190 करोड़ की आबादी, पूरा कश्मीर, विभाजन नहीं होता तो आज ऐसा होता भारत
उस भारत की तस्वीर, जो शायद होती. अगर 1947 में बंटवारा न हुआ होता.
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दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश. यहां दुनिया का सबसे बड़ा सिंचाई तंत्र. सबसे लंबा ‘नेचुरल सी बीच’ और शायद हॉकी में सबसे ज्यादा मेडल भी. हम भारत की ही बात कर रहे हैं. ये सब भारत में होता अगर... लेकिन इस अगर पर बात करने से पहले एक किस्सा बताते हैं.
मैंने तो लाहौर भारत को दे दिया था. लेकिन तभी मुझे अहसास हुआ कि पाकिस्तान के पास कोई बड़ा शहर नहीं है. मैं कलकत्ता पहले ही भारत को दे चुका था. इसलिए मुझे लाहौर पाकिस्तान को देना पड़ा.
भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लाइन खींचने वाले सिरिल रेडक्लिफ ने एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही थी. भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहली बार आजादी से करीब ढाई महीने पहले, जून 1947 में जवाहरलाल नेहरू को बंटवारे का प्लान दिखाया था.
नेहरू प्लान से जुड़े कागजात अपने कमरे में ले गए. जिस दस्तावेज में देश का भविष्य कैद था, उसके एक-एक पन्ने के हर शब्द को ध्यान से पढ़ा. हर एक वाक्य के साथ उनकी बेचैनी बढ़ रही थी. उनकी कल्पना का भारत उनके सामने कई टुकड़ों में दिख रहा था.
रेडक्लिफ के प्लान में लिखा था कि भारत के 565 प्रिंसली स्टेट चाहें, तो स्वतंत्र रह सकते थे. उन पर भारत और पाकिस्तान में शामिल होने की पाबंदी नहीं होगी. नेहरू सीधा अपने भरोसेमंद साथी कृष्ण मेनन के पास पहुंचे. प्लान को मेनन के बेड पर फेंका और चिल्लाते हुए कहा- ‘सब खत्म हो गया.’
फिर क्या था, इसके बाद एक नया ड्राफ्ट बनाया गया, जिसने भारत के विभाजन का खाका खींचा.
1947 में देश के बंटवारे से बने भारत और पाकिस्तान. फिर 24 साल बाद 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बना बांग्लादेश. यह बंटवारा उसी तरह हुआ था, जैसा दो भाइयों के बीच होता है. जमीनें बंटी और इसके साथ-साथ घर का सामान भी बंटा. इसमें पैसों से लेकर सोने की बग्घियां और जानवर तक शामिल थे.
ये तो हो गई बंटवारे की बात. लेकिन इतिहास की इन पन्नों के बीच, आज भी गाहे-बगाहे एक सवाल सिर उठाता है- ‘अगर विभाजन न हुआ होता, तो क्या हम एक विकसित देश होते? क्या दुनिया में हमारा दबदबा अलग ही स्तर पर होता? या फिर बंटवारा ही सही फैसला था?’
तो चलिए, आज हम आपको दिखाते हैं उस भारत की तस्वीर… जो शायद होती, अगर 1947 में बंटवारा न हुआ होता. सबसे पहले नजर डालते हैं अविभाजित भारत के नक्शे पर… शुरुआत करते हैं कुछ बेसिक आंकड़ों से…
UN के डेटा के मुताबिक, अप्रैल 2024 में भारत की आबादी 146.39 करोड़ थी. तब पाकिस्तान की जनसंख्या 25.52 करोड़ और बांग्लादेश की 17.57 करोड़ रही. मतलब अगर ये दोनों देश भारत का हिस्सा होते, तो कुल आबादी करीब 190 करोड़ होती.
और तो और भारत ने 30 साल पहले, यानी 1995 ही चीन को पॉपुलेशन के मामले में पछाड़ दिया होता. पाकिस्तान और बांग्लादेश के भारत में होने पर मुस्लिम आबादी के मामले में भी हम सबसे आगे होते.
