The Lallantop
Advertisement

जेसिका लाल हत्याकांड की पूरी कहानी

1999 में दिल्ली के एक बार में मॉडल जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी

Advertisement
जेसिका
दिल्ली के पॉश इलाके में हुआ जेसिका लाल हत्याकांड जिसमें जेसिका ने बहन ने सालों इंसाफ की लड़ाई लड़ी (तस्वीर: Getty एंड times of India)
pic
लल्लनटॉप
29 अप्रैल 2022 (Updated: 4 मई 2022, 04:34 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

आज ही के दिन यानी 29 अप्रैल 1999 की बात है. सबरीना लाल अपने ऑफिस में थी जब उन्हें एक कॉल आया. सामने से आवाज आई, जल्दी से हॉस्पिटल आ जाओ, शोना को चोट लगी है. इससे पहले कि सबरीना ऑफिस से निकल पाती, कॉल दुबारा आया. और अबकी बार खबर मिली कि शोना को असल में गोली लगी है. 

शोना, सबरीना की बड़ी बहन का नाम था. उसी सुबह शोना ने सबरीना को ऑफिस छोड़ते हुए कहा था “शाम को टैमरिंड कोर्ट आना. मजे करेंगे”. काम की वजह से सबरीना पार्टी में नहीं जा पाई थी. और अब उन्हें सीधे खबर मिल रही थी कि उनकी बहन को किसी ने गोली मार दी है. कैसे हुआ था ये सब?

29 अप्रैल की रात

महरौली की क़ुतुब कोलोनेड हवेली के अंदर एक रेस्टोरेंट हुआ करता था. टैमरिंड कोर्ट. दिल्ली की हाई क्लास सोसायटी में पहचान रखने वाली बीना रमानी इस रेस्टोरेंट की मालिक थीं. वो और उनके पति जॉर्ज मेलहॉट साथ मिलकर रेस्टोरेंट चलाया करते थे. उनकी एक बेटी भी थी. मालिनी रमानी. जो मॉडलिंग में अपनी किस्मत आजमा रही थी. 29 अप्रैल बृहस्पतवार का दिन ख़ास था. बीना के पति जॉर्ज कनाडा जा रहे थे. और इसी के चलते रेस्टोरेंट में एक फेयरवेल पार्टी रखी गई थी.

Jesica
5 जनवरी 1965 को जेसिका का जन्म हुआ था. जब उनकी हत्या हुई उनकी उम्र सिर्फ 34 साल थी (तस्वीर: AFP)

चूंकि पार्टी में हाई क्लास लोगों को बुलाया गया था. इसलिए वेटरिंग के लिए भी खास व्यवस्था की गई थी. मालिनी ने अपनी दोस्त जेसिका लाल को इस पार्टी में बार टेंडिंग करने का ऑफर पेश किया था. और जेसिका भी खुशी-खुशी राजी हो गई थी.

रात के बारह बजे जब पार्टी ख़त्म होने की ओर थी. टैमरिंड कोर्ट में एक शख्स दाखिल होता है. अपने तीन दोस्तों के साथ. इस शख्स का नाम था सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ़ मनु शर्मा. मनु शर्मा हरियाणा के कद्दावर कांग्रेस नेता विनोद शर्मा का बेटा था. उसके साथ विकास यादव भी था. विकास यादव यूपी के बाहुबली नेता DP यादव का बेटा था. इन इन दोनों के अलावा दो और लोग भी पार्टी में आए थे. अमरदीप गिल और आलोक खन्ना.

पहले मनु शर्मा को 29 की रात अपनी मां के साथ चंडीगढ़ निकलना था. लेकिन अपने पिता से खौफ खाने वाला मनु उस रोज़ चंडीगढ़ न जाकर दिल्ली ही रुकना चाहता था. चारों दोस्त फन्यू फ्रेंड्स कॉलोनी की एक कोठी में ठहरे थे. शराब का दौर चल रहा था. इतने में मनु को याद आया कि आज तो बृहस्पतिवार है. उसे टैमरिंड कोर्ट की याद आई जहां हर बृहस्पतवार थर्सडे स्पेशल पार्टी हुआ करती थी.

