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Crypto Currency: वो खुफिया पईसा जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस्तेमाल करो

भारत में क्रिप्टो करंसी के आने से क्या होगा?

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5 मार्च 2020 (Updated: 5 मार्च 2020, 12:31 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2020 को क्रिप्टो करंसी पर लगे बैन को हटा दिया. अप्रैल 2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टो करंसी पर बैन लगाया था. RBI ने 2018 में क्रिप्टो करंसी के ट्रेडिंग से जुड़ी फाइनेंशियल सर्विस पर बैन लगाया था. RBI  ने क्रिप्टो करंसी में कारोबार नहीं करने के लिए निर्देश जारी किए थे. 2018 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि सरकार क्रिप्टो करंसी को कानूनी नहीं मानती है. इसके अवैध इस्तेमाल के खिलाफ उपाय किए जाएंगे. न्यूज़ एजेंसी PTI का यह ट्वीट देखिए. जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, एस रविंद्र भट और वी रामसुब्रमण्यन के जजों वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया है. RBI के 2018 के सर्कुलर को चुनौती देते हुए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को क्रिप्टो करंसी को लेकर 180 पेज का फैसला सुनाया. कोर्ट याचिका दायर करने वालों की कई चीजों से सहमत नहीं दिखा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भारत में क्रिप्टो करंसी का आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.

क्रिप्टो करंसी होती क्या है?

क्रिप्टो करंसी को वर्चुअल करंसी और डिजिटल करंसी के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया में इसकी कोई मानक परिभाषा नहीं है. कई एजेंसियों ने इसे एक्सचेंज वैल्यू का एक तरीका बताया है. कइयों ने इसे प्रोडक्ट भी बताया है. आसान भाषा में समझते हैं.
भारत में रुपया, बांग्लादेश में टका और अमेरिका की करंसी डॉलर है. यह फिजिकल करंसी होती है. आप लेनदेन के लिए कैश का इस्तेमाल करते हैं. मौजूदा वक्त में कई लोग ऑनलाइन नेट बैंकिंग का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ट्रांजेक्शन्स ऑनलाइन होते हैं. यह भी बैंक की देखरेख में होता है, लेकिन क्रिप्टो करंसी अलग है. क्रिप्टो करंसी एक ऐसी करंसी है जिसे किसी देश की सेंट्रल बैंक कंट्रोल नहीं करती. कोई इंटरनेशनल संगठन भी नहीं जिस पर इसका मालिकाना हक़ हो. कोई अथॉरिटी नहीं है.
क्रिप्टो करंसी एक वर्चुअल करंसी है. जो फिजिकक्ल नहीं होती. माने सिक्के और नोट की शक्ल में नहीं दिखती. इसे छापा नहीं जा सकता है. सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से स्टोर किया जा सकता है. क्रिप्टो करंसी के जरिए आप वर्चुअल चीजें खरीद-बेच सकते हैं. इसे पारंपरिक करंसी के विकल्प के तौर पर देखा जाता है. यह कंप्यूटर के एल्गोरिदम पर आधारित है.
सतोशी नाकामोतो को वर्चुअल करंसी 'बिटकॉइन' का संस्थापक माना जाता है और बिटकॉइन को पहला वर्चुअल करंसी माना जाता है. बिटकॉइन की तरह की लाइटकॉइन, पीरकॉइन, एथेरियम भी विर्चुअल करंसी है. फेसबुक भी 'लिब्रा' नाम की विर्चुअल करंसी को कंट्रोल करती है. 'लिब्रा' को लेकर अपडेट ये है कि फेसबुक इसमें कई बदलाव करके 'लिब्रा प्लस' के नाम से लॉन्च कर सकती थी.
क्रिप्टो करंसी को बहुत वोलाटाइल माना जाता है. माने कभी भी रेट ऊपर-नीचे जा सकता है. उदहारण के लिए बिटकॉइन का ही देखिए. बिटकॉइन सबसे चर्चित क्रिप्टो करंसी में से है. इसलिए इसका उदाहरण दिया जा रहा है.
Bitcoin Price Yearwise
स्क्रीनशॉट: गूगल


मौजूदा वक्त में 1 बिटकॉइन की कीमत 6 लाख 68 हजार रुपये है. पिछले साल इसी दिन यानी 5 मार्च 2019 को 1 बिटकॉइन की कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये थे. 15 दिसंबर 2017 को 1 बिटकॉइन की कीमत 12 लाख 59 हजार रुपये थी. ऐसे में आप देख सकते हैं कितनी जल्दी बिटकॉइन की कीमत ऊपर चढ़ती है और नीचे गिरती है.

