अब शाहरुख खान, तुषार कपूर नहीं बन पाएंगे बाप!
पढ़िए सारे तर्क.
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फोटो - thelallantop
सरोगेसी: मतलब अगर कोई दंपती बच्चा पैदा नहीं कर सकता या नहीं करना चाहता, तो वो अपने शुक्राणु और अंडाणु लेकर किसी दूसरी औरत के कोख में डलवा देंगे. बाद में जो बच्चा पैदा होगा, उसे फिर ये दंपती ले लेंगे. बदले में उस औरत को पैसा दिया जाएगा.
आइये पढ़ते हैं कि बिल में क्या है और इसके क्या तर्क हैं:1.
नए बिल के मुताबिक अब सरोगेसी को ख़रीदा नहीं जा सकता. मतलब पैसे दे के किसी औरत से बच्चा पैदा नहीं करा सकते. ये बिल्कुल सही है. क्योंकि ये MNREGA नहीं है. प्रेगनेंसी एक जटिल चीज है. फिर 9 महीने पेट में बच्चा रखने के बाद औरत का बच्चे से बड़ा ही अनोखा संबंध बन जाता है. कोई औरत अगर पैसे के लिए बच्चे पैदा कर रही है, तो इसका उसके मन और तन दोनों पर बुरा असर होगा. फिर अगर वो इसके लिए कई बच्चे पैदा कर दे, तो उसके मरने का भी खतरा हो सकता है. और इच्छुक दम्पतियों के लिए अनाथालय का ऑप्शन भी है. आप वहां से बच्चे ले सकते हैं. 2.
विदेशी लोग अब इंडिया में सरोगेसी का फायदा नहीं उठा सकते. इस बात को लेकर सुषमा स्वराज के बयान की बड़ी आलोचना हो रही है. पर ये जरूर देखा जाना चाहिए कि सुषमा का बयान सिर्फ बयान है. वो बिल में शामिल नहीं है. फिर जर्मनी, जापान, स्वीडन, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और यूरोप के कई देशों में कमर्शियल सरोगेसी बैन है. क्योंकि वहां पर 'औरतों' की सुरक्षा सबसे ऊपर रखी जाती है. तो फिर इंडिया में क्यों मार्किट बनाना? क्या यहां की औरतें यूरोप की औरतों से कमतर हैं? 3.
इंडिया के जिन लोगों के बच्चा नहीं हो सकता, वो लोग सरोगेसी का फायदा ले सकते हैं. पर होमोसेक्सुअल, लिव-इन, सिंगल लोगों को ये अधिकार नहीं है. अगर किसी दम्पती को बच्चा नहीं हो सकता और अपने ही 'शुक्राणु' या 'अंडाणु' से बच्चा चाहता है, तो ये ऑप्शन उनको दिया जा रहा है. हालांकि अनाथालय से बच्चा गोद लेना ज्यादा समझदारी का कदम हो सकता था. होमोसेक्सुअल और लिव-इन के बारे में सरकार का अभी का फैसला उचित है. क्योंकि अभी तक इनको कानूनी मान्यता नहीं मिली है. जो कि मिल जानी चाहिए. बिना शादी किए तुषार कपूर हाल ही में सरोगेसी से पिता बने थे. इस बिल के कानून में बदल जाने के बाद सिंगल लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे. 4.
जिनको अधिकार है, उनकी शादी को कम-से-कम पांच साल होने चाहिए. औरत की उम्र 23-50 और मर्द की 26-55 होनी चाहिए. ये बिल्कुल बायोलॉजी और उम्र को देखकर लिया गया फैसला है. साइंटिफिक फैसला.5.
अब सब कुछ हो जाने के बाद योग्य दम्पती पैसा नहीं देगा किराये की कोख के लिए. ज्यादा से ज्यादा मेडिकल बिल भर सकता है. मतलब सरकार ने 'मार्किट' एकदम ख़त्म कर दिया. अब ख़रीदा-बेचा नहीं जा सकता. क्योंकि किराये की कोख के मामले में कई तरह के दलाल बीच में आ जाते थे. और औरत को पैसा नहीं मिल पाता था. फिर कई बार ये भी हुआ कि दम्पती ने बच्चा लिया ही नहीं. ऐसे में वो औरत क्या करेगी? 6.
सरोगेसी के लिए कोई नजदीकी रिश्तेदार औरत ही बच्चे को जन्म दे सकती है. ब्रिटेन में तो एकदम ब्लड रिलेटिव ही ऐसा कर सकते हैं. पर इंडिया में थोड़ी उदारता बरती गई है. क्लोज रिलेटिव कर के. हालांकि इसका दुरुपयोग हो सकता है. 7.
अगर आपके पास बच्चा है, तो आप सरोगेसी का इस्तेमाल दूसरे बच्चे के लिए नहीं कर सकते. अभी हाल में ही शाहरुख़ खान ने ऐसा ही किया था. दो बच्चों के बाद एक सरोगेसी से बच्चा कराया. इसका एक पहलू ये भी है कि जिन के पास पैसा है, वो लोग अपने शरीर का ख्याल रखेंगे, पर किसी गरीब इंसान के शरीर की परवाह नहीं करेंगे. कह देंगे कि पैसा तो दे ही दिया है. 8.
एक नेशनल सरोगेसी बोर्ड बनाया जायेगा. इसके अध्यक्ष हेल्थ मिनिस्टर होंगे. ये बोर्ड पूरे देश में सरोगेसी को मैनेज करेगा. ये बढ़िया कदम है. जो कि बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. तो कई लोगों को ऐसा लगता है कि सरकार ने 'एकदम मध्ययुगीन' कदम उठाया है. पर क्या सरोगेसी एक धनी वर्ग की इच्छाओं के लिए ही नहीं बना है? जो कि गरीब औरत की जान के रिस्क पर पूरा किया जा रहा है? जब किसी को बच्चे की जरूरत है, तो वो अनाथालय का क्यों नहीं हो सकता? क्या ये जरूरी है कि अपने ही 'स्पर्म' या 'ओवम' से पैदा किया जाए? जब गरीबों के हक़ की बात आती है तो समाज इसे 'पिछड़ापन' कह के नकारना चाहता है, पर अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता.
इस आर्टिकल में सरोगेसी बिल पर ऋषभ के विचार हैं, अगर आप इससे कुछ अलग सोचते हैं, तो कॉमेंट में बता सकते हैं.