चाणक्य का वो चेला, जिसके गिफ्ट ने दुनिया में लड़ाइयों का तरीका बदल दिया
सिकंदर की मौत के बाद उसके जनरलों ने पूरा साम्राज्य आपस में बांट लिया.
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फोटो - thelallantop
बेबीलोन लौटने के तुरंत बाद सिकंदर मर गया. ऐसा कहते हैं कि बेबीलोन के बड़े लोगों ने सिकंदर को जहर दे दिया था. उसके बच्चे को भी मार दिया गया. फिर सिकंदर ने जितना साम्राज्य जीता था, बेबीलोन के जनरलों ने आपस में बांट लिया. वहीं भारत में चाणक्य और उनके शिष्य चन्द्रगुप्त ने मगध के नन्द वंश को उखाड़ फेंका. फिर 305 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के एशिया क्षेत्र के जनरल सेल्यूकस निकेटर को हरा दिया. दोनों के बीच एक संधि भी हुई.
चन्द्रगुप्त मौर्य की एक काल्पनिक पेंटिंग
इस संधि के बाद अफगानिस्तान और बलूचिस्तान की तरफ का एरिया चन्द्रगुप्त को मिल गया.

चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य
संजीव सान्याल की किताब 'द ओशियन ऑफ चर्न' के मुताबिक सेल्यूकस की एक बेटी की शादी चन्द्रगुप्त या उनके बेटे बिन्दुसार से करा दी गई. फिर एक गिफ्ट दिया गया चन्द्रगुप्त की तरफ से सेल्यूकस को. 500 हाथी और उनके महावत.

दोनों के बीच संधि की एक काल्पनिक तस्वीर
फिर 301 ईसा पूर्व में इप्सस की लड़ाई में सेल्यूकस ने इन हाथियों का इस्तेमाल किया. और बेबीलोन के जनरलों में चौधरी बन गया. उसके बाद हाथी सेल्यूकस के साम्राज्य की पहचान बन गए. सिक्कों पर सेल्यूकस और हाथियों के रथ की तस्वीर छपती. सेल्यूकस ने इंडिया से हाथियों की सप्लाई का पूरा इंतजाम किया था.

सेल्यूकस
इजिप्ट का जनरल टॉल्मी सेल्यूकस की इस बात से बड़ा चिढ़ता था. उसने अपने लिए अफ्रीका से हाथी मंगवाए. स्पेशल जहाज बनवाए गए थे. इथियोपिया के हाथी लाये जाते थे. पर ये हाथी भारत के हाथियों की तुलना में लड़ने लायक नहीं थे. ना ही उनको ट्रेन करना किसी के वश का था. टॉल्मी ने फिर इंडिया से महावत मंगवाए उनको ट्रेन करने के लिए. पर कुछ हो नहीं पाया.
ये अंश लिया गया है संजीव सान्याल की किताब The Ocean Of Churn से जो वाइकिंग प्रकाशन से आई है. नई किताब है. बहुत इंटरेस्टिंग है.