क्रिप्टो करंसी काम कैसे करती है?

यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. ब्लॉकचेन में डेटा एक साथ नहीं होते हैं. बंटे हुए होते हैं. इंग्लिश में कहें तो डिस्ट्रिब्यूटेड डेटाबेस. इसमें लगातार रिकॉर्ड्स को मेंटेन किया जाता है, जिसे टेक की दुनिया में ब्लॉक कहते हैं. इसमें हर एक ब्लॉक अपने पहले के ब्लॉक से जुड़ा होता है. इस टेक्नोलॉजी में कई हजार कंप्यूटर पर डेटा सिक्योर और एन्क्रिप्टेड होते हैं. सुरक्षा के भी कई लेयर होते हैं. हैकिंग से फुलप्रूफ सिस्‍टम है.
क्रिप्टो करंसी इस्तेमाल करते वक्त क्रिप्टोग्राफी के नियमों के मुताबिक़ लेनदेन सिक्योर होता है. ऐसे में करंसी का हिसाब रखा जा सकता है. इसमें धोखाधड़ी की संभावना नहीं के बराबर है. क्योंकि ब्लॉकचैन पर किसी का फुल-फ्लेज कंट्रोल नहीं होता और गड़बड़ी की नहीं जा सकती.
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में कोई मिडिलमैन नहीं होता. ये सिर्फ बेचने और खरीदने वालों के बीच का काम है. रियल टाइम ट्रांजेक्शन होते हैं. क्रिप्टो करंसी के खोने का डर भी नहीं है. अगर आप क्रिप्टो करंसी से लेनदेन करते हैं तो इसका हिसाब आपको किसी को देना नहीं पड़ता. आपको अपने अकाउंट को हैकर्स से बचाने और पासवर्ड को याद रखने जैसी सावधानियां रखनी पड़ती हैं.
एक ओर तो ये कैशलेस और ग्लोबल फ्री इकॉनमी को बढ़ावा देती है साथ ही आतंकवाद, हथियार और ड्रग्स के कारोबार में भी इसका बड़ा इस्तेमाल होता है.

भारत में क्रिप्टो करंसी के आने से क्या होगा?

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सिरिल अमरचंद मंगलदास के क्रिप्टो करंसी के एक्सपर्ट एल विश्वनाथन ने कहा कि उम्मीद है कि RBI क्रिप्टो करंसी के लिए अपने पॉलिसी पर फिर से सोचेगी. भारत में इससे क्रिप्टो टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव आने वाला है. खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा कि इस फैसले से उन निवेशकों को मदद मिलेगी जिन्होंने बैंकिंग चैनलों के लिए लीगल मनी का इस्तेमाल किया था. फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बात करते हुए वजीरएक्स के फाउंडर और सीईओ निश्छल शेट्टी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है. इस फैसले से भारत के क्रिप्टो मार्केट को नया स्पेस मिलेगा. भारत बहुत बड़ा मार्केट है और इस फैसले का असर दुनिया की क्रिप्टो इकोसिस्टम पर पड़ने वाला है.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर RBI क्या करती है. देखना तो यह भी मजेदार होगा कि केंद्र सरकार इस फैसले पर क्या कदम उठाएगी. ये देखने लायक होगा कि कानून बनाने वाले और सरकार कैसे लीगल फ्रेमवर्क बनाती है और क्रिप्टो करंसी को कैसे रेगुलेट करेगी. क्रिप्टो करंसी से डील करने के लिए सबसे बड़ा चैलेंज यह होगा कि ट्रांजेक्शन को कैसे मॉनिटर किया जाएगा.


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