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ये आदमी था सेक्रेड गेम्स का ‘असली’ गुरुजी!

खुद को बुद्ध, शिवजी और ईसा मसीह का अवतार कहने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक कल्ट लीडर जिसने अपने ही लोगों पर जहरीली गैस छोड़ दी.

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Aum Shinrikyo Sacred Games
1995 हमले के बाद ओम शिनरीक्यो संगठन ने नाम बदलकर दो संगठनों का रूप ले लिया- एलेफ और हिकारी नो वा. (तस्वीर: reddit/LouisPastel)
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कमल
20 मार्च 2023 (Updated: 20 मार्च 2023, 07:29 AM IST) कॉमेंट्स
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एक शख्स था जो खुद को कभी शिवजी, कभी भगवान बुद्ध तो कभी ईसा मसीह का अवतार बताता था. लोगों को प्रलय की कहानियां सुनाता था. कहता था, तबाही आने वाली है. जो उसके साथ है सिर्फ वही बचेगा. बाकी दुनिया के लिए उसके पास एक स्कीम थी. स्कीम ये कि उसके हाथों जिसे मौत मिलेगी वो सीधा स्वर्ग जाएगा. अक्सर कई सिरफिरे ऐसी थियोरी देते रहते हैं. लेकिन ये शख्स अलग था. उसने थियोरी के प्रैक्टिकल की तैयारी करके रखी थी. प्रैक्टिकल ऐसा कि जापान जिसने 1990 के दशक तक आतंक का नाम तक न सुना था, उसे अपने नागरिकों की लाशें समेटनी पड़ीं. (Aum Shinrikyo)

20 मार्च, 1995 की तारीख. जापान के सबवे में एक भयानक घटना हुई. सबवे यानी जैसे मेट्रो होती है, वैसे ही समझ लीजिए. उस रोज़ कुछ लोगों ने सबवे में जहरीली सारिन गैस छोड़ दी. सारिन दरअसल एक नर्व एजेंट होता है. एक खतरनाक केमिकल गैस जिसका 1 मिलीलीटर चमड़ी से छू जाए तो इंसान मिनटों में मर सकता है. सारिन की जितनी खुराक उस रोज़ ट्रेन में मौजूद थी, हजारों को मारने के लिए काफी थी. खुशकिस्मती से मरने वालों की संख्या इतनी नहीं थी. उस रोज़ 13 लोग मारे गए. और 6000 के लगभग बीमार पड़े. ये सिर्फ शुरुआत थी.(Tokyo subway sarin attack) प्लान था, टोक्यो के 10 लाख लोगों को मारने का. जापान के इतिहास में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला था. हालांकि इस हमले के बीज इस घटना से कई दशक पहले पड़ चुके थे. कौन था इस हमले का मास्टरमाइंड. जानने के लिए चलते हैं साल 1955 में.

पूत के पांव पालने में 

उस साल जापान के छोटे से गांव में चटाई और दरी बनाने वाले एक परिवार में जन्म हुआ, चिज़ुओ मात्सुमोतो(Chizuo Matsumoto) का. उसे बचपन से ग्लूकोमा नामक बीमारी थी. एक आंख की रोशनी चली गई थी. और एक से धुंधला दिखता था. मां बाप ने दृष्टिहीन स्कूल में भर्ती करवा दिया. पूत के पांव पालने में ही दिखने लगे थे. मात्सुमोतो एक बुली था. स्कूल के बाकी बच्चों को मारता, उनसे पैसे छीन लेता. टीचर कुछ कहते तो धमकी देता,

”मैंने मारने की धमकी ही तो दी है, मारा तो नहीं है”.

शोको असाहारा का जन्म साल 1955 में क्यूशू द्वीप में हुआ था (तस्वीर: sundance)

ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद मात्सुमोतो ने एक फार्मेसी शुरू की. जड़ी-बूटियां बेचने लगा. उसी साल उसने शादी की. इस शादी से उसे 6 बच्चे हुए. सब कुछ सही चलने लगा था कि फिर उसकी फार्मेसी पर रेड पड़ गई. बिना लाइसेंस की दवाई बेचने के चलते उस पर जुर्माना लगा. मात्सुमोतो का धंधा बंद हो गया. वो बेरोजगार हो गया. खाली बैठे-बैठे क्या करता. उसने किताबें पढ़नी शुरू कीं. धार्मिक किताबें भी उसके हाथ लगीं. उसने बौद्ध धर्म की तिब्बती शाखा, और ईसाइयत के बारे में पढ़ा. उसमें हिन्दू धर्म के बारे में उत्सुकता जागी. वो भारत गया और हिन्दू धर्म की साधना की. दो साल बाद लौटकर उसने घोषणा की कि वो निर्वाण प्राप्त कर चुका है.

उसने अपना नाम बदल लिया. चिज़ुओ मात्सुमोतो अब शोको असाहारा(Shoko Asahara) बन चुका था. हालांकि इतने से वो संतुष्ट न था. उसे भगवान बनना था. एक नया भगवान. और इसके लिए उसे जरूरत थी एक धर्म की.

