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अपने पैरोडी अकाउंट पर क्या कहते हैं सुब्रमण्यन स्वामी

स्वामी को सबकी पोल कैसे पता चलती है और बहुत कुछ बताया.

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सौरभ द्विवेदी
22 दिसंबर 2016 (Updated: 22 दिसंबर 2016, 01:17 PM IST) कॉमेंट्स
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बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी. उनके पास हर नेता, अधिकारी की एक फाइल होती है. उससे खुलासे होते हैं. स्वामी के दावे ऐसे कि अगर सब पर सच की मुहर लग जाए, फैसले आ जाएं, तो राजनीति डांवाडोल हो जाए. ऐसे नेता स्वामी से बात की लल्लनटॉप ने.

1. क्या कहते हैं स्वामी अपने पैरडी अकाउंट पर

साथी बताते हैं इस बारे में. कहते हैं कंप्लेंट करनी चाहिए. ये सब किराये के लोग हैं. करने दीजिए. लोकतंत्र में ऐसी चीजें नजरअंदाज करनी चाहिए.

2. स्वामी को सबकी पोल कैसे पता चलती है

मेरी भूमिका ऐसी थी. दिल्ली में पढ़ा. मेरे क्लासमेट्स सरकार में, विदेशी एंबेसी में, कई जगह बसे हैं. मैं कई सालों तक हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था. तो जगह-जगह स्टूडेंट हैं. उनका स्नेह अभी भी है. यहां दिल्ली की हुकूमत में मद्रासी बहुत हैं. वो बहुत मानते हैं. मैंने किसी को धोखा नहीं दिया. किसी ने जानकारी दी तो मैंने नाम का खुलासा नहीं किया. एक भरोसा है. जो मिलेगा उस पर कार्रवाई करेंगे. इसलिए लोग ताकतवर लोगों का सुराग मुझे देते हैं.

3. देश के युवाओं की सबसे बड़ी कमी

मेरे क्लास में हर साल जब कोर्स खत्म होता था हावर्ड में, अनेक देश से विद्यार्थी आते थे. मैं सवाल पूछता था. किस तरह का काम करोगे. अपना कारोबार, जिसमें जोखिम होगा. करोड़पति बन जाएंगे या खड्डे में गिर जाएंगे. या हर साल पांच फीसदी की तनख्वाह बढ़ोतरी वाली सेफ ऑप्शन. अमेरिकन पूछते थे कि मैं खड्डे में गिरूंगा इसकी प्रॉबेबिलिटी कितनी है. हिंदुस्तानी पूछते थे गारंटी वाली नौकरी कितनी हैं. हिंदुस्तानी की जोखिम न लेने वाली प्रवृत्ति है. ये नौजवानों की सबसे बड़ी कमी है.

4. अटल को मुझसे क्या दिक्कत थी

वो मुझे पसंद नहीं करते थे. इसीलिए 1998 में वादा करके भी वित्त मंत्री नहीं बनाया. सत्तर के दौर में लोग मेरी चर्चा कर रहे थे. मैं भेष बदलकर इंदिरा सरकार को मुंह चिढ़ाता हुआ संसद पहुंच गया था. फिर बिना पुलिस के पकड़ में आए, चला गया. सब सराह रहे थे. अटल ने भी ऊपरी तौर पर प्रशंसा की. मगर वह असल में चाहते थे कि इमरजेंसी के दौरान भूमिगत काम न करूं. उन्हें लगता था कि मेरे काम करने से इंदिरा चिढ़ी रहेंगी और इमरजेंसी नहीं हटेगी. फिर 1980 में जनता पार्टी टूटी तो उन लोगों ने बीजेपी बना ली, जबकि मैं जनता पार्टी में ही बना रहा. तबसे संबंध ऐसे ही रहे.

5. खाली वक्त में क्या करते हैं

मैंने सिनेमा कभी नहीं देखा. रामायण देखी है. वर्ल्ड वॉर जैसी चीजों पर बनी डॉक्युमेंट्री देखता हूं. न्यूज चैनल बहुत देखता हूं, देश विदेश के. डिफेंस कॉलेज के लिए आतंकवाद के विरुद्ध रणनीति पर विश्लेषण कर लेक्चर देता हूं. उसकी तैयारी में काफी किताबें पढ़ता हूं. भगवद गीता के कारण मन में एक शांति है. खेलकूद भी ज्यादा नहीं है. क्रिकेट खेलता था कॉलेज में. धोनी बहुत पसंद है मुझे. वो खेल रहा होता है, तो लगातार देखता हूं.

6. मेरा प्रिय व्यक्ति कौन

मनुष्य में तो कोई नहीं. कृष्ण भगवान को देखता हूं. उनकी सोच. उनके तरीके. मैं अकसर कहता हूं. सभाओं में, डिबेट में. मुस्लिम भाइयों से. आपने चालीस हजार मंदिर तोड़े. हमें तीन दे दो. बाकी रख लो. कुरुक्षेत्र में कहा था कृष्ण ने. पांच गांव दे दो. हस्तिनापुर रख लो. अलग अलग कारणों से कुछ और व्यक्तियों की प्रशंसा करता हूं. मसलन, गांधी जी. उन्होंने एक व्यापक संगठन बनाया. जिसे अंग्रेज सत्ता सौंपकर जा सकते थे. स्वामी से पूरी बातचीत का वीडियो देखें इधर: https://www.youtube.com/watch?v=ZV_hrYe-YV8  

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