जब भगवान कृष्ण की फेक प्रोफाइल बनाकर पौंड्रक लड़ने आ गया
उसको उसके चमचों ने बता दिया था कि वो असली वासुदेव है, फिर क्या वो तो कृष्ण जी से भिड़ गया.
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कृष्ण जी के टाइम में एक देश था, उसका नाम था करूपदेश. वहां का राजा था पौंड्रक. उसके पापा का नाम भी वसुदेव था इसलिए वो खुद को वासुदेव भी कहता था. उसका जो राजकाज था वो कौशिकी नदी के किनारे चलता, उसके अंडर में किरात, वंग और पुंड्र का एरिया था. कहते हैं कि पुंड्र का होने के कारण ही उसका नाम पौंड्रक पड़ा. ये आदमी तो द्रौपदी वाली शादी में भी आया था.
उसके पास चमचे बहुत थे. उनने उसको चने के झाड़ में चढ़ा दिया, उसको कह दिया परमात्मा वासुदेव कृष्ण जी नहीं वो खुद है. कृष्ण जी के लिए उसके चमचे कहते वो तो 'ग्वाला' है. सोचो भगवान को ऐसा कहते थे. पापी हर टाइम पर होते हैं न.
तो ये नकली कृष्ण माने असली पौंड्रक क्या करता कि नकली चक्र, नकली शंख, कृष्ण जी जैसी तलवार, मोर वाला मुकुट, फर्जी कौस्तुभ मणि, और पीले कपड़े पहन कर कृष्ण बन जाता. मतलब ये कि पूरी प्रोफाइल डीटेल कॉपी करके कवर फोटो- डीपी सब चेंप के फर्जी प्रोफाइल बना ली भगवान कृष्ण की.अब ये भी नहीं कि खुद की टाइमलाइन पर रहा आए. कृष्ण जी को पोक करने लगा. उनको मैसेज भेजा. ‘पृथ्वी के सारे लोगों पर अनुग्रह करके उनका उद्धार करने के लिए मैंने वासुदेव नाम से अवतार लिया है. भगवान वासुदेव का नाम एवं वेष धारण करने के राइट्स सिर्फ मेरे पास हैं. इस गेटअप पर तुम्हारा अधिकार नहीं है. तुम ये नाम ये पहचान तुरंत छोड़ दो, नहीं तो युद्ध के लिए तैयार हो जाओ'
कृष्ण जी काहे को कान दें, उनने इग्नोर कर दिया. पर ये तो बार-बार कोंचने लगा. तो उनने कहा रुको बउआ. तुमको हम बताते हैं. ये सुनते ही वो लड़ाई की तैयारी में लग गया. काशी के राजा से हेल्प ली. काशीनरेश के पास 3 अक्षौहिणी सेना थी, पौंड्रक के पास 2. ये अपनी आर्मी ले-लेकर शहर के बॉर्डर पर आ गए.कृष्ण जी पहुंचे, पहले तो उनकी हंसी छूट गई. पौंड्रक का गेटअप देखकर. फिर उनने रियलाइज किया वो वॉर ज़ोन में हैं. फिर क्या था. पौंड्रक को उस लड़ाई में हरा दिया. उसका गेटअप काम न आया. अस्थिपंजर ढीले हुए. उसको समझ आया होगा कि गेटअप रखने से कोई कृष्ण जी नहीं बन जाता. मारा गया लड़ाई में. लेकिन कृष्ण जी तो भगवान हैं. और भगवान किसी का बुरा नहीं करते. तो भले पौंड्रक ने उनसे लड़ाई की. उनकी जगह फेक कृष्ण बना लेकिन इसी बहाने वो भगवान को याद करता था. उनका नाम स्मरण करता था. तो भगवान जी ने उसको अपना परमपद दे दिया. मरने के बाद उसका भला हो गया. बोलो जय कन्हैया लाल की.