें इजरायल का अपना हित भी है. सीरिया में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही वह पड़ोसी देश के सीमावर्ती इलाकों में मौजूद ड्रूज लोगों से पींगे बढ़ा रहा है. 

ड्रूज लोगों के बारे में कहा जाता है कि वह अपने देश के प्रति बहुत वफादार होते हैं. CNN के मुताबिक, इजरायल के कब्जे वाले गोलन हाइट्स में जो ड्रूज रहते हैं, वह इजरायल की सेना में भी शामिल होते हैं. इजरायल के बाकी अल्पसंख्यकों से अलग ड्रूज समुदाय के 18 साल से ऊपर के पुरुषों को 1957 से ही सेना में भर्ती किया जाता रहा है. इनमें से कई लोग सेना में ऊंचे पदों तक पहुंचते हैं और कई पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों में भी करियर बनाते हैं.

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सीरिया के स्वेदा में इजरायल ने कई हमले किए (फोटोः India Today)

कुल मिलाकर ड्रूज लोगों का इजरायल के साथ ‘गहरा नाता’ है.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार 15 जुलाई को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के दफ्तर से कहा गया कि हम अपने ड्रूज नागरिकों और सीरिया में रह रहे उनके रिश्तेदारों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध हैं. इजरायल ने पहले भी सीरिया के दक्षिणी हिस्से में एकतरफा रूप से ‘गैर-सैन्य जोन’ (demilitarized zone) घोषित कर रखा है. इस जोन में सीरिया सरकार को किसी भी तरह की सेना या हथियार लाना मना है.

स्वेदा में सीरिया सेना के प्रवेश और उनके ड्रूज लोगों से हालिया संघर्ष के बाद इजरायल ने इस लड़ाई में सीधी एंट्री ले ली. उसने सीरियाई सरकारी बलों पर हवाई हमले किए. ये हमले उन सीरियाई सैनिकों पर थे जो स्वेदा की ओर बढ़ रहे थे. इजरायल ने कहा कि जब तक ड्रूज सुरक्षित नहीं होते, वह सीरिया पर हमले करता रहेगा. 

इजरायल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने कहा, 

अगर सीरियाई सेना स्वेदा से पीछे नहीं हटती तो इजरायल हमले और तेज करेगा. सीरियाई सरकार को ड्रूज लोगों को अकेला छोड़ देना चाहिए और अपनी सेना वहां से हटा लेनी चाहिए, नहीं तो हमले जारी रहेंगे.

ये कहने के बाद इजरायल ने बुधवार को हमला और बढ़ा दिया. उसने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय की इमारत और राष्ट्रपति भवन के पास के इलाके पर हवाई हमले किए. 

सीरिया ने पीछे हटा ली सेना

इसी बीच, गुरुवार, 17 जुलाई को अमेरिका से बातचीत के बाद सीरियाई सरकार ने अपनी सेना को स्वेदा से पीछे हटाने पर सहमति दे दी. उन्होंने ड्रूज लड़ाकों के साथ एक नया युद्धविराम (ceasefire) फाइनल किया है. सीरियाई नेता अहमद अल-शरा ने गुरुवार को कहा कि उनके सामने दो ही रास्ते थे. या तो इजरायल से सीधी जंग लड़ी जाए या फिर ड्रूज धर्मगुरुओं को समझाकर उन्हें राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने के लिए मनाया जाए. शरा ने कहा कि सीरिया युद्ध से नहीं डरता लेकिन हमने वो रास्ता चुना है जो सीरिया के लोगों के लिए सही है.

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सीरिया के राष्ट्रपति ने स्वेदा से सेना हटा ली (India Today)
ड्रूज लोगों से सीरिया की सरकार का क्या विवाद है?

स्वेदा में रहने वाले ड्रूज लोगों ने सत्ता परिवर्तन के बाद सीरिया की नई सरकार को समर्थन नहीं दिया था. वह नए सत्ताधीश अहमद अल-शरा के उस आश्वासन पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह देश के अल्पसंख्यकों की रक्षा करेंगे. इसके अलावा शरा शासन और ड्रूज लोगों के बीच संबंधों में तनाव पैदा करने वाला एक प्रमुख मुद्दा ‘ड्रूज मिलिशिया’ का निरस्त्रीकरण भी है. अल-शरा चाहते हैं कि ये लोग हथियार छोड़ दें और देश की सेना में शामिल हो जाएं लेकिन ड्रूज लोग अपने हथियारों और ‘फ्री-मिलिशिया’ को बनाए रखने पर अड़े हुए हैं.

वीडियो: Israel ने Syria के रक्षा मंत्रालय पर हमला किया, 15 से ज्यादा लोग मारे गए

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