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ऑर्केस्ट्रा में छड़ी लहराने वाले आदमी का काम क्या होता है?

एक फ़िल्म बनाने के लिए राइटर स्क्रिप्ट लिखता है. ऐक्टर्स ऐक्टिंग करते हैं. सिनेमैटोग्राफ़र कैमरा लगाता है. लाइट वाला लाइट, मेकअप वाला मेकअप और कॉस्ट्यूम वाला कॉस्ट्यूम. अगर सबका काम तय ही है, तो डायरेक्टर क्या करता है? और, उसे सबसे ज़्यादा क्रेडिट क्यों?

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छड़ी वाले को कहते हैं कंडक्टर.
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सोम शेखर
11 जुलाई 2024 (Published: 23:07 IST)
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अगर आपको लगता है कि आपका काम बेमानी है, तो गुप्त काल की वेबसाइटों पर 'वेरिफ़ाई यू आर अ ह्यूमन' वाली पहेली के बारे में सोचिए. इस तरह की कहावतें चलती हैं. इंटरनेट की ज़ुबान, मीम्स की शक्ल में. कभी इस पहेली के लिए, कभी कॉरपोरेट दफ़्तरों के HR विभाग के लिए, कभी 'हम बेवफ़ा हरगिज़ न थे' गाने में 'जिंगा ला ला हू, हू हू' के लिए, कभी UN के लिए. मगर इस मामले में कई-एक लोगों के साथ नाइंसाफ़ी भी हुई है. जैसे ऑर्केस्ट्रा में छड़ी घुमाने वाले महाशय के साथ. जनता उन्हें बहुत हल्के में ले लेती है, कि गाना जैसा भी चल्ला हो, ये तो छड़ी के साथ वैसा ही तांडव करते हैं. उनके काम/कला पर ही सवाल खड़े कर देते हैं. इसीलिए, आज जानेंगे -

ऑर्केस्ट्रा में छड़ी वाला आदमी करता क्या है?

एक फ़िल्म बनाने के लिए राइटर स्क्रिप्ट लिखता है. ऐक्टर्स ऐक्टिंग करते हैं. सिनेमैटोग्राफ़र कैमरा लगाता है. लाइट वाला लाइट, मेकअप वाला मेकअप और कॉस्ट्यूम वाला कॉस्ट्यूम. फिर फ़िल्म के क्रेडिट्स में ये क्यों लिखा मिलता है - 'अ फ़िल्म बाय फलाना-ढिकाना' या 'अ फलाना-ढिकाना फ़िल्म'? माने अगर सबका काम तय ही है, तो डायरेक्टर क्या करता है? और, उसे सबसे ज़्यादा क्रेडिट क्यों?

डायरेक्टर को उर्दू में कहते हैं, हिदायतकार. उसका काम है कि बाक़ी कर्मवीरों के काम को सिंक करे. उन्हें ऐसे घोले कि लगे सिर्फ़ इसी काम के लिए उनका जन्म हुआ था. असल में फ़िल्म सेलुलॉइड से पहले डायरेक्टर के दिमाग़ में बनती है. अब डायरेक्टर का दिमाग़ कैसा है और वो कितना उसे उतार पाता है, फ़िल्म इसी से तय होती है.

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सब कंडक्टर कमपोज़र नहीं होते. (तस्वीर - गेटी)

जैसे फ़िल्म के सर्कर का मदारी है डायरेक्टर. ऑर्केस्ट्रा के मदारी को कहते हैं, कंडक्टर. ध्वनि उसकी भाषा है. वो अपने हाव-भाव, अपनी देह-भाषा और हाथ की हरकत से संगीत की हरकत बदलता है. जिस पतली-जादुई छड़ी पर वो संगीतकारों को नचाता है, उसे कहते हैं बैटन. हल्की लकड़ी या फ़ाइबरग्लास से बना होती है. रबर, प्लास्टिक या धातु से भी. इसकी लंबाई 10 इंच से लेकर 26 इंच तक होती है.

