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नोएडा की सृष्टि कौर ने 'मिस टीन यूनिवर्स' का खिताब जीता है लेकिन ये खबर परेशान करती है

'मिस टीन यूनिवर्स 2017' में 25 देशों की टीनएज लड़कियों ने किया था पार्टिसिपेट.

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फोटो - thelallantop
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प्रज्ञा
27 अप्रैल 2017 (Updated: 28 अप्रैल 2017, 08:43 AM IST) कॉमेंट्स
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सृष्टि कौर ने अमेरिका में हुए 'मिस टीनएज यूनिवर्स' का खिताब जीत लिया है. वो 19 साल की हैं. अभी लंदन स्कूल ऑफ फैशन में पढ़ रही हैं. रहने वाली नोएडा की हैं. यहां के लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ चुकी हैं. सृष्टि ये खिताब जीतने वाली भारत से पहली लड़की हैं.
लेकिन कल से ये खबर जितनी बार फ्लैश हो रही है, एक किस्म की चिंता बढ़ा रही है.
बात है एक 'टीनएज' ब्यूटी कॉन्टेस्ट की, जिसमें पार्टिसिपेंट की उम्र 15 से 19 साल के बीच होती है. वो उम्र जिसमें हर इंसान अपनी सेक्शुअल ओरिएंटेशन को समझ रहा होता है. वो लड़का-लड़की भी हो सकते हैं, ट्रांसजेंडर भी. टीनएज पकी हुई उम्र नहीं होती है.
इस उम्र में दिमाग में तथाकथित 'परफेक्ट' ब्यूटी, फिजिकल एपीयरेंस जैसे कॉन्सेप्ट ठूंसा जाना गलत है.
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दुनिया के 25 देशों की लड़कियों ने 'मिस टीन यूनिवर्स 2017' में पार्टिसिपेट किया था.

मिस यूनिवर्स, मिसेज वर्ल्ड जैसी तमाम ब्यूटी पैजेंट्स होती रहती हैं. जिसको डिफेंड करने के लिए बहुत सारे लोग, बहुत सारे तर्क मिल जाएंगे. जैसे कि, 'कई सारी अश्वेत लड़कियों ने भी ये ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीते हैं, इसमें सिर्फ शारीरिक सुंदरता या चाल-ढाल देखकर ही नहीं जीत मिलती है. अपनी इंटेलिजेंस भी दिखानी पड़ती है.'
लेकिन ये भी उतना ही सच है कि इन कॉन्टेस्ट के ज्यादातर राउंड फिजिकल एपीयरेंस पर ही जज किए जाते हैं. सिर्फ एक राउंड में लिया विट-टेस्ट इस पूरे कॉन्टेस्ट को सही नहीं ठहरा सकता है.
पिछले 6 सालों से ये 'मिस टीनएज यूनिवर्स' कॉन्टेस्ट आयोजित करवाया जा रहा है. यहां तक पहुंचने के लिए कई देश अपने यहां मिस टीनएज कॉन्टेस्ट कराते हैं, जैसे कि मिस टीनएज अमेरिका, मिस टीनएज ब्राजील. मतलब इन ब्यूटी कॉन्टेस्ट की जद में सैकड़ों लड़कियां आती हैं.
इस कॉन्टेस्ट का वीडियो देखने पर पता चला कि इस में भी बाकी के ब्यूटी पैजेन्ट कॉन्टेस्ट की तरह कई राउंड होते हैं. फैंसी ड्रेस राउंड, फिटनेस राउंड, बिकिनी राउंड, डांस राउंड, फोटोशूट राउंड, रैंपवॉक राउंड, क्यू एंड ए राउंड.
https://youtu.be/Dt2Aa9mHGgI
ब्यूटी कॉन्टेस्ट में दिखने वाली लड़कियों की तरह का शरीर सबका नहीं होता. उन पार्टिसिपेंट की तरह के शरीर को एक मानक नहीं बनाया जा सकता है. प्रतियोगिता कराने में दिक्कत नहीं है, दिक्कत है इसके माध्यम से लोगों के दिमाग में भरना कि एक खास तरह का शरीर ही होना चाहिए लोगों के पास. अगर ऐसा नहीं है तो आप बाकी लोगों से कम हैं. सबसे प्रॉब्लमेटिक बात है कि औरतों के अधिकारों को लेकर आजकल बहुत बातें की जा रही हैं, लेकिन कम उम्र में ही इन लड़कियों को शरीर के ऑब्जेक्टिफिकेशन की तरफ मोड़ देना इन सारी बातों को काट देता है.
अभी इसी महीने फिजिकल एडुकेशन पढ़ाने के लिए 12वीं की किताब आई थी. जिसमें बताया गया था कि लड़कियों का आदर्श शरीर '36-24-36' होना चाहिए. और उन्हें एक्सरसाइज करना चाहिए ताकि उनका फिजीक मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स में आने वाली लड़कियों की तरह आकर्षक बन जाए. और लड़कों का शरीर वी शेप में होना चाहिए. बच्चों को स्वस्थ और फिट रहने के लिए नहीं बल्कि सुंदर दिखने की सीख दे जा रही थी.
सीबीएसई में फिजिकल एजूकेशन की किताब का स्क्रीनशॉट, ये 12वीं क्लास में पढ़ाई जाती है.
फिजिकल एजूकेशन की किताब का स्क्रीनशॉट, जो 12वीं क्लास के लिए हैं.

चाहे लड़का हो या लड़की, बचपन से हमारे माता-पिता, रिश्तेदार शारीरिक सुंदरता का एक खांचा बना देते हैं. 'लड़के का शरीर शेर की तरह होना चाहिए, सीना चौड़ा और कमर थोड़ी पतली','लड़कियों की हाइट ज्यादा न हो जाए वरना उसके लिए लड़का ढूंढ़ने में दिक्कत आएगी','लड़कियों का शरीर भरा हुआ होना चाहिए'. ऐसी ही अलग-अलग व्याख्याएं, थ्योरीज सुनने को मिल जाएंगी.
पतला या मोटा होना कोई मानक नहीं है. हर किसी की शारीरिक बनावट अलग होती है. स्वस्थ शरीर ही आकर्षक शरीर होता है, यही सही है.


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