दुनिया का सबसे अमीर मंदिर, तहखाने का सातवां दरवाजा और कोर्ट का एक फैसला
केरल के पद्मनाथ स्वामी मंदिर की कहानी. कोर्ट का फैसला भी.
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“मंदिर के तहखाने का सातवां द्वार. इसके पीछे है खजाना. यहां कोई कुंडी नहीं है. कोई ताला नहीं. अंदर क्या-कैसा खजाना है, किसी को पता नहीं. दरवाजे की रक्षा करते हैं दो सांप. सांप, जिनकी आकृतियां दरवाजे पर बनी हैं. और जिनकी इजाज़त के बिना खजाने का ये दरवाजा खुल नहीं सकता.ये कहानी, ये जनश्रुति प्रचलित है एक मंदिर के लिए. दुनिया का सबसे अमीर मंदिर, जिसके पास है 75 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति (फोर्ब्स के एक आंकलन के अनुसार). और जिसके स्वामित्व पर विवाद इस कदर छिड़ा कि फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ा.
तो ये सांप इजाज़त कैसे और किसे देते हैं? इस दरवाजे को कोई सिद्ध पुरुष या कोई योगी ही खोल सकता है. गरुड़ मंत्र के शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण के द्वारा. लेकिन ध्यान रहे. उच्चारण सही नहीं हुआ, तो मृत्यु हो सकती है.”
मंदिर है केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर. भगवान विष्णु का मंदिर है. देश के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है.
इस मंदिर की संपत्ति पर किसका हक है? इसके मैनेजमेंट और रख-रखाव का ज़िम्मा कौन संभालेगा? इन सवालों का जवाब सुप्रीम कोर्ट ने दिया. 13 जुलाई को. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक हिस्सा.
“राजा की मृत्यु परिवार का अधिकार नहीं छीन सकती”
बात ये थी कि मंदिर के रख-रखाव और मैनेजमेंट का ज़िम्मा कौन संभालेगा? राज्य सरकार या त्रावणकोर रॉयल फैमिली? त्रावणकोर रॉयल फैमिली, जिसके पुरखों ने कभी मंदिर बनवाया था.2011 में केरल हाईकोर्ट ने फैसला राज्य सरकार के पक्ष में दिया था. त्रावणकोर रॉयल फैमिली ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. नौ साल बाद अब फैसला आया. कोर्ट ने कहा-
“पद्मनाभ स्वामी मंदिर के रख-रखाव और मैनेजमेंट का ज़िम्मा त्रावणकोर रॉयल फैमिली के पास ही रहेगा. मंदिर का निर्माण कराने वाले त्रावणकोर के राजा की मृत्यु उनके परिवार को इस अधिकार से वंचित नहीं कर सकती.”
कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि मंदिर से जुड़े मामलों को संभालने के लिए एक समिति बनाई जाए. तिरुवनंतपुरम के जिला जज इस समिति के चेयरपर्सन होंगे. समिति के सभी सदस्य हिंदू होंगे.LIVE THREAD {Supreme Court verdict in the Shree Padmanabhaswamy Temple Treasure Case }
A two bench of SC headed by J. UU Lalit will decide whether the Vault B of the ancient temple could be opened despite tales of "danger" surrounding it?#SupremeCourt
#Padmanabhaswamytemple
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— Bar & Bench (@barandbench) July 13, 2020
जब त्रावणकोर के राजा ने कहा- मैं हूं पद्ममनाभ दास
अब मंदिर की बात करते हैं. पद्मनाभ मंदिर के इतिहास की जड़ें छठी सदी तक जाती हैं. 1750 में त्रावणकोर के महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी पद्ममनाभ दास बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति पद्मनाभ को समर्पित कर दी. उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. मंदिर को वो स्वरूप मिला, जो कमोबेश आज भी है. 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने यहां शासन किया और मंदिर का काम-काज, मैनेजमेंट संभाला.2014 में मैनेजमेंट बदला
इसके बाद से ये काम एक ट्रस्ट के पास आ गया. इस ट्रस्ट का चेयरपर्सन शाही परिवार का ही कोई व्यक्ति रहता था. ये व्यवस्था अप्रैल, 2014 तक चली. जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि अब एक अंतरिम समिति बनाई जाए. जिला जज इसकी अध्यक्षता करें और नया फैसला आने तक ये समिति ही मंदिर का रख-रखाव करेगी.मंदिर के सातवें दरवाजे के पीछे क्या है?
मंदिर के मैनजमेंट का अधिकारी तय करने के लिए जब सारी कानूनी प्रक्रियाएं चल रही थीं, तो उसी बीच 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर के सभी तहखानों के दरवाजे खोले जाएं. ताकि कुल संपत्ति का अंदाजा लगाया जा सके. तहखाने के छह दरवाजे खोले गए. करीब एक लाख करोड़ रुपए के हीरे-ज़ेवरात मिले. सोने के पिलर्स मिले. सोने के हाथी, देवताओं की सोने की मूर्तियां, 18 फुट लंबे हीरे के नेकलेस, 66 पाउंड के सॉलिड नारियल के खोल मिले.मंदिर के छह तहखाने खोले जाने के बाद मिला खजाना. (फोटो सोर्स- Forbes)
अब बारी थी, तहखाने का सातवां दरवाजा खोलने की. वही दरवाजा, जिसे शापित माना जाता है. जिसके बारे में त्रावणकोर परिवार के मार्तंड वर्मा ने कहा-
“दरवाजा खुला, तो प्रलय आएगी. इस रहस्य को रहस्य ही रहने दिया जाए.”इतिहासकार और सैलानी एमिली हैच ने अपनी किताब Travancore: A guide book for the visitor
में इस दरवाजे के बारे में लिखा है-
“1931 में दरवाजा खोलने की कोशिश की गई. तब हज़ारों नागों ने तहखाने को घेर लिया था. लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा था. 1908 में भी ऐसी ही असफल कोशिश हो चुकी है.”सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर से जुड़ी आस्थाओं का सम्मान करते हुए सातवां दरवाजे खोलने से रोक दिया. यानी कई सौ साल से बंद ये दरवाजा बंद ही रह गया.
फोर्ब्स ने भी पद्मनाभ स्वामी मंदिर पर एक आर्टिकल में इस सातवें दरवाजे का ज़िक्र किया था. अनुमान लगाया था कि इस दरवाजे का पीछे जो खजाना है, वो बाहर आया, तो मंदिर की कुल संपत्ति एक ट्रिलियन डॉलर से ऊपर होगी. यानी कि करीब 75 लाख करोड़ रुपए.
अभी मंदिर के पास दो लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा की संपत्ति है, जो कि इसे देश का और अनुमान के तौर पर दुनिया के सबसे अमीर मंदिर बनाती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस संपत्ति पर अधिकार अब त्रावणकोर शाही परिवार का है. सातवां दरवाजा अभी भी बंद है. नागों का रहस्य अभी भी कायम है. साथ ही कायम है मंदिर पर लोगों की अटूट आस्था, जो कि इसे वैष्णवों के सबसे बड़े आस्था स्थलों में से एक बनाती है.
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