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जब कृष्ण ने लिया भगवान राम का रूप

जामवंत और कृष्ण 28 दिनों तक लड़ते रहे उस मणि की खातिर जो देती थी एक दिन में 8 किलो सोना.

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इमेज सोर्स: भगवतम-कथा
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प्रतीक्षा पीपी
14 दिसंबर 2015 (Published: 06:16 AM IST) कॉमेंट्स
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रामायण के जामवंत को तो आप जानते ही होंगे. उनके बारे में एक खास बात यह है कि उनका कैरेक्टर रामायण और महाभारत दोनों में आता है. रामायण में जब राम ने रावण को मार डाला तो जामवंत भी उनसे भारी इम्प्रेस हो गए. बोले, लाइफ में एक बार मैं भी आपसे युद्ध करना चाहता हूं. राम बोले, तुम्हारी डिमांड याद रखूंगा. अब स्टोरी फॉरवर्ड करते हैं महाभारत के समय की ओर. एक बार सत्राजित नाम के आदमी ने सूर्य की खूब पूजा की. सूर्य भगवान ने खुश होकर उसे एक स्यमन्तक नाम की मणि दी. अब सत्राजित को समझ न आए कि मणि का करें क्या. तो वो उसे लेकर कृष्ण के पास गए. इधर कृष्ण चार लड़कों के साथ बैठे कौड़ी खेल रहे थे. मणि देखकर वह भी मुग्ध हो गए. बोले, ये बहुत पावरफुल चीज है. इसे राजा उग्रसेन को दे आओ. सत्राजित को लगा कि जब सूर्य भगवान ने मणि उन्हें दी है, तो वो किसी और को क्यों दें. उन्होंने उसे चुपचाप ले जाकर अपने घर में रख दिया. मणि सच में बहुत पावरफुल थी. एक दिन में आठ किलो सोना देती थी. एक बार सत्राजित का भाई प्रसेनजित मणि लेकर जंगल घूमने निकल गया. जंगल में मिला एक शेर. उसने प्रसेनजित को मारकर मणि कब्जा ली. इतने में वहां से जामवंत जी गुज़रे. मणि देखकर उन्होंने सोचा कि यह तो बड़ी ही सुंदर चीज़ है. उन्होंने शेर को मार डाला और मणि लेकर अपने प्यारे से बच्चे को खेलने के लिए दे दी. मजे की बात यह है कि दोनों को ही मणि की असली पावर का आइडिया ही नहीं था. इधर सत्राजित मणि को मिसिंग देखकर सनक गए. वो समझे कि मणि के बारे में तो बस कृष्ण को पता था, उन्होंने ही प्रसेनजित को मारकर मणि चुरा ली होगी. कृष्ण इस लांछन से दुखी हो गए. बोले बचपन की शैतानियां अलग बात है पर भैया मैं चोरी नहीं कर सकता. मणि को खोज कर लाऊंगा और सारी अफवाहें गलत साबित कर दूंगा. वे मणि खोजते हुए जामवंत की गुफा पर पहुंचे और उनके बच्चे से मणि लेने लगे. जामवंत जी ये देखकर गुस्सा गए और बोले भाई अब तो फाइट होकर रहेगी. जामवंत और कृष्ण की लड़ाई 28 दिनों तक चली. पर जीत तो कृष्ण की ही होनी थी. कृष्ण ने ऐसा मुक्का जमाया कि जामवंत की एक नस टूट गई और वे दर्द के मारे राम जी को याद करने लगे. तब कृष्ण भगवान राम के रूप में प्रकट हुए और जामवंत को उनकी डिमांड के बारे में याद दिलाया. जामवंत खुश हो गए और उन्हें अपनी बेटी का हाथ सौंप दिया. जब सत्राजित को पता चला की उन्होंने झूठ-मूठ ही कृष्ण पर इल्ज़ाम लगा दिया था, उन्हें बड़ी शर्म आई. उन्होंने भी माफ़ी मांगी और सेंटी होकर अपनी बेटी सत्यभामा की शादी उनसे करने का वादा किया. (श्रीमद्भागवत महापुराण)

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