दिग्गज कंडक्टर और संगीतकार लियोनार्ड बर्नस्टीन कहते थे,

अगर कंडक्टर बैटन का इस्तेमाल करता है, तो वो ख़ुद एक जीवित चीज़ होनी चाहिए. गोया उसे बिजली से चार्ज किया गया हो. जिसकी सबसे छोटी हरकत से भी अर्थ निकले.

इश्क़ के निकम्मा करने से पहले किस काम आता है कंडक्टर?

- निर्देश: ऑर्केस्ट्रा में स्ट्रिंग्स कब शुरू/बंद होंगी? ब्रास या पर्क्यूशन कब बजेगा? कितनी ज़ोर, कितना धीरे? ये सब कुछ कंडक्टर की हरक़त से ही तय होता है. जिस तरह से कंडक्टर बैटन को घुमाता है, उससे संगीतकारों को पता चलता है कि उन्हें कितनी तेज़ी से या धीरे बजाना है (टेम्पो), कितना ज़ोर से या शांत बजाना है (डायनामिक्स).

ये भी पढ़ें - कैलकुलेटर में ये जो M, M+, CE बटनें होती हैं, उनसे क्या-क्या होता है? 

- ऑर्केस्ट्रा काफ़ी बड़ा होता है. कभी-कभी 100-200 संगीतकार से ज़्यादा होते हैं. इसके लिए ज़रूरी है कि सब एक सुर में रहें और इसका कोई मरकज़ हो, जो सबको दिखे. हाथ की जगह बैटन की हरकतों को आसानी से देखा-पहचाना जा सकता है.

- एक क़ायदे का कंडक्टर केवल निर्देश नहीं देता, वे संगीत को जीवंत करता है.

ये चलन शुरू कैसे हुआ?

BBC में छपे एक लेख के अनुसार, आठवीं सदी में एक साहब थे, पैट्रे के फेरेकाइड्स. प्राचीन ग्रीस में उन्हें 'ताल के दाता' (Giver of Rhythm) भी कहते थे. ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स की कहें, तो उनका 800 संगीतकारों का एक ग्रुप (ऑर्केस्ट्रा) था. और, वो एक सुनहरी छड़ी के साथ उनका नेतृत्व करते थे. पूरा ग्रुप एक साथ शुरू हो और सभी एक साथ रहें, इसके लिए छड़ी का इस्तेमाल करते थे.

पिछले हज़ार सालों में कंडक्टर की प्रकृति बदलती गई. आधुनिक समय में - 1800 के दशक की शुरुआत में - जर्मन संगीतकार और कंडक्टर लुई स्पोर को बैटन के इस्तेमाल का श्रेय दिया जाता है. आज की तारीख़ में हम कंडक्टर्स की जो मूवमेंट देखते हैं, उन्हीं से आई है.

आख़िरी सवाल: क्या कंडक्टर संगीत बनाते भी हैं? कुछ बनाते है, कुछ नहीं.

जैसे-जैसे कॉन्सर्ट हॉल्स की महत्ता बढ़ी, कंडक्टरों का क़द भी ऊंचा होता गया. वैसे तो स्थापित धारा यही है कि कंडक्टिंग और कंपोज़िंग, दो बिल्कुल अलग विधाएं हैं. मगर ब्रैड लुबमैन और जैक्स कोहेन कंडक्टर भी थे और कम्पोज़र भी.

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अगर आप कुछ कंडक्टर्स को परफ़ॉर्म करते देखना चाहते हैं या उनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो कुछ नाम हम दे देते हैं:

  • आर्टुरो टोस्कानिनी (Arturo Toscanini )
  • विल्हम फ़र्टवॉन्गलर (Wilhelm Furtwangler)
  • हर्बर्ट वॉन करजान (Herbert von Karajan)
  • लियोनार्ड बर्नस्टीन (Leonard Bernstein)
  • बर्नार्ड हैटिंक (Bernard Haitink)
  • कार्लोस क्लेबर (Carlos Kleiber)
  • क्लाउडियो अब्बाडो (Claudio Abbado)
  • डैनियल बैरनबोइम (Daniel Barenboim)
  • वैलेरी गेर्गिएव (Valery Gergiev)
  • साइमन रैटल (Simon Rattle)
  • गुस्तावो दुदामेल (Gustavo Dudamel)

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