The Lallantop
Advertisement

रामपुरी चाकू के किस्से तो खूब सुने, अब उसकी कहानी भी जान लो

वही 'रामपुरी' जो 60 और 70 के दशक की फिल्मों के विलेन्स के पास अक्सर देखा जाता था.

Advertisement
symbolic image
(बाएं) प्रतीकात्मक तस्वीर. (दाएं) फिल्म वक्त के एक सीन में अभिनेता राजकुमार और मदन पुरी.
pic
आस्था राठौर
29 जुलाई 2022 (Updated: 29 जुलाई 2022, 11:48 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

"क्या वकील साहब, सीतापुर का चाकलेट खाए हो कि नहीं?" फिल्म ‘जॉली LLB 2’ का ये डायलॉग आपने सुना ही होगा. डायलॉग किस कॉन्टेक्स्ट में कहा गया था ये भी शायद याद आया हो. जॉली को चाक़ू मारने से एकदम पहले ऐसे ही 'कोड वर्ड्स' हथियारों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. कुछ मशहूर टर्म्स आपने सुने ही होंगे- कट्टा, रामपुरी, छप्पन, घोड़ा, वगैरह. कई बार इनकी अवैध खरीद-फरोख्त और तस्करी की खबरें भी सुनने को मिलती हैं. 

हाल ही में, दिल्ली पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया जिनके पास से 14053 बटन वाले चीनी चाकू बरामद किए. बताया गया कि ये चाकू चीन से भारत लाए जाते थे और यहां अवैध रूप से ऑनलाइन बेचे जा रहे थे. इस रैकेट का भंडाफोड़ 18 जुलाई को हुआ जब एक पीसीआर कॉल के जरिए पुलिस को दिल्ली के सीआर पार्क में मिले एक लावारिस कूरियर के बारे में बताया गया. इसमें 50 से ज़्यादा बटनदार चायनीज चाकू थे. इसी पहले सुराग के जरिए पुलिस ने गुत्थी सुलझा ली. 

बरामद किए गए चाइनीज चाकू (सोर्स: आजतक)

ये चाइनीज चाकू जो पकड़े गए, इन्हें देसी भाषा में ‘रामपुरी’ भी कहा जाता है, क्योंकि पहले ये रामपुर में बनते थे. लेकिन धीरे-धीरे चीन से आ रहे चाकुओं ने बाजार में रामपुरी की जगह ले ली. जाहिर है इससे रामपुरी बनाने वालों को खासा नुकसान भी हुआ. इससे पहले आप सोचें की हथियार बनाने वालों का समर्थन कैसे किया जा सकता है, रुक जाइए. चाकू, छुरी, बंदूक इत्यादि वैध तरीके से भी बनाए और बेचे जाते हैं. और जहां तक रही रामपुरी चाकू बनाने की बात है, तो ये 100 साल पुरानी कला है! 

तो आज हम बताएंगे फेमस रामपुरी चाकू की कहानी. इसका बॉलीवुड मूवीज में प्रचलन, चाक़ू बनाने की कला और इसके चाइनीज सब्स्टिट्यूट और इन दोनों के फर्क के बारे में.

“जानी... ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं है”

छुरी-चाकू दुनिया के सबसे पुराने हथियारों में से एक हैं. लोहार इन्हें सदियों से बनाते आए हैं. अलग-अलग सभ्यताओं और उनकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते ये हथियार माहिर कारीगरों की कला का उदाहरण हैं. ऐसी ही एक खूबसूरत कृति है रामपुर का चाकू. वही 'रामपुरी' जो 60 और 70 के दशक की फिल्मों के विलेन्स के पास अक्सर देखा जाता था. 

रामपुरी के सन्दर्भ में अभिनेता राज कुमार का फेमस डायलाग, 'जानी... ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं है' (स्क्रीनशॉट सोर्स: वक़्त (1965)) 

काफी समय से हिंसक प्रवृत्ति से जोड़कर देखे जाने वाले ये चाकू भारतीय कारीगरी की एक अनूठी मिसाल हैं. हत्थे पर कभी मछली, कभी मोर और बहुतेरे डिज़ाइन लिए ये चाकू अपने बनने की कहानी खुद सुनाते नज़र आते हैं. मानो कह रहे हों कि इतनी संजीदगी से बनाई गई चीज केवल हिंसा के लिए तो इस्तेमाल नहीं की जा सकती.

अगर चाकुओं की इस विलुप्त होती प्रजाति की बनावट पर ध्यान दिया जाए तो ऐसा मालूम पड़ता है कि वो भी सवाल कर रही है. पॉलिश और ब्लेड की तेज़ धार से लेकर, हत्थे पर की गई नक्काशी गुज़ारिश करती हैं- हमारा वजूद जुर्म से इतर भी है. कोई ध्यान दे तो सही.

