पुलिस जो चालान काटती है, उसका पैसा कहां जाता है?
कभी आपकी गाड़ी का चालान कट जाए और पैसे भरने पड़े हों तो क्या कभी सोचा है कि ये पैसा जाता कहां है? किसके खाते में जमा होता है? आज हम आपको इस सवाल का जवाब देंगे.

राह चलते कभी गाड़ी का चालान कट जाए और पैसे भरने पड़े हों तो क्या कभी सोचा है कि ये पैसा जाता कहां है? किसके खाते में जमा होता है? आपका जवाब हो सकता है कि सरकार के पास जाता होगा. ठीक बात है. सरकारी पुलिस चालान काटती है तो सरकार के पास ही पैसा जाएगा. लेकिन किस सरकार के पास? राज्य सरकार के पास या केंद्र सरकार के पास? चालान के पैसे से किसका खजाना भरता है? अब यहां कन्फ्यूज हो गए न?
चलिए आज आपका सब कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं.
कायदे से ट्रैफिक पुलिस राज्यों की होती है. ऐसे में जब वह चालान वसूलती है तो पैसा राज्य सरकार के खजाने में ही जाता है लेकिन हिसाब इतना भी सीधा-सादा नहीं है. कहां चालान काटा जा रहा है, चालान के खजाने का रास्ता यह भी तय करता है. जैसे-
- अगर किसी राज्य में ट्रैफिक पुलिस आपका चालान काटती है तो पैसा राज्य सरकार के खाते में जाता है. अगर लखनऊ में आपका चालान कटता है तो उसका पैसा उत्तर प्रदेश की सरकार के राजस्व का हिस्सा हो जाएगी.
- लेकिन अगर दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर या पुडुचेरी में आपका चालान कटता है तो नियम थोड़ा बदल जाएगा. ये राज्य केंद्रशासित हैं. ऐसे में यहां कटने वाले चालान का पैसा केंद्र सरकार के पास जाता है.
चालान अगर दिल्ली में कट रहा है तो एक और पेच है. यहां ट्रैफिक पुलिस तो केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन दिल्ली के पास अपनी स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी है. दोनों को ही चालान काटने का अधिकार है.
ऐसे में क्या होता है?पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील धीरेंद्र कुमार ने आज तक को बताया कि अगर चालान ट्रैफिक पुलिस ने काटा है तो पैसा केंद्र सरकार के पास जाएगा. लेकिन अगर ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने ये काम किया है तो पैसा दिल्ली सरकार के खजाने में जाएगा क्योंकि राज्य परिवहन विभाग दिल्ली सरकार के अधीन आता है.
अब सवाल ये भी है कि अगर हाईवे पर चालान कटेगा तो वह पैसा कहां जाएगा?
इसका भी जवाब हमारे पास है. चालान अगर किसी राज्य में नैशनल हाईवे पर कटता है तो आधा पैसा केंद्र सरकार लेगी और आधा पैसा राज्य सरकार के ट्रेजरी में जाएगा. यानी कि चालान का पैसा राज्य और केंद्र में बराबर-बराबर बंट जाता है.
दिल्ली के मामले में फिर नियम अलग है. यहां देखा जाएगा कि चालान काटने वाली ट्रैफिक पुलिस है या स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी. ट्रैफिक पुलिस का काटा चालान केंद्र सरकार लेगी और अथॉरिटी वाला पैसा बंट जाएगा.
कई बार ऐसा होता है कि चालान की राशि अदालत में जमा की जाती है. तब क्या होता है?
धीरेंद्र कुमार बताते हैं कि ऐसी परिस्थिति में राज्यों में चालान की राशि वहां की प्रदेश सरकार ही लेती है, लेकिन दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस के काटे चालान का पैसा केंद्र के पास और अथॉरिटी के काटे चालान की राशि दिल्ली सरकार के पास जाती है.
उम्मीद है, हिसाब क्लियर समझ आ गया होगा.
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