ओम शिनरीक्यो

ओम शिनरीक्यो- ये नाम था उस नए धर्म का, जिसे असाहारा ने रचा. हिंदी में बोले तो ‘सबसे ऊंचा सच’. क्या था ये सच?

असाहारा ने घोषणा की, जो धर्म इंसान को दिव्य शक्तियां नहीं देता, वो धर्म झूठा है. उसके अनुसार सिर्फ उसका धर्म ऐसा कर सकता था. और इसका प्रमाण वो खुद था. वो कहता था कि वो दिव्य तल में जाकर भगवान शिव से बात कर सकता है. और शिव से उसे शक्तियां मिली हैं. असाहारा का दावा था कि वो पानी में 6 घंटे तक सांस रोके रह सकता है. हवा में उड़ सकता है. और दीवार के आर-पार देख सकता है. उसने ऐसी फ़र्ज़ी फोटो भी छपवाई, जिसमें वो जमीन के ऊपर तैरता देखा जा सकता था. उसने लोगों से कहा कि ये शक्तियां उन्हें भी मिल सकती हैं, बशर्तें वो उस पर पूरी आस्था रखें.

शोको असाहारा ने ख़ुद को ईसा और बुद्ध के बाद दूसरा बुद्ध घोषित किया था. (तस्वीर: SCMP)

असाहारा की बातों से जुड़कर धीरे-धीरे लोग उसके धर्म में शामिल होने लगे. हालांकि इस नए धर्म को फॉलो करना आसान नहीं था. आपको अपनी संपत्ति धर्म के नाम करनी होती थी. उबलते पानी से नहाने जैसे कठिन प्रयोग करने होते थे. यहां तक कि असाहारा अपने फॉलोवर्स से खून पीने को कहता था. असाहारा का खून. लोग उसके नहाए पानी का आचमन करते थे. कुछ ही वक्त में असाहारा ने घोषणा की कि वो बुद्ध का अवतार है. उसके भक्तों की संख्या एक छोटे-मोटे धर्म के लिए पर्याप्त हो चुकी थी. पब्लिक में वो लोगों से कहता कि वो एक शांति दूत है. लेकिन प्राइवेट में अपने खास फॉलोवर्स के सामने डींगें हांकता कि एक दिन वो जापान का सम्राट बनेगाा.

धर्म और राजनीति

साल 1989 में ओम शिनरीक्यो को सरकार से आधिकारिक धर्म का सर्टिफिकेट मिल गया. यहां से असाहारा की ताकत लगातार बढ़ती गई. वो लोगों पर और अधिक पैसे देने के लिए जोर डालने लगा. जो ऐसा न करता, उसे टॉर्चर किया जाता. कई लोगों की किडनैपिंग से भी उसकी संस्था का नाम जुड़ा. वो इतना ताकतवर हो चुका था कि एक नामी वकील की हत्या करने पर भी कोई उसका कुछ न बिगाड़ पाया. बल्कि अगले ही साल उसने चुनाव में उतरने की तैयारी कर डाली.

फरवरी 1990 में जापान में चुनाव हुए. असाहारा ने अपने उम्मीदवार तो खड़े किए ही, वो खुद भी इन चुनावों में खड़ा हुआ. लेकिन यहां उसके अरमानों को एक बड़ा झटका लगा. चुनावों में उसे उम्मीदवारों सहित महज 1700 वोट मिले. इस हार से वो इतना झल्लाया कि उसने अपने धर्म का पूरा कलेवर ही बदल डाला. 

उसने घोषणा की कि अब वो ईसा मसीह का अवतार है. बाइबिल के हवाले से वो प्रलय की बात करने लगा. उसने दावा किया कि जल्द ही दुनिया ख़त्म हो जाएगी. और सिर्फ वो लोग बचेंगे जो उसके साथ होंगे. इतना तो ठीक था. उसने अपने धर्म में ये बात भी जोड़ दी कि जो उसके भक्तों के हाथों मारा जाएगा, उसे स्वर्ग नसीब होगा. इस काम को अंजाम देने के लिए उसने एक ख़ुफ़िया योजना बनाई. योजना जिसमें शामिल थे खतरनाक जैविक और केमिकल हथियार.

परमाणु हमले की तैयारी 

साल 1992 की बात है. असाहारा ने अपने कुछ लोगों को जापान के ऐसे इलाके में भेजा जहां इबोला फैला हुआ था. कहने को ये लोग बीमारों की मदद के लिए गए थे. लेकिन इनका एक सीक्रेट मकसद था. असाहारा इबोला वाइरस के जीवाणु इकट्ठा करना चाहता था. साथ ही उसने बोटुलिनम और सारिन जैसे ज़हर भी जमा किए. साल 1994 में उसने अपने फॉलोवर्स से कहा कि अब अंत का समय नजदीक आ चुका है. और उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वर्ग भेजने की कोशिश करनी होगी. यहां से ओम शिनरीक्यो का तांडव शुरू हुआ. 