चाकू के पीछे छिपी कहानी और साइंस

अपने शाही और प्रचलित संबंधी लखनऊ से लगभग 322 किलोमीटर दूर बसा है रामपुर. साल 2007 में मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स ने इसे अल्पसंख्यक बहुल जिले के रूप में मान्यता दी. चाकुओं के लिए मशहूर ये शहर पहले चीनी और कपास की मिलिंग के लिए भी जाना जाता था. पर जितनी शोहरत रामपुरी चाकू ने इस जगह को दी, वो अपने आप में एक मिसाल है. 100 साल से ज्यादा पुरानी चाकू बनाने की ये कला नवाबों के समय से रामपुर में वास करती आ रही है.

बेहतरीन कारीगरी और इनकी कॉम्प्लेक्स बनावट इन्हें ख़ास बनाते हैं. ये पूरे तरीके से हाथ का काम होता है. रामपुरी चाकू के तीन हिस्से होते हैं- हत्था, कमर और ब्लेड. इसमें स्प्रिंग, बोल्ट और लॉक भी होता है. आमतौर पर ये स्विच-ब्लेड प्रकार का होता है, जिसके ब्लेड की लम्बाई 9  से 12 इंच के बीच होती है.

इसके हत्थे पर ही रीढ़ या कमर लगी होती है. छुरे पर कमर लगाना इसीलिए जरूरी होता है क्योंकि चाकू उसी पर टिकता है. जैसे इंसान टिके होते हैं अपनी रीढ़ की हड्डी पर, ऐसे ही रामपुरी टिकता है उसमें लगी कमर पर - जिसमें कर्व होता है और जो उसे स्टेबिलिटी देती है. 

(बाएं से दाएं) पॉलिश्ड और अनपॉलिश्ड रामपुरी चाकू, चाकू के हत्थे के डिज़ाइन (सोर्स: दी लल्लनटॉप)

रामपुरी चाकू के कई प्रकार होते हैं- पॉलिश्ड, अनपॉलिश्ड, लकड़ी, लोहे या स्टील से बने. और हत्थे या चाकू के हैंडल के डिज़ाइन्स की फेहरिस्त लम्बी है. और हां, हर एक रामपुरी बटन या स्विच से नहीं खुलता, कुछ को खींच कर खोलना पड़ता है. चट-चट-चट की आवाज के साथ! 

रामपुरी पर कैसे लगे ताले?

1990 के दशक के दौरान तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक फैसला लिया और 4.5 इंच से ज़्यादा लम्बे ब्लेड वाले रामपुरी चाकुओं पर बैन लगा दिया गया. इस फैसले ने रामपुरी की लोकप्रियता पर खासा असर डाला और इनकी डिमांड कम होती चली गई. बाद में मार्केट में आए इनकी चाइनीज कॉपी, जो तकनीकी तौर पर इनके मुक़ाबले के भले ही न हों, पर दिखने में बिलकुल वैसे और कीमत में भी कम थे. चाइनीज चाकुओं ने असल रामपुरी और उन्हें बनाने वालों की हालत बद से बदतर कर दी. साथ ही कच्चे माल की बढ़ती लागत और घटते लाभ की वजह से रामपुरी चाकुओं का व्यापार गिरता चला गया.

सालों पुरानी विरासत के तारक

रामपुरी चाकू बनाने की कला और उससे जुड़े खूबसूरत इतिहास को जीवित रखने का काम वर्तमान में कुछ चुनिंदा लोग ही करते हैं, या कहिए कर पा रहे हैं. उनमें से एक हैं रामपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले यामीन अंसारी. उन्होंने, दी लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि इन चाकुओं को बनाना एक कला है जिसमें पारंगत में होने में कई साल लग जाते हैं. 

रामपुरी की जगह लेने वाले चाइनीज चाकुओं के बारे में उन्होंने बताया, 

‘असली रामपुरी चाकू, चाइनीज चाकू से बेहतर होता है. रामपुरी में पीतल होता है जबकि चाइनीज चाकू में पीतल नहीं होता. रामपुरी चाक़ू साल दर साल चलते हैं, और चाइनीज महज़ 400 -500 बार खोल-बंद करने पर ख़राब हो जाते हैं.’ 

बकौल यामीन, चाइनीज चाकुओं में रीढ़ माने चाकू की कमर नहीं होती.

फ्रेम किए गए रामपुरी चाकुओं के साथ यामीन अंसारी (सोर्स: दी लल्लनटॉप)

पहले के दौर में रामपुरी चाकू पूरे रामपुर में बनता था. पर 1990 के बाद लगे बैन और समय ने काफी कुछ बदल दिया. बहुत से कारीगरों ने ये काम ही छोड़ दिया और रोज़ी-रोटी के लिए दूसरे व्यवसाय पकड़ लिए.

यही कारण है कि सालों पहले काफी सफल रहा ये उद्योग आज विलुप्त होने की कगार पर है. जहां कई-सौ कारीगर ऐसी छुरियां और चाकू बनाते थे, वहीं आज उनकी संख्या मुट्ठी भर भी नहीं बची है. रामपुर के बाजार में रामपुरी चाकुओं की अब बस 2 दुकानें हैं, जिनके मालिक रामपुर की छवि को बचाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.

UP चुनाव: रामपुरी चाकू के नाम से बिक रहे चाइनीज़ माल को पहचानने की ट्रिक्स जानिए

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement