ये है दुनिया की सबसे फेमस और सबसे कमाऊ बिल्ली
तामा, जिसने डूबते हुए रेलवे स्टेशन को बचा लिया, और अब उसे देवी की तरह पूजा जाता है.
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Photo-bustle
जापान में बिल्लियों को बहुत शुभ माना जाता है. डोरेमोन भी बिल्ली ही है. जिसको इमरान खान कहते हैं, हम पाकिस्तान में न दिखने देंगे. तो बात एक बिली की जापान के वाकायामा एरिया में एक छोटा सा कस्बा है किशी. एक बार किशी में रेलवे वालों को भटकता हुआ बिल्ली का एक बच्चा मिला. अच्छे लोग थे उन्होंने पाल लिया. प्यार से बिलौंटी का नाम रखा तामा. 2004 का टाइम था, कंपनी ने तब तक बिल्ली को गोद ले लिया था. जो कंपनी थी, उसको लगा उस स्टेशन से कमाई नहीं हो रही. स्टेशन पर स्टेशन मास्टर रखना फिजूल का खर्चा है. स्टेशन मास्टर हटा लिए गए. बिल्लीबा वहीं रहती तो 2007 में बिलरिया को स्टेशन मास्टर बना दिया गया.
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तो तनख्वाह में मिलता बिल्लियों को खाना. बिल्ली को स्टेशन मास्टर की पोस्ट जो मिली तो स्टेशन मास्टर की टोपी भी मिली. बाद में दो और बिल्लियां तामा को असिस्ट करने आ गईं. चीबी और मीको. तामा रोज आने-जाने वालों को सलाम करती. छोटा सा स्टेशन फेमस होने लगा. तामा की प्रसिद्धि ऐसे फ़ैल रही थी, जैसे कोई विशुद्ध अफवाह फ़ैल जाती है. सिर्फ उस बिल्ली को देखने 2007 में 55 हजार लोग आए. ये आंकड़ा हिमेश रेशमिया की कजरारे देखने आए लोगों से नौ हजार एक सौ छियासठ गुणा ज्यादा है.
लोकल मार्केट को एक बिल्ली की वजह से जो कुल फायदा हुआ वो था 1.1 अरब येन. तामा इतनी फेमस हुई कि उस पर फ्रेंच और जर्मन में डॉक्यूमेंट्री फिल्में बन गईं. 2009 में रेलवे कंपनी ने नई ट्रेन चलाई नाम रखा. तामा दनेशा. गाड़ी पर जो दिखता था वो था एक बिल्ली का कार्टून और बिल्ली वही, आपकी तामा.

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2010 में किशी स्टेशन फिर बना. पूरे तामझाम के साथ, वही स्टेशन जहां कंपनी को स्टेशन मास्टर तक रखना महंगा लग रहा था. वही स्टेशन अब बिल्ली की तरह नजर आ रहा था. और स्टेशन के ऊपर लिखा था तामा.

इतनी फेमस होने के बाद पिछले साल जून की 22 तारीख को तामा की मौत हो गई. उसको हार्ट अटैक आया था. अब तो तामा डैमयोजिन नाम से उसकी पूजा भी होने लगी.