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन नहीं होता, तो दोनों देशों में कश्मीर को लेकर इतना बड़ा विवाद नहीं होता. दरअसल, पाकिस्तान हमेशा से मुस्लिम बहुल आबादी वाले कश्मीर को अपना हिस्सा बताता है. वहीं, जब जम्मू-कश्मीर भारत में शामिल हुआ था, तो उसे आर्टिकल 370 के रूप में विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.
भारत और पाकिस्तान के बीच यह विवाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चौखट तक जा चुका है. पाकिस्तान बार-बार UN में कश्मीर का मुद्दा उठाता रहता है. वहीं, भारत बाकी सभी देशों को हमारे आंतरिक मामलों से दूर रखने की सलाह देता है. भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 भी खत्म कर दिया था. जिसका पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया था.
अब जरा नक्शे पर लौटते हैं. अभी भारत का क्षेत्रफल 32.85 लाख वर्ग किलोमीटर है. पाकिस्तान का 8.81 लाख और बांग्लादेश का 1.48 लाख. अगर ये सब एक साथ होते, तो हमारा कुल एरिया 43.17 लाख वर्ग किलोमीटर होता. यानी करीब 2 सऊदी अरब के बराबर.
क्षेत्रफल बढ़ता, तो इसके साथ ही बढ़ता हमारा समुद्री तट यानी कोस्टलाइन. जो फिलहाल 7516.6 किमी है. पाकिस्तान के 1365 किमी और बांग्लादेश के 580 किमी जोड़ दें, तो ये कोस्टलाइन 9461.6 किमी हो जाती.
इसके साथ ही बढ़ जाता हमारा EEZ यानी एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन. ये वो समुद्री इलाका है, जहां के पानी और खनिज संसाधनों पर देश का हक होता है. अभी भारत का EEZ 23.05 लाख वर्ग किमी है. पाकिस्तान का 2.90 लाख और बांग्लादेश का 1.19 लाख जोड़ दें, तो ये 27.13 लाख वर्ग किमी हो जाता. जो दुनिया का 15वां सबसे बड़ा EEZ होता.
बांग्लादेश की समुद्री सीमा में नेचुरल गैस का भंडार है. इसके अलावा, यहां कई हेवी मिनरल, जिर्कोन, रूटाइल, मैग्नेटाइट, मोनाजाइट जैसे पदार्थ भी मिलते हैं. इनका इस्तेमाल आयरन-स्टील इंडस्ट्री, टेक्स्टाइल, प्लास्टिक, एयरक्राफ्ट, इंजन, स्पेसक्राफ्ट बनाने में होता है. साथ ही, समुद्री सीमा के भीतर का इलाका मछुआरों की रोजी-रोटी पूरी करने में भी अहम भूमिका निभाता है. मछली पालन बांग्लादेश की GDP का 4% हिस्सा है. यह एक्सपोर्ट के मामले में दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है.
पाकिस्तान के EEZ में भी जिर्कोन, रूटाइल जैसे कई अहम खनिज पदार्थ मिलते हैं. इसके अलावा पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में तेल और गैस की मौजूदगी के लिए जरूरी सभी शर्तें भी पूरी होती हैं. हालांकि, तकनीकी मुश्किलों की वजह से यहां तेल या गैस का भंडार ढूंढा नहीं जा सका है. अगर भारत का विभाजन नहीं होता, तो पाकिस्तान और बांग्लादेश के EEZ के सभी रिसोर्स भारत के पास होते.
ये तो हो गई जियोग्राफी की बात. अब जरा अर्थव्यवस्था की तरफ आते हैं. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में भारत की मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू 490 अरब डॉलर थी. इस मामले में भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश है.
मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू का मतलब है एक साल में फैक्ट्रियों, वर्कशॉप्स और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में बनी सारी चीज़ों की कुल कीमत. जिसमें से कच्चा माल और बीच में इस्तेमाल हुई चीज़ों का खर्च घटा दिया जाता है. इस कड़ी में बांग्लादेश की मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू 100 अरब डॉलर और पाकिस्तान की 51.62 अरब डॉलर थी. इसके अलावा पाकिस्तान का कराची, जो वहां का इंडस्ट्रियल सेंटर भी है. उसकी 2021 में 190 अरब डॉलर की GDP रही थी. साथ ही देश के टैक्स रेवेन्यू का 35% यहीं से आया था.
यहां पाकिस्तान के दो सबसे बड़े बंदरगाह कराची पोर्ट और पोर्ट कासिम है. जो देश का 95% व्यापार संभालते हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा जरूरी शहर है लाहौर. जहां 9 हजार इंडस्ट्रियल यूनिट्स के साथ पाकिस्तान का सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रोडक्शन हब है. इसके अलावा, बलूचिस्तान प्रांत में रेको डिक खदान में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा सोना-तांबे का भंडार है. जहां 40 साल तक खनन की क्षमता है.
बात बांग्लादेश की करें, तो चीन के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक है. यहां से हर साल 35 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट होता है और 40 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. बंटवारा न होता, तो कराची, लाहौर की इंडस्ट्रीज के अलावा बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग भी भारत के पास होता.
इसके अलावा, हमारी पहुंच पश्चिम में ईरान, सऊदी, इज़राइल तक… और पूरब में इंडोनेशिया, थाईलैंड, जापान तक और आसान हो जाती. कराची, ग्वादर, चिटगांव, मोंगला जैसे पोर्ट भारत के होते. जिससे व्यापार के लिए नए-नए रास्ते खुल जाते.
अब जानते हैं कि ऐसा क्या है, जो हमें खोना नहीं पड़ता अगर 1947 में बंटवारा नहीं हुआ होता…
इस कड़ी में सबसे अहम हैं, वो चार जंगें, जो हमने पाकिस्तान के साथ लड़ीं. 1947-48 में कश्मीर पर हुई पहली जंग में कुल 7104 सैनिकों की मौत हुई थी. इनमें से 1104 भारत के. जबकि बाकी 6000 पाकिस्तान के थे. इसके बाद 1965 की जंग में दोनों देशों ने कुल 9064 सैनिक खोए. जिनमें से 3264 भारतीय तो 5800 पाकिस्तानी थे.
बांग्लादेश की आजादी के लिए 1971 में हुए युद्ध में 11 हजार 843 सैनिकों की जान गई. इनमें 3 हजार 843 भारत के. जबकि बाकी 8 हजार पाकिस्तानी थे. इसके अलावा, इस लड़ाई में करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई. जिनमें ज्यादातर बांग्लादेशी थे.
1999 में हुई कारगिल जंग में भारत ने अपने 674 खोए, तो वहीं पाकिस्तान ने 4 हजार गंवाए थे. यानी कुल 4674 सैनिकों की मौत हुई थी. और इन सबसे पहले 1947 में हुए बंटवारे और फिर धर्म के नाम पर हुई हिंसा की आग में लाखों लोगों ने जान गंवा दी थी. आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था.
जानकारों का ये भी मानना है कि तमाम अच्छी चीजों के साथ, पाकिस्तान और बांग्लादेश के भारत में होने पर कई चुनौतियां भी आतीं. इतने बड़े और विविधता से भरे देश में न्याय व्यवस्था के साथ ही शांति और भाईचारा बनाए रखना देश की सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होती. इतिहास "क्या होता अगर" का जवाब तो कभी साफ नहीं देता… लेकिन ये सवाल ज़रूर छोड़ जाता है, अगर 1947 में बंटवारा न हुआ होता… तो हम आज कितने अलग होते.
(ये स्टोरी हमारी साथी निकिता अग्रवाल ने लिखी है.)
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