The Lallantop
Advertisement

ब्रह्मा विष्णु महेश की तिकड़ी ने किसे बनाया 'मोस्ट एलिजिबल' भक्त

न आरती, न धूपबत्ती, चैरिटी से जीता भगवान का दिल. 48 दिन से भूखे थे, 49वें दिन खाना मिला वो भी दान कर दिया

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
आशुतोष चचा
19 फ़रवरी 2016 (Updated: 19 फ़रवरी 2016, 07:05 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
भरत के वंश में था एक महात्मा टाइप का बंदा, कॉल्ड रंतिदेव. बड़े ही त्यागी आदमी. जितना भी ऐशो-आराम मिला सब गरीबों में बांट दिया. एक दिन नौबत ऐसी आई कि भाई साहब को खाए-पिए बिना 48 दिन बीत गए. 39वें दिन कुछ भोजन और पानी मिला. जब खाने बैठे तभी एक ब्राह्मण आ गया. ब्राह्मण को खिलाए बिना खुद कैसे खा सकते थे, इसलिए खाने का एक हिस्सा ब्राह्मण को दे दिया.
इसके बाद एक शूद्र गेस्ट आ गया. पुराने समय में तो शूद्रों को छोटा माना जाता था. फिर भी रंति भाई ने बचे हुए खाने का एक हिस्सा गेस्ट को दे दिया. फिर एक आदमी अपने कुत्तों को लेकर आया और बोला कि हमारे कुत्ते भूखे हैं. रंतिदेव ने बचा-खुचा खाना कुत्तों को दे दिया. अब पीने को पानी रह गया था बस. तब तक आया एक चांडाल और बोला प्लीज़ हमें पानी पिला दीजिए. रंति जी ने उसको पानी दे दिया और खुद इस बात में संतोष कर लिया कि सब भगवान के बंदे हैं.
असल में भगवान लोग मिलकर रंतिदेव का ग्रुप टेस्ट ले रहे थे. रंति भाई पास हो चुके थे. तभी ब्रह्मा, वुष्णु और शंकर जी की तिकड़ी प्रकट हो गई. वरदान में भी रंति भाई ने यही मांगा कि वो मोस्ट एलिजिबल भक्त बने रहें और ऐसा ही हुआ.
स्रोतः श्रीमद्भागवत महापुराण

Advertisement