जेसिका लाल की हत्या

चारों दोस्तों ने गाड़ी उठाई और महरौली पहुंच गए. रात के साढ़े बारह बजे थे. पार्टी में पहुंचकर मनु शर्मा बार में पहुंचा. वहां जेसिका लाल और उसका दोस्त शायन मुंशी बारटेंडिंग कर रहे थे. मनु ने शराब मांगी लेकिन जेसिका ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि शराब खत्म हो गई है. मनु ने हजार का नोट निकाला और जेसिका को देते हुए दोबारा शराब मांगी. जेसिका ने दोबारा मना कर दिया. अपने दोस्तों के सामने बेज्जती होता देख, मनु शर्मा ने जेब से .22 बोर की रिवाल्वर निकाली और हवा में तान कर फायर कर दी. जेसिका अब भी शराब देने से इंकार कर रही थी. एक और बार उसने इंकार किया तो मनु शर्मा ने रिवाल्वर जेसिका की तरफ ताना और फायर कर दिया.

Untitled Design
मनु शर्मा की एक फ़ाइल फोटो (तस्वीर: AFP)

जेसिका वहीं गिर पड़ी. पार्टी में लोग इस कदर नशे में थे कि कुछ देर तक किसी को कुछ समझ ही नहीं आया. बीना रमानी जेसिका के पास पहुंची. उन्होंने मनु शर्मा की तरह देखते हुए पूछा, तुम कौन है और पार्टी में पिस्तौल लेकर क्यों आए. मनु शर्मा ने कहा, मैंने गोली नहीं चलाई. और वो अपने तीन दोस्तों के साथ वहां से निकल गया.

जेसिका को अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी. उधर मनु पार्टी से निकला और उसने एक जगह जाकर अपनी पिस्तौल जमीन में गाढ़ दी. इसके बाद चारों दोस्त विकास यादव के गाजियाबाद वाले बंगले में गए और रात भर वहीं ठहरे. मनु शर्मा ने अपने एक दोस्त मनु झिंगन से कहा कि वो छुपाई हुई पिस्तौल निकाले और उसे डिस्ट्रॉय कर दे.

नो वन किल्ड जेसिका

इसके बाद मनु शर्मा और विकास यादव दोनों वहां से फरार हो गए. पुलिस में केस पहुंचा. 4 मई को पुलिस सबसे पहले अमरदीप सिंह गिल को गिरफ्तार करती है. इसके बाद आठ मई को बीना रमानी और उनके पति को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है. बीना रमानी के ऊपर इल्जाम था कि वो बिना लाइसेंस के पार्टी में शराब सर्व कर रही थी. और जिस पार्टी को वो प्राइवेट पार्टी बता रही थीं. वो असल में एक बहाना था. पार्टी में कोई भी आ सकता था. शर्त सिर्फ इतनी थी कि वो दिल्ली की हाई क्लास सोसाइटी से ताल्लुक रखता हो.

Nokj
फैसले के अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया की हेडलाइन (तस्वीर: टाइम्स ऑफ इंडिया)

बीना रमानी के ऊपर एक इल्जाम ये भी था कि उन्होंने जेसिका के खून के निशान साफ़ करवा दिए थे. जिसके चलते उन पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगा. इसके बावजूद बीना और उनके पति को इस मामले में जमानत मिल गई. पिस्तौल को नष्ट करने वाला अमित झिंगन भी पुलिस के हत्थे लग चुका था. लेकिन अभी भी मुख्य आरोपी पुलिस की पहुंच से बाहर थे. 29 मई की तारीख थी जब विकास यादव दिल्ली पुलिस के पास पहुंचा. तब पता चला कि इस दौरान वो मिजोरम जाकर वहां के एक कोर्ट से अंतरिम जमानत लेकर आया था. मनु शर्मा को भी इसी बीच गिरफ्तार कर लिया गया था.

हाई प्रोफ़ाइल केस था. जिसकी खबर सारी दुनिया को लग चुकी थी. पार्टी में उस दिन दिन बहुत से लोग मौजूद थे. जिनमें से कई ने उस दिन मनु शर्मा को वहां देखा था. इसलिए केस जब कोर्ट में गया तो सबको लगा ओपन एन्ड शट केस है. 3 अगस्त को पुलिस इस मामले में अपनी चार्जशीट दाखिल करती है. 6 साल मुक़दमा चलने के बाद 21 फरवरी 2006 को इस केस में अदालत का फैसला आता है. सभी लोगों को रिहा कर दिया गया था. अगले दिन अखबारों में खबर छपती है. नो वन किल्ड जेसिका. ओपन एंड शट केस होने के बावजूद कोर्ट ने आरोपियों को रिहा क्यों कर दिया?

