Tesla अब बस भारत में आने ही वाली है, इन कारों से दिखा सकती है जलवा
जानिए टेस्ला की कहानी और उसकी उन इलेक्ट्रिक कारों के बारे में, जिन्होंने झंडे गाड़ रखे हैं
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टेस्ला कार कंपनी का नाम उस साइंटिस्ट निकोला टेस्ला के नाम पर रखा गया था, जिसने अपनी बात साबित करने के लिए खुद को लाख वॉट का करंट लगा लिया था.
. खैर उसके बाद बहुत पानी बह गया यमुना नदी में. लेकिन अब टेस्ला भारत आ रही है. टेस्ला के भारत आने की जानकारी खुद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने दी. उनका कहना है कि यह कार अगले साल (2021) भारत में बिकने लगेगी. टेस्ला की कारें बैटरी पर चलती हैं. पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हैं. इंटरनेट से लैस हैं. आइए बताते हैं, आखिर इस कंपनी की कारों में और ऐसा क्या खास है, जो दुनियाभर के देश उनके लिए बेसब्र रहते हैं.
टेस्ला के नाम में ही सबकुछ रखा है
लोग कहते हैं, नाम में क्या रखा है. लेकिन ब्रैंड की दुनिया में नाम का ही जलवा है. जैसे कारों में टेस्ला. मतलब अजब-गजब अफलातून. टेस्ला का जैसा नाम, वैसी ही अफलातून फिलॉसफी. कंपनी के फाउंडरों ( मार्टिन एबर्नहार्ड, मार्क टरपेनिंग, एलन मस्क, इयान राइट और जे.बी स्ट्राउबेल) ने कंपनी का नाम टेस्ला एक अफलातून साइंटिस्ट निकोला टेस्ला के नाम पर रखा. 1856 में पैदा हुए निकोला टेस्ला ने यूरोप में टेलीग्राफ ड्राफ्टर और इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम किया. उसके बाद वह 1884 में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. वहां थॉमस एडिसन के साथ काम करने लगे. हां, वही वाले एडिसन, जिन्होंने बल्ब ईजाद किया था.
वे साथ काम जरूर करते थे, लेकिन उनमें विज्ञान को लेकर जमकर बहसाबहसी और झड़पें भी होती रहती थीं. ऐसी ही एक झड़प के दौरान टेस्ला अपनी जान देने पर उतारू हो गए. आज हम जो एसी करंट वाली बिजली इस्तेमाल करते हैं, एडिसन इसके बहुत विरोधी थे. एडिसन ने अमेरिका में एसी करंट के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था. उनका कहना था कि एसी करंट खतरनाक है, इससे लोगों की जान को खतरा पैदा हो सकता है. दूसरी ओर टेस्ला एसी करंट के बड़े समर्थक थे. एसी करंट के सस्ती होने की वजह से वह इसकी वकालत कर रहे थे. एक दिन उन्होंने खुद को एसी करंट का 2,50,000 वोल्ट का झटका लगाया, और साबित किया कि एसी करंट सेफ है. टेस्ला और एडिसन की इस लड़ाई को 2019 की हॉलिवुड मूवी 'द करेंट वॉर' में खूबसूरती से दिखाया गया है.

