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आतंकियों से घिरने के बाद मेजर रवि चौधरी ने न सिर्फ साथी की जान बचाई, बल्कि आतंकी भी मार गिराया

शौर्य चक्र की 6 कहानियों में पढ़िए मेजर रवि कुमार चौधरी की कहानी.

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मेजर रवि चौधरी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. फोटो सोर्स- PIB/आजतक
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Varun Kumar
15 अगस्त 2021 (Updated: 16 अगस्त 2021, 12:47 PM IST) कॉमेंट्स
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स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को इस साल के वीरता पुरस्कारों यानी गैलेंट्री अवॉर्ड्स का ऐलान किया गया. कुल 6 जवानों को शौर्य चक्र दिया गया. शांतिकाल के वीरता पुरस्‍कारों में अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र आते हैं. शांति के समय अशोक चक्र देश का सर्वोच्‍च वीरता पुरस्‍कार है. अशोक चक्र, कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र सबसे बड़ा पुरस्कार है. हम एक-एक कर शौर्य चक्र विजेताओं की बहादुरी के किस्से बता रहे हैं. इस कड़ी में बात मेजर रवि कुमार चौधरी की.
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13 आतंकियों के सफाए का श्रेय अप्रैल 2019 से अब तक मेजर रवि कुमार चौधरी ने अपनी बटालियन के चार सफल अभियानों के संचालन के दौरान असाधारण दृढ़ता, नायाब धैर्य और सर्वोच्च नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप 13 आतंकवादियों का सफाया हुआ.
अब बात उस रोज की जिस दिन उन्होंने अपने साथी को बचाने के लिए खुद की जान को दांव पर लगा दिया. 2 जून 2020 को जम्मू-कश्मीर के एक गांव में तीन आतंकियों के बारे में खास जानकारी हासिल हुई थी. 3 जून 2020 को करीब 6.20 बजे जब आतंकवादियों की उपस्थिति की पुष्टि हो गई तो रवि ने घेरा मजबूत कर दिया.
छिपे हुए आतंकवादियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, रवि चौधरी अपने दोस्त के साथ रेंगते हुए आगे बढ़े. इस दौरान आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी की. ये देख कर छुपे हुए आतंकवादियों ने भी उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं और अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (UBGL) से हमला किया. ये देख कर रवि ने अपने साथी को एक तरफ धकेल दिया और खुद भारी गोलीबारी के बीचोंबीच आ गए.
हालांकि अपनी क्षमताओं की बदौलत उन्होंने आतंकियों को निशाने पर ले लिया. इसी वजह से एक आतंकी को मार गिराया गया और दूसरे को गंभीर चोटें आईं. अद्भुत शौर्य दिखाने के लिए मेजर रवि कुमार चौधरी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. शौर्य चक्र किसे दिया जाता है? शौर्य चक्र असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. ‘शौर्य चक्र’ शांति काल में दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य पराक्रम मेडल है. ये ऐसा सम्मान है जो सेना, सिविलियन पुलिस और आम नागरिकों को भी दिया जा सकता है. सेना में किसी भी रैंक के ऑफिसर (महिला/पुरुष), नेवी, एयरफोर्स, किसी भी रिजर्व फोर्स, प्रादेशिक सेना, नागरिक सेना और कानूनी रूप से गठित अन्य सैनिक इसके पात्र हो सकते हैं. सशस्त्र बलों की नर्सिंग सेवाओं के मेंबर को कार्यक्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए भी ये सम्मान मिल सकता है. कोई भी आम नागरिक चाहे वो किसी भी जेंडर का हो, इस सम्मान का हकदार हो सकता है. सिविल पुलिस फोर्स, सेंट्रल पैरा-मिलिट्री फोर्सेस, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के सदस्य को भी ये सम्मान दिया जा सकता है.
Shaurya Chakra शौर्य चक्र.

 
इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को हुई थी. पहले इसका नाम अशोक चक्र क्लास-2 था. फिर 26 जनवरी 1967 को नाम बदलकर शौर्य चक्र किया गया. इस पदक का फीता हरे रंग का होता है, जिस पर तीन सीधी रेखाएं बनी होती हैं. इस फीते से बंधा होता है पदक, जो कि कांसे का होता है और इसके बीच में अशोक चक्र बना होता है. पदक के पिछले हिस्से पर हिंदी और अंग्रेजी में शौर्य चक्र लिखा होता है. भारतीय वायुसेना की वेबसाइट के मुताबिक, पदक विजेता को हर महीने 1500 रुपये की राशि दी जाती है.

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