गवाहों का पलटना

इसका कारण था पुलिस, सत्ता और पैसे का गठजोड़. मनु शर्मा की गिरफ्तारी के कुछ रोज़ बाद विनोद शर्मा जेसिका की बहन सबरीना के घर पहुंचते हैं. और उन्हें एक गुलदस्ता देते हुए सांत्वना जाहिर करते हैं. परदे के पीछे एक अलग ही खेल चल रहा था. उस दिन रेस्टोरेंट में 100 के आसपास लोग थे. इनमें से कई ने शुरुआती बयान में मनु शर्मा का नाम भी लिया. लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचा तो एक के बाद एक गवाह मुकरते गए. जेसिका बताती है कि खुद बीना रमानी ने उनसे कहा था, “ये रसूख वाले लोग हैं इनसे पंगा मत लो.”

Shyan
शायन मुंशी (तस्वीर: Getty)

3 मई 2001 को इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण गवाही हुई. शायन मुंशी की. मुंशी ने पुलिस को दिए लिखित बयान में साफ़-साफ बताया था कि मनु शर्मा ने ही जेसिका को गोली मारी है. लेकिन जब कोर्ट में बयान देने की बारी आई. तो उसने एक नई ही कहानी सुना दी. उसने बताया कि उस दिन रेस्टोरेंट में दो पिस्तौलों से गोली चली थी. पहली बार मनु शर्मा ने छत की तरफ बन्दूक उठाकर गोली चलाई थी. और दूसरी गोली चलाने वाला शख्स कोई और था. और उसी गोली से जेसिका की मृत्यु हुई थी. इतना ही नहीं उसने गोली चलाने वाले दूसरे आदमी का हुलिया भी बताया. जब पुलिस को दिए लिखित बयान के बारे में पूछा गया, तो उसने बोल दिया कि उसे तो हिंदी में लिखना ही नहीं आता. उसने कहा कि लिखित बयान पुलिस ने बनाया था और उससे हस्ताक्षर करवा लिए थे.

पुलिस को कभी जुर्म का हथियार नहीं मिल पाया. कोई गवाह भी नहीं था. ऐसे में एक मात्र सबूत जो बचा था वो थे गोली के खोखे जो उस दिन रेस्टोरेंट से बरामद हुए थे. फॉरेंसिक टेस्टिंग में सामने आया कि दोनों खोखे अलग-अलग बन्दूक के थे. कोर्ट के पास इन लोगों को रिहा करने के अलावा कोई चारा नहीं था. कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे पुलिस ने इस मामले में मुजरिम को बचाने की कोशिश की थी. तब दिल्ली पुलिस कमिश्नर को मीडिया में इस बात की सफाई देनी पड़ी थी.

लेकिन इतने से कुछ न होना था. भारत में हर कोई जानता था कि बड़े बाप का बेटा होने का मतलब है आपको चालान देने की जरुरत नहीं. और भी कई नियम क़ानून आपके लिए लागू नहीं होते. लेकिन सरेआम हत्या कर बचकर निकल जाना, इस बात ने लोगों के अंदर भरे गुस्से को भड़का दिया. सारे देश में विरोध प्रदर्शन हुए. कैंडल मार्च निकाले गए. इस बीच सबरीना की मां कैंसर से मर चुकी थी. और उनके पिता को चार बार स्ट्रोक आ चुका था. कुछ वक्त वाद उनकी भी मृत्यु हो गई. सबरीना कहती हैं, “मनु शर्मा ने सिर्फ मेरी बहन की हत्या नहीं की. उसने मेरे पूरे परिवार को मुझसे छीन लिया.”

