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MSP पर मोदी की कौन सी रिपोर्ट अब उन्हीं के गले की हड्डी बन गई है?

तब पीएम मोदी गुजरात के सीएम हुआ करते थे और भारत सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी.

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मार्च, 2011 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उपभोक्ता मामलों पर रिपोर्ट सौंपी थी. फाइल फोटो: narendramodi.in
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निशांत
3 दिसंबर 2020 (Updated: 3 दिसंबर 2020, 06:55 AM IST) कॉमेंट्स
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तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है. सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठकें चल रही हैं. सबसे ज़्यादा विवाद जिस विषय को लेकर है, वो है- फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP. केंद्र सरकार MSP का आश्वासन दे रही है लेकिन किसान कह रहे हैं कि सरकार तीनों कानून वापस ले. किसानों का कहना है कि कानूनों में MSP की लिखित गारंटी नहीं दी गई है.
इस सबके बीच एक रिपोर्ट चर्चा में है. विपक्ष का कहना है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भारत सरकार को उन्होंने उपभोक्ता मामलों पर एक रिपोर्ट सौंपी थी. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि तब नरेंद्र मोदी ने किसानों का हित संरक्षित करने के लिए सांविधिक निकाय के जरिए MSP सुनिश्चित करने की सिफारिश की थी.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सितंबर, 2020 में भी रिपोर्ट वाली बात दोहराई थी. उन्होंने पीएम मोदी पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा,
''क्यों 'PM' मोदी आज 'CM' मोदी की रिपोर्ट स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जो उन्होंने भारत सरकार को भेजी थी. ये राजनीतिक बेईमानी का सबसे बुरा रूप है.''
सवाल है कि ये रिपोर्ट कौन सी है?
इस रिपोर्ट का नाम Report of Working Group Consumer Affairs है. पीएम मोदी की वेबसाइट narendramodi.in (आर्काइव लिंक)

पर इसका ज़िक्र मिलता है. वेबसाइट के मुताबिक, मार्च, 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी. तब नरेंद्र मोदी उपभोक्ता मामलों से जुड़े वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन थे. ये ग्रुप 8 अप्रैल, 2010 को बनाया गया था और ग्रुप में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी शामिल थे.
narendramodi.in पर नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह की मुलाकात का विवरण. फोटो: narendramodi.in
narendramodi.in पर नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह की मुलाकात का विवरण. फोटो: narendramodi.in

तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में सौंपी गई इस रिपोर्ट में वर्किंग ग्रुप की तरफ से 20 सिफारिशें की गई थीं. साथ ही इन सिफारिशों को लागू करने के लिए 64 सूत्रीय ऐक्शन प्लान भी बताया गया था. इस रिपोर्ट में MSP का कई जगह ज़िक्र है. पहले वो बात, जिसकी चर्चा कांग्रेस कर रही है.
इस रिपोर्ट के क्लॉज b.3 में कहा गया है,
सभी आवश्यक वस्तुओं के संदर्भ में हमें सांविधिनिक निकाय के जरिए किसानों का हित संरक्षित करना चाहिए. किसी भी किसान और व्यापारी के बीच लेन-देन MSP से नीचे नहीं होना चाहिए.
Report of Working Group on Consumer Affairs का क्लॉज b.3
Report of Working Group on Consumer Affairs का क्लॉज b.3

FCI के अलावा दूसरी संस्थाओं से खरीद पर भी जोर
रिपोर्ट में कहा गया है,
जिन फसलों पर MSP है, उन फसलों की खरीद के लिए विश्वसनीय व्यवस्था बनाई जाए. MSP के तहत खरीद के लिए एक विश्वसनीय संस्था होनी चाहिए. उदाहरण के लिए- अगर फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) जैसे केंद्रीय संस्थानों की पहुंच सीमित है, तो स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन और कोऑपरेटिव संस्थाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए कि वो खरीद का काम संचालित करें.
राज्यों में MSP पर खरीद को लेकर FCI का रोल अगर अधिक नहीं, तो बराबर का होना चाहिए.
खरीद के लिए फंडिंग प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड से आ सकती है.
Report of Working Group on Consumer Affairs
Report of Working Group on Consumer Affairs

अब उठ रहे सवाल
अब विपक्ष सवाल उठा रहा है कि अगर नरेंद्र मोदी ने खुद MSP खरीद के लिए संस्था बनाने की बात कही थी, तो आज किसानों को MSP देने की बात को कृषि कानूनों में लिखने में क्या दिक्कत है? इस बीच नरेंद्र मोदी का एक ट्वीट भी वायरल हुआ, जो 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने से ठीक पहले अप्रैल महीने का है. इस ट्वीट में उन्होंने कहा,
''हमारे किसानों को सही दाम क्यों नहीं मिलना चाहिए? किसान भीख नहीं मांग रहे. उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है और उन्हें अच्छा दाम मिलना चाहिए.''
अप्रैल, 2014 का पीएम मोदी का ट्वीट.
अप्रैल, 2014 का पीएम मोदी का ट्वीट.

कृषि मंत्री का रिपोर्ट पर जवाब
उपभोक्ता मामलों पर वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में कहा,
जो विपक्ष के लोग आज कह रहे हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं, आपने इतने वर्षों तक राज किया तो आपने MSP के लिए कानून क्यों नहीं बनाया? कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो प्रशासकीय निर्णय के द्वारा की जाती हैं. हर चीज के लिए कानून नहीं बनाया जाता.
तोमर ने कहा,
MSP कभी भी कानून का हिस्सा नहीं रही, बल्कि प्रशासकीय निर्णय के माध्यम से इसका क्रियान्वयन होता है. हम लगातार MSP बढ़ाकर उसे क्रियान्वित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा,
MSP किसानों को मिले ये पीएम मोदी की इच्छा रही है. MSP पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को पीएम मोदी ने स्वीकार किया. आज बढ़ी हुई MSP का फायदा किसानों का मिल रहा है. MSP जारी रहेगी.
1 दिसंबर, 2020 को अपने वाराणसी दौरे के दौरान पीएम मोदी ने भी MSP और मंडियों को लेकर एक बार फिर आश्वासन दिया. उन्होंने तीनों कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है.

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