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दो वोटर कार्ड रखने के लिए तेजस्वी यादव को सजा मिल सकती है?

तेजस्वी यादव पर दो वोटर कार्ड रखने के आरोप लगे हैं. चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया है. अगर आरोप सही साबित होते हैं तो तेजस्वी पर एक्शन हो सकता है.

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Tejaswi yadav
तेजस्वी यादव पर दो वोटर कार्ड रखने के आरोप लगे हैं (India today)
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राघवेंद्र शुक्ला
4 अगस्त 2025 (Published: 12:28 PM IST) कॉमेंट्स
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बिहार में स्पेशल इंटेंस रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया का विरोध करने वाले तेजस्वी यादव बुरा फंस गए. ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट जारी होने के बाद तेजस्वी ने दावा किया कि उनका ही नाम वोटर्स लिस्ट से हटा दिया गया. उन्होंने लिस्ट में अपना नाम ऑनलाइन चेक करने के लिए EPIC (Election Photo Identity Card) नंबर डाला तो जवाब मिला कि इस नंबर से कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर हमला बोला तो आयोग ने भी उनका नाम वोटर्स लिस्ट में दिखाते हुए स्पष्टीकरण जारी कर दिया. 

मामला तब फंसा, जब चुनाव आयोग की ओर से जारी कागज में तेजस्वी यादव का EPIC नंबर उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताए EPIC नंबर से अलग निकला. इसका अर्थ ये निकाला जाने लगा कि तेजस्वी यादव के पास दो वोटर कार्ड थे. चुनाव आयोग ने अब इससे संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए तेजस्वी यादव को नोटिस जारी किया है. आयोग ने ये भी कहा है कि तेजस्वी के बताए EPIC नंबर से कोई आधिकारिक कार्ड जारी ही नहीं किया गया. ऐसा लगता है कि इसमें फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है. 

अब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बने तेजस्वी यादव की मुश्किल बढ़ गई है. उन पर दो वोटर कार्ड रखने और फर्जी दस्तावेजों से वोटर कार्ड बनवाने के आरोप लग रहे हैं. चुनाव आयोग ने उनसे अभी सिर्फ दस्तावेज की मांग की है लेकिन अगर ये मामला बढ़ा तो आगे क्या-क्या हो सकता है? क्या वोटर्स लिस्ट से तेजस्वी यादव का नाम काटा जा सकता है? ऐसा हुआ तो वह चुनाव कैसे लड़ेंगे? 

चलिए इन सवालों के जवाब जानते हैं.

दो वोटर कार्ड वाली दिक्कत ‘प्रवासी’ नागरिकों के साथ होती है. जैसे बिहार के किसी गांव के रहने वाले व्यक्ति ने वहां के दस्तावेजों से वोटर कार्ड बनवाया. फिर वह नौकरी के लिए दिल्ली चला आया. यहां बहुत सी सरकारी योजनाएं ऐसी हैं, जो लाभार्थी से स्थानीय निवासी होने की मांग करती हैं. ऐसे में बिहार का वह नागरिक योजनाओं का फायदा उठाने के लिए यहां का वोटर कार्ड भी बनवा लेता है. लेकिन इन सबमें वह पुराना कार्ड कैंसिल नहीं करवा पाता. ऐसी स्थिति के लिए तो चुनाव आयोग ने व्यवस्था की है कि अगर नए आवेदन के समय वह अपने पुराने कार्ड के बारे में जानकारी दे दे तो आयोग खुद ही पुराना कार्ड कैंसिल कर देगा. 

इस मामले में तो रियायत है लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जानबूझकर दो वोटर कार्ड रखते हैं. मकसद जो भी हो लेकिन दो वोटर कार्ड रखना लोकप्रतिनिधित्व कानून के तौर पर अपराध तो है ही, साथ ही यहां धोखाधड़ी का भी मामला बनता है. एक पूर्व चुनाव अधिकारी बताते हैं कि ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति पर एफआईआर की जा सकती है.

तेजस्वी यादव का मामला डॉक्यूमेंट डुप्लीकेसी का मामला है. इस पर बीएनएस की धारा 182 के तहत धोखाधड़ी का मामला बन सकता है, जिसके मुताबिक फर्जी दस्तावेजों के लिए सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है.

हालांकि, एक अन्य चुनाव विषेशज्ञ नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि अभी तक ऐसा नहीं देखा गया है कि दो वोटर कार्ड रखे जाने पर किसी पर क्रिमिनल केस दर्ज किया गया हो.

EPIC नंबर से ज्यादा वोटर्स लिस्ट जरूरी

वह कहते हैं कि वोट डालने के लिए एपिक नंबर उतना जरूरी नहीं है जितना वोटर लिस्ट में नाम होना. दो जगहों पर वोटर्स लिस्ट में नाम नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो चुनाव आयोग को एक्शन लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि कई बार होता है कि लोग नई जगह पर जाते हैं और वोट कार्ड बनवाते समय एड्रेस चेंज करने वाला फॉर्म-8 न भरकर नया रजिस्ट्रेशन वाला फॉर्म-6 भर देते हैं. ऐसे में उनका पुराना कार्ड यथावत बना रहता है और नया कार्ड भी बन जाता है. लेकिन वोटर कार्ड इतना महत्वपूर्ण नहीं है. वोटर कार्ड न हो और लिस्ट में नाम हो तब भी आयोग के मुताबिक, 11 दस्तावेज दिखाकर वोट डाला जा सकता है.

लोक प्रतिनिधित्व कानून क्या कहता है?

लोक प्रतिनिधित्व कानून में भी दो निर्वाचक क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन को अवैध बताया गया है. कानून की धारा 17 कहती है कि एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में किसी व्यक्ति का नाम रजिस्टर नहीं किया जाएगा. धारा 18 के मुताबिक, किसी निर्वाचन क्षेत्र में कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार रजिस्टर नहीं हो सकेगा.

तेजस्वी यादव वाले मामले में अगर दो में से कोई एक ईपिक नंबर फर्जी है तो जाहिर है उसके लिए फर्जी तरीके अपनाए गए होंगे. ऐसे में लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 31 के तहत ऐसे मामलों में एक्शन लिया जा सकता है. यह धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति वोटर्स लिस्ट के रिवीजन में गलत घोषणाएं करता है या गलत जानकारी देता है और वह ऐसा जानबूझकर करता है तो उसे एक साल तक की जेल हो सकती है. जुर्माना भी लगाया जा सकता है या दोनों ही सजाएं दी जा सकती हैं.

खैर, मामले में चुनाव आयोग ने तेजस्वी को नोटिस भेजा है. उनसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए EPIC नंबर से संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं. देखना ये है कि इसके बाद चुनाव आयोग उन पर क्या कार्रवाई करता है. संभावना है कि अगर उनके पास दो वोटर कार्ड है तो एक कार्ड आयोग सीज कर ले. 

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