टेस्ला कंपनी का नाम निकोला टेस्ला नाम के एक बड़े अफलातून वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया. तस्वीर फिल्म द करेंट वॉर की है, जिसमें टेस्ला लाख वोल्ट की बिजली के तार पकड़े नजर आ रहे हैं.
ऐसे शुरू हुई टेस्ला कार कंपनी
खैर दुनिया बदलने की इसी फिलॉसफी के साथ ही टेस्ला कंपनी की शुरुआत हुई. सन 2003 में टेस्ला मोटर्स नाम की कंपनी बनी. इसे मार्टिन एबर्नहार्ड और मार्क टरपेनिंग ने बनाया. 2004 में इस कंपनी में एलन मस्क ने एक इनवेस्टर के तौर पर एंट्री ली. इस वक्त तक कंपनी के 5 को-फाउंडर हो चुके थे. मार्टिन एबर्नहार्ड, मार्क टरपेनिंग, एलन मस्क, इयान राइट और जे.बी स्ट्राउबेल.
कंपनी ने बैटरी से चलने वाली कार की घोषणा की, लेकिन उसे लेकर इंडस्ट्री में बहुत उत्साहजनक बातें नहीं हो रही थीं. ऐसे माहौल में एलन मस्क ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के तौर पर बागडोर संभाली. उन्होंने साल 2005 मे टेस्ला के पहले मॉडल रोडस्टर पर काम तेज किया. कार तो बन रही थी लेकिन कंपनी ने एक बात तय कर ली थी कि वह खुद को कार कंपनी नहीं कहलवाएंगे. टेस्ला एक टेक कंपनी बनी जो बैटरी, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और कार बनाती थी. शुरुआत से ही फंडा क्लियर था कि सिर्फ कार कंपनी बनकर नहीं रह जाना है.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में पालो आल्टो नाम की जगह पर है टेस्ला का हेडऑफिस.
आइए अब चलते हैं टेस्ला कारों के सफर पर
Tesla Roadster (first generation) - बनाने चले थे अमोल पालेकर, बन गई ऋतिक रोशन
एलन मस्क ने टेस्ला की पहली कार रोडस्टर को बनाने का जो कॉन्सेप्ट सोचा, वह बहुत बेसिक था. उनका कहना था कि हम ऐसी साधारण कार बनाएंगे जो बैटरी पर चलेगी. आराम से कहीं भी चार्ज हो सकेगी, और आम लोगों के लिए होगी. जैसे-जैसे कार बनने लगी, उसमें नए फीचर्स और तकनीकी बदलाव आते गए. जब यह 2006 में लॉन्च हुई तो पूरी तरह से एक लग्ज़री स्पोर्ट्स कार की शक्ल ले चुकी थी. कार की लॉन्चिंग बहुत धूमधाम से हुई. नई तकनीक को हाथोंहाथ लेने वालों ने तो इसे लेकर खासी दिलचस्पी दिखाई लेकिन आम लोगों से यह दूर ही रही. साल 2008 में इसकी डिलीवरी शुरू हुई, और 2012 तक टेस्ला ने 30 देशों में 2,450 कारें बेचीं. ये ड्रीम स्टार्ट तो नहीं थी लेकिन ब्रैंड का नाम खूब हुआ.
फीचर्स # एक चार्ज में 394 किलोमीटर का सफर # 201 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड कीमत - तकरीबन 94 लाख रुपए

टेस्ला कार बनाने का शुरुआती आइडिया एक किफायती इलेक्ट्रिक कार बनाने का था लेकिन बन गई लग्जरी रेसिंग कार.
Tesla Model S और Model X - टेस्ला के करन-अर्जुन
साल 2010 तक टेस्ला कंपनी ने टेक ब्रैंड के तौर पर ऐसी धाक जमा ली कि पैसा लगाने वाले लाइन लगाने लगे थे. खुद अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी ने उन्हें 465 मिलियन डॉलर का लोन दे दिया. इस पैसे से सबसे पहले कंपनी ने अपनी खुद की फैक्ट्री डाली. इस साल ही कंपनी न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो गई और आईपीओ लेकर आई. इस दौरान कंपनी ने मॉडल एस और मॉडल एक्स बनाना शुरू किया. ये कंपनी के दो लग्जरी मॉडल थे. साल 2012 में मॉडल एस लॉन्च हुआ, और 2015 में एसयूवी मॉडल एक्स. इनके जरिए कंपनी मार्केट के लग्जरी सेग्मेंट पर कब्जा करने के इरादे से उतरी. और ऐसा हुआ भी. इन दोनों ही मॉडल्स ने धूम मचा दी.
Model S # एक चार्ज में 394 किलोमीटर का सफर # 390 किमोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड कीमत - 80 लाख रुपए तकरीबन

पहली कार बनाने के बाद कंपनी ने लग्जरी सेग्मेंट की तरफ कदम बढ़ाया और महंगी कारें लॉन्च कीं.
Model X मॉडल एक्स को उन यूजर्स के लिए बनाया गया, जो दमदार और स्टाइल दोनों का कंबिनेशन चाहते थे. इस एसयूवी में बाज की तरह ऊपर की ओर खुलने वाले पिछले दो दरवाजों ने लोगों का खूब ध्यान खींचा. # एक चार्ज में 475 किलोमीटर का सफर # 250 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड कीमत - 1 करोड़ रुपए के आसपास