ओम शिनरीक्यो को अमरीका समेत कई देश आतंकवादी संगठन मानते है (तस्वीर: Getty)

शुरुआत हुई कुछ छोटे-मोटे हमलों से. ओम शिनरीक्यो के सदस्यों ने कई बार पब्लिक में सारिन गैस का छिड़काव किया. किस्मत अच्छी थी कि गैस ठीक से तैयार नहीं हुई थी. इसलिए किसी की मौत न हुई. असाहारा यहीं न रुका. उसकी तैयारी इतनी थी कि एक छोटा मोटा युद्ध हो जाए.

उसके आश्रम में सारिन गैस के कई ड्रम खड़े थे. Ak- 47 राइफलों का जखीरा जमा था. उसके गुर्गों ने एक मिलिट्री कांट्रेक्टर को अगवा कर उससे टैंक बनाने के ब्लूप्रिंट निकलवा लिए थे. यहां तक कि रूस से खरीदकर एक मिलिट्री हेलीकॉप्टर भी अपने आश्रम में खड़ा करवा लिया था. तैयारी यहीं ख़त्म न हुई थी. असाहारा ने ऑस्ट्रेलिया में एक जमीन खरीदी. इस जमीन की खास बात ये थी कि यहां यूरेनियम के भण्डार थे. असाहारा का प्लान था इस यूरेनियम को निकाल कर एक परमाणु बम तैयार करवाना. इस काम में वक्त लगना था, जो असाहारा के पास बिलकुल नहीं था. साल 1994 के आख़िर के महीनों में उसने ऐलान किया कि क़यामत का वक्त अब एकदम नजदीक है. उसके इरादे खतरनाक थे. जिसने भी उसकी मुखालफत की कोशिश की, उसे फांसी पर लटका दिया गया. जो साथ थे, उन्हें एक जिम्मेदारी दी गई. टोक्यो पर कहर ढाने की तैयारी.

जहरीली गैस का हमला 

20 मार्च, 1995. असाहारा के हिसाब से प्रलय का पहला दिन था. इस रोज़ के लिए उसने एक खास प्लान बनाया था. उसने 15 लोगों को 3 अलग-अलग टीमों में बांटा. हर टीम को सारिन से भरा एक थैला दिया गया. थैले को अखबार से लपेटा गया था. 20 मार्च की सुबह-सुबह ये 3 टीमें टोक्यो के अलग-अलग इलाकों से सबवे में चढ़ीं. टीम के हर सदस्य के पास नुकीले सिरे वाला छाता था. सारिन से भरे बैग को ट्रेन में रखकर उन्होंने बैग में छाते से छेद किए और ट्रेन से बाहर निकल गए. 

कुछ ही देर में वहां मौजूद लोगों की आंखों में जलन होने लगी. लोगों का का दम घुटने लगा, उल्टियां होने लगीं, कुछ अंधे हो गए और कुछ लकवे के शिकार हो गए. इस हमले का असर 6 हजार लोगों पर हुआ. हालांकि तैयारी आगे और हमले करने की थी. लाखों को मारने की. इस हमले ने जापान को हिलाकर रख दिया. जापान के इतिहास में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला था. सरकार तुरंत हरकत में आई. 

शोको असाहारा को साल 2004 में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी (तस्वीर: Getty)

ओम शिनरीक्यो के आश्रम में पुलिस ने रेड मारी. पुलिस ने अपनी तहकीकात में पाया कि उनका अगला प्लान हाइड्रोजन सायनाइड से हमला करने का था. लेकिन उससे पहले ही असाहारा और उसके गुर्गों को गिरफ्तार कर लिया गया. भगवान अब अपने भक्तों समेत जेल में था.

टॉइलेट जाना बंद 

रस्सी जल गई थी. बल नहीं गया था. केस की सुनवाई के दौरान असाहारा अदालत में अनर्गल भाषण देने लगता था. वो बार-बार कहता, मुझे बचाने के लिए चमत्कार होगा. चमत्कार हुआ नहीं. असाहारा को उसके 12 साथियो के साथ फांसी की सजा हुई. लेकिन फांसी के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ा. फांसी से पहले असाहारा 24 साल जेल में रहा. इस दौरान वो किसी से बात नहीं करता था. यहां तक कि टॉयलेट भी नहीं जाता था. एक डायपर पहनता था. और उसी में फारिग होता था. 

साल 2018 में उसे फांसी दे दी गई. हालांकि शोको असाहारा की कहानी यहां ख़त्म न हुई. साल 2000 में उसके धर्म ओम शिनरीक्यो का नाम बदलकर अलिफ़ रख दिया गया. और उसकी कमान एक नए लीडर ने संभाल ली. उसने खुद के भगवान होने की घोषणा नहीं की. शायद उन सभी का हश्र देखकर जो भगवान होने का दावा करते थे. 

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