ये फरलो क्या है जिस पर बलात्कारी राम रहीम बाहर घूम रहा है?
फरलो और परोल पर कैदियों को छुट्टी देने के क्या नियम हैं?
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गुरमीत राम रहीम (फोटो सोर्स- आजतक)

राम रहीम (फोटो सोर्स- आजतक)
हालांकि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को मिली फरलो का जमकर विरोध हो रहा है. पटियाला के भादसों के रहने वाले एक शख्स ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर राम रहीम की फरलो रद्द करने की मांग की. याचिका में कहा गया कि डेरा प्रमुख कई संगीन अपराधों में दोषी करार दिया जा चुका है और उसके खिलाफ कई और आपराधिक मामले चल रहे हैं. ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक ऐसे अपराधी को फरलो देना पूरी तरह से गलत है.
ये भी कहा गया कि चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने राम रहीम को फरलो दी है. इसके बाद पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फरलो से जुड़े रिकॉर्ड पेश करने को कहा. जिस पर एडवोकेट जनरल बीआर महाजन ने शुरुआती दलीलें पेश कीं और कहा कि डेरा प्रमुख को नियमों के मुताबिक़ ही फरलो दी गई.
इसी तरह की याचिका पंजाब की समाना विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी परमजीत सिंह सोहाली ने भी दायर की. याचिका में कहा गया कि डेरा प्रमुख का इलाके में प्रभाव है, जिसका असर चुनावों पर भी पड़ेगा. इसलिए फरलो का फैसला रद्द कर दिया जाए और राम रहीम को वापस जेल भेज दिया जाए.
इस बीच फरलो पर 16 दिन से ज्यादा की छुट्टी राम रहीम गुजार चुका है. अब तो उसे जेड प्लस सुरक्षा भी दे दी गई है. जो देश के इक्का-दुक्का सबसे महत्वपूर्ण लोगों को मिलती है. ये भी नई जानकारी नहीं है कि पंजाब और हरियाणा में डेरा सच्चा का चुनावी दखल और प्रभाव हमेशा से रहा है. इस बार भी खबरें आ रही हैं कि मालवा बेल्ट की कई सीटों पर डेरा की तरफ़ से भाजपा और शिरोमणि अकाली दल को समर्थन देने का संदेशा पहुंचा दिया गया है.
पंजाब के CM चरणजीत सिंह चन्नी ने भी ट्वीट कर कहा है कि अकाली दल और भाजपा डेरा सच्चा की मदद ले रहे हैं.
चुनाव पर डेरा और गुरुमीत राम रहीम का प्रभाव जो भी हो, सवाल ये है कि राम रहीम को फरलो कैसे और किन नियमों के तहत मिली, इसे बुलेट पॉइंट्स में समझ लेते हैं. क्या है फरलो?# फरलो एक तरह से छुट्टी है. इसमें कैदी को कुछ दिन के लिए जेल से रिहा किया जाता है. फरलो की ड्यूरेशन को कैदी की सजा में छूट और उसके हक़ के तौर पर देखा जाता है. सज़ा में छूट माने फरलो के दिन सज़ा में ही काउंट कर लिए जाते हैं.Akali and bjp partnership is out in open, both are taking support from Dera Sacha Sauda. Let them team up, people of Punjab are teaming up against these beadbi partners and will teach them a lesson with their votes.
Baraat jinni marzi vaddi hove, Pind ton Ghat hi hundi hai
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) February 20, 2022
# फरलो आमतौर पर सज़ायाफ्ता कैदियों को ही मिलती है, यानी ऐसे कैदी जो दोष सिद्ध होने के बाद मामले में सजा काट रहे हैं.
# आम तौर पर फरलो उन कैदियों को मिलती है जो लंबी सजा काट रहे हैं.
# जेल राज्य का मामला है, इसलिए अलग-अलग राज्यों में फरलो के नियम अलग-अलग हैं.
# फरलो जेल के कैदियों के अलावा सरकारी कर्मियों को भी दी जा सकती है. परोल और फरलो में फर्क परोल और फरलो में बड़ा फर्क है. प्रिजन एक्ट 1894 में इन दोनों का जिक्र किया गया है. फरलो सिर्फ सजायाफ्ता कैदी को ही मिल सकती है, जबकि परोल पर किसी भी कैदी को कुछ दिनों के लिए रिहा किया जा सकता है. लेकिन फरलो किसी छोटे कारण या बिना कारण के भी दी जा सकती है, जबकि परोल के लिए वाजिब वजह होना जरूरी है. परोल तभी मिलती है जब कैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाए, ब्लड रिलेशन में शादी समारोह जैसा कुछ हो या और कोई ख़ास वजह हो. और किसी कैदी को परोल देने से ये कहकर इनकार भी किया जा सकता है कि उसे छोड़ना समाज के हित में नहीं है.
हालांकि कुछ स्थितियां हैं जिनमें परोल और फरलो दोनों ही नहीं मिलतीं. सितंबर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परोल और फरलो के लिए कुछ नई गाइडलाइंस जारी की थीं. इनके मुताबिक़,
# ऐसे कैदी जिनकी मौजूदगी समाज के लिए खतरनाक हो, शांति और कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो, उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए.
# ऐसे कैदी जो हमला करने, दंगा भड़काने, बगावत की कोशिश और जेल हिंसा से जुड़े अपराधों में शरीक रहे हों, उन्हें रिहाई नहीं दी जानी चाहिए.
# डकैती, आतंकवाद संबंधी जुर्म, अपहरण, ड्रग्स की स्मगलिंग, जैसे गंभीर अपराधों के दोषी या आरोपी को भी रिहा नहीं किया जाना चाहिए.
# इसके अलावा ऐसे कैदी जिनके परोल या फरलो का वक़्त पूरा कर वापस जेल लौटने पर शंका हो, उन्हें भी छोड़ा नहीं जाना चाहिए.
# हालांकि यौन अपराधों, हत्या, बच्चों के अपहरण और हिंसा जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में एक कमेटी सारे फैक्ट्स को ध्यान में रखकर परोल या फरलो देने का फैसला कर सकती है.
अब बाबा राम रहीम के मामले में ऐसा क्या ख़ास था, जो उसे फरलो भी दी गई और जेड प्लस सिक्योरिटी भी, ये तो कोर्ट की बहस का विषय है, लेकिन इतना कहा जा सकता है कि सामान्य स्थितियों में परोल या फरलो मिलना इतना आसान नहीं होता.
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरुमीत राम रहीम को 2017 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने अपने ही आश्रम की एक साध्वी के रेप और हत्या के मामले में दोषी करार दिया था. कोर्ट ने उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई थी. राम रहीम को पूर्व डेरा प्रमुख रंजीत सिंह और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में भी आजीवन कैद की सजा मिली है. वहीं अपने आश्रम के कई साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का मामला अभी विचाराधीन है.