मॉडल एक्स टेस्ला कंपनी की सबसे महंगी कार है. इसकी कीमत तकरीबन 1 करोड़ रुपए के आसपास है.
Model 3 और Model Y - इलेक्ट्रिक कारों के जय-वीरू
टेस्ला ने 2016 तक आते-आते हालत इतनी सुधार ली थी कि अपने सपने की कार को बनाना शुरू कर सके. आम लोगों के लिए एक बैटरी वाली कार बनाना अब इसलिए भी मुमकिन हो रहा था क्योंकि टेस्ला की फैक्ट्री अच्छी तरह चल निकली थी. इसके साथ ही लीथियम आयन बैटरी भी टेस्ला की फैक्ट्री में जम के बन रही थी. इससे कार की कीमत कम रखने में मदद मिल रही थी. कंपनी ने 2017 में Model 3 और 2019 में Model Y लॉन्च किया. इन्हें आम यूथ को दिमाग में रखकर डिजाइन किया गया था. फिलहाल मार्केट में इन दो मॉडल्स का सबसे ज्यादा जलवा दिखता है.
Model 3 इस कार का जलवा ऐसा है कि मार्च 2020 तक इस कार ने दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार का दर्जा पा लिया. कंपनी अब तक इस मॉडल की 5 लाख कारें दुनियाभर में बेच चुकी है. एलन मस्क ने 2018 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह टेस्ला के इस मॉडल को दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली फैमिली कार की तरह देखना चाहते हैं. उम्मीद की जा रही है कि भारत में टेस्ला सबसे पहले यही मॉडल लॉन्च करेगी.
# एक चार्ज में 400 किलोमीटर का सफर # 260 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड कीमत - 25 लाख रुपए के आसपास

यह टेस्ला की सबसे सफल कार रही है. उम्मीद है कि यही कार सबसे पहले भारत में लॉन्च होगी.
Model Y यह टेस्ला का सबसे नया मॉडल है. यह लगभग मॉडल 3 से मिलती जुलती है लेकिन बस इसमें शोले के वीरू के दिल की तरह जगह ज्यादा है. इसे मनमुताबिक 5 सीटर से 7 सीटर में भी तब्दील किया जा सकता है. यह टेस्ला मॉडल एक्स जैसी खूबी वाली छोटी कार भी कही जा सकती है.
# एक चार्ज में 500 किलोमीटर का सफर # 249 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड कीमत - 40 लाख रुपए के आसपास

टेस्ला की मॉडल वाई कार सबसे नई है. इसे एसयूवी और हैचबैक कार के मिक्स मॉडल के तौर पर बनाया गया है.
कुछ मुश्किलें भी हैं राह में
ऐसा नहीं है कि टेस्ला की कारें दुनिया में सभी का दिल जीतती रही हैं. कई देशों में कार की बैटरी और परफॉर्मेंस को लेकर शिकायतें भी आई हैं. कई बार कारों को रिकॉल भी किया गया है. ऐसे में टेस्ला कार की भारत की राह में कुछ बड़े गड्ढे नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसी चुनौतियां पर नजर डालते हैं, जो टेस्ला को भारत के कार मार्केट में देखने को मिल सकती हैं.
# अमेरिका, चीन और यूरोप के मुकाबले भारत में वीकल चार्जिंग का नेटवर्क ना के बराबर है. इससे निपटना पहली चुनौती है.
# कारों की बनावट और मटीरियल यूरोपियन और अमेरिकी सहूलियत के हिसाब से रखा गया है. भारत में इसकी असली टेस्टिंग होगी.
# भारत के गर्म और धूल भरे मौसम को लीथियम आयन बैटरी और कार के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे किस हद तक बर्दाश्त कर पाएंगे, ये भी देखने वाली बात होगी.
# पावर सप्लाई को लेकर देश के हालात की वजह से एक शहर से दूसरे शहर का सफर करना मुश्किल भरा हो सकता है.
# टेस्ला कारों की कीमत भारत के हिसाब से काफी ज्यादा है. जहां भारत में एक ठीक-ठाक कार की कीमत 5 लाख रुपए है, वहीं टेस्ला की शुरुआत ही 25 लाख रुपए (अनुमान के मुताबिक) से हो सकती है. ऐसे में इसका एक लग्जरी कार के तौर पर रह जाने का अंदेशा है.
(टेस्ला की कारों की कीमतें अमेरिका में कीमत के हिसाब से लिखी गई हैं. भारत में आने पर इनमें बदलाव मुमकिन है)