स्टिंग ऑपरेशन से निकली सच्चाई

मीडिया ने इस केस में एक बड़ा रोल अदा किया. तहलका मैगज़ीन ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया. इस स्टिंग में शायन मुंशी के पास एक पत्रकार फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा आदमी बनकर पहुंचा. और एक फिल्म के रोल के सिलसिले में उससे बात की. बातों बातों में पत्रकार ने कहा, “लेकिन ये तो हिंदी फिल्म है और आपको तो हिंदी आती ही नहीं” तब शो ऑफ करने के लिए शाइन ने हिंदी फिल्मों के धाराप्रवाह डॉयलॉग सुनाए.

Sabrina
जेसिका की बहन सबरीना लाल (फ़ाइल फोटो)

ऐसे ही कुछ और स्टिंग ऑपरेशन सामने आए जिनमें गवाहों ने बताया कि कैसे उन्हें डराया धमकाया गया था. एक रिकॉर्डिंग भी सामने आई जिसमें पुलिस के सामने मनु शर्मा का इकबालिया बयान रिकॉर्ड था. अंत में पब्लिक प्रेशर से इस केस सी दुबारा तहकीकात हुई. हाई कोर्ट ने लगातार 25 दिनों तक इस केस की सुनवाई की. इसके बाद लोवर कोर्ट के फैसले को बदलते हुए मनु शर्मा को आजीवन कारावास और विकास यादव को 4 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. पूरी तहकीकात में ये भी सामने आया कि फॉरेंसिक लैब से भी गलत रिपोर्ट बनाई गई थी. और कोर्ट ने ये भी माना कि शायन मुंशी ने कोर्ट में झूठ बोला था. उस पर प्रेजुरी का मुकदमा चलाया गया. 

नितीश कटारा हत्याकांड

2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की आजीवन कारावास की सजा बरक़रार रखी. विकास यादव को सिर्फ चार साल की सजा मिली थी. लेकिन जेसिका लाल केस में जमानत पर बाहर होने के दौरान उसने एक और कांड किया. 17 फरवरी 2002 की बात है. बुलंदशहर में पुलिस को एक व्यक्ति की लाश मिली. हत्या कर शव को जलाने की कोशिश की गई थी. बाद में पता चला कि ये नितीश कटारा की लाश थी. और हत्या करने वाला था विकास यादव और उसका चचेरा भाई विशाल यादव.

Katar
नितीश कटारा और विकास यादव (तस्वीर: Wikimedia Commons)

हत्या का कारण था नितीश कटारा और विकास की बहन भारती यादव की दोस्ती. परिवार की इज्जत के नाम पर नीतीश की हत्या कर दी गई थी. 16 फरवरी की रात विकास और विशाल नितीश से एक शादी की पार्टी में मिले थे. और उसे अपने साथ एक SUV में बिठाकर ले गए थे. इसके बाद दोनों ने नितीश की हत्या कर शव को आग लगा दी.

इस मामले में भी जेसिका केस की कहानी दोहराई गई. कुल चार गवाह थे जिन्होंने घटना की रात नितीश को विकास और विशाल के साथ जाते देखा था. उनमें से तीन ने ऐन मौके पर गवाही देने से मना कर दिया. और एक कोर्ट में अपने बयान से मुकर गया. इस केस में भी इंसाफ के लिए सालों लग गए. साल 2015 में हाई कोर्ट ने विकास यादव को नितीश की हत्या का मुजरिम मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

साल 2020 में मनु शर्मा को अच्छे बर्ताव के चलते जेल से रिहाई मिल गई. अपनी बहन के लिए सालों लड़ाई लड़ने वाली जेसिका की बहन सबरीना ने भी उसे माफ करते हुए कहा, ”मैं ईसाई हूं और माफ करने में यकीन रखती हूं. मेरी मां ने मनु को 1999 में ही माफ कर दिया होता, अगर उसने खुद माफी मांगी होती. मैंने अपनी बहन और मां-बाप को खो दिया है. हमारी ज़िंदगी में एक वक्त वो भी आता है, जब हमें कुछ चीज़ों को पीछे छोड़ देना होता है. मैं विक्टिम वेलफेयर बोर्ड की ओर से मिलने वाले पैसे भी नहीं लेना चाहती. इन्हें किसी ज़रूरतमंद को दे देना चाहिए.”

साल 2021 में सबरीना की भी लिवर की बीमारी के चलते अस्पताल में मृत्यु हो गई.

तारीख़: हिंदू धर्म छोड़ आंबेडकर ने बौद्ध धर्म क्यों अपना लिया था?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement