साथवालों ने 60 लाख लोगों को मारा, पर इस इंसान ने 12 सौ को बचा लिया
ऑस्कर शिंडलर की कहानी.
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फोटो - thelallantop
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गैस चैंबर में फंसे 1200 यहूदियों को बचाने के लिए एडॉल्फ हिटलर और नाजियों को छोड़ दिया था. आज इनका जन्मदिन है.यह ऑस्कर शिंडलर की कहानी है, जो अपने पागलपन के कारण सामने आया था. हिटलर के अंडर में रहकर लाखों लोगों को रिश्वत देकर एक पैरा मिलिट्री तैयार कर रहा था. लेकिन बाद में शिंडलर ने यहूदियों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी खतरे में डाल दी थी.
नाजी पार्टी से जुड़े इस आदमी के नाम पर यहूदियों के वंशज हैं

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और इसके सहयोगियों ने लगभग छह मिलियन यहूदियों को मार डाला था.

1939 में शिंडलर नाजी पार्टी में शामिल हुए थे और द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में पोलैंड पर जर्मनी के आक्रमण से पहले पोलैंड में काम करने वाले नाजियों के लिए जानकारी एकत्र करते थे.

इस हमले के बाद ऑस्कर शिंडलर ने क्राको में एक कारखाने की स्थापना की जहां उन्होंने 1750 लोगों को रोजगार दिया. शिंडलर ने इन्हीं गोला-बारूद कारखानों में रोजगार देकर 1200 यहूदियों का जीवन बचाया. ऑस्कर शिंडलर द्वारा बचाए गए दर्जनों लोगों के आधार पर, यह माना जाता है कि शुरू में उनका काम सिर्फ पैसा बनाना था. लेकिन समय बीत जाने पर, उन्होंने अपने यहूदी श्रमिकों की लागत के बारे में ध्यान नहीं दिया. अपने कर्मचारियों के जीवन को बचाने के लिए, उन्हें नाजी अधिकारियों को भारी रिश्वत देनी पड़ी.

1982 में शिंडलर्स आर्क
नाम का उपन्यास शिंडलर के जीवन पर आधारित है.

9 अक्टूबर, 1974 को जर्मनी के हिल्डेशम में ऑस्कर शिंडलर का निधन हो गया. उनको जेरूसलम में सीयोन पर्वत पर दफनाया गया. इस तरह से सम्मानित होने वाले नाजी पार्टी के वो एकमात्र सदस्य हैं.

2012 में बताया गया कि शिंडलर-यहूदियों के 8,000 से अधिक वंशज (जो कि ऑस्कर शिंडलर द्वारा बचाए गए यहूदी थे) अमेरिका और यूरोप में रह रहे हैं, और कई अन्य इज़राइल में हैं.
ऑस्कर शिंडलर की असली कहानी ये फिल्म बताती है
शिंडलर की कहानी पर बनी फिल्म 'शिंडलर्स लिस्ट' एक रुला देने वाली फिल्म है.

द्वितीय विश्व युद्ध और नाजी सेना के अत्याचारों की अब तक जितनी भी फिल्में बनी हैं, उनमें 'शिंडलर्स लिस्ट' का अपना एक अलग स्थान है. 1993 में बनी इस फिल्म ने निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग को दुनिया के बड़े फिल्मकारों की लाइन में खड़ा कर दिया. यह उनके फिल्मी करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है. पूरी फिल्म ब्लैक एंड वाइट है. फिल्म की शुरूआत रंगीन मोमबत्तियों से होती है. जैसे ही मोमबत्तियां बुझती है, ब्लैक एंड वाइट पिक्चर शुरू हो जाती है. पचास के दशक में कलर फिल्मों का युग शुरू होने के बाद भी 'शिंडलर्स लिस्ट' ने अपनी फिल्म को ब्लैक एंड वाइट में की और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार जीता.

सवा तीन घंटे लंबी यह फिल्म सिनेमा का एक बेहतरीन उदाहरण है. नाजी सेना द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों को इतने अच्छे तरीके से दिखाया गया है जो आपको किसी और फिल्म में देखने को नहीं मिलेगा. फिल्म के मुताबिक ये ऑस्कर शिंडलर नामक चेकोस्लोवाकिया में पैदा हुए एक उद्योपति की सच्ची कहानी है, जिसने लगभग 1100 यहूदियों को नाजी सेना की कैद से छुड़ाया. जर्मनी की नाजी सेना ने 1939 में पोलैंड को हराकर उस पर कब्जा कर लिया था. फिल्म का मेन फोकस उस समय के पोलैंड का यहूदी शहर क्रेको है.

फिल्म की कहानी के मुताबिक ऑस्कर शिंडलर (लियम नीसन) चेकोस्लोवाकिया का एक सफल उद्योगपति है, जो युद्ध से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए पोलैंड में अपना भाग्य आजमाने आता है. वह एक नंबर का स्वार्थी, लालची और अय्याश आदमी है, जो अपने फायदे के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है. वह क्रेको शहर में एक पुराना कारखाना खरीदकर अपना उद्योग स्थापित करता है और जर्मन सेना को सामान सप्लाई करने का ठेका हासिल कर लेता है. अपनी सहायता के लिए वह स्थानीय नागरिक आइजक स्टर्न (बेन किंग्स्ले) को मैनेजर नियुक्त करता है. नाजी सैन्य अधिकारियों को हर तरह से खुश रखते हुए वह उनका पसंदीदा बन जाता है.

क्रेको शहर के एक अत्यंत छोटे-से हिस्से में जर्मन सेना हजारों यहूदियों को ठूंसकर कैद कर लेती है. उन्हें बहुत बुरी तरीके से रखा जाता है और उनसे बहुत काम कराया जाता है. शिंडलर भी अपने कारखाने में बेहद सस्ती दरों पर यहूदी मजदूरों को काम पर रखता है. इसी बीच जर्मन सेना का एक कमांडर अमॉन गोएथ (राल्फ फिनेस) क्रेको पहुंचता है, जिस पर एक नए नाजी कैंप का निर्माण करने की जिम्मेदारी है. शिंडलर रिश्वत एवं अय्याशी के साधन मुहैया कराकर उससे भी अच्छे संबंध बना लेता है. नया कैंप बन जाने के बाद वह सभी यहूदियों को इस कैंप में भेजने का आदेश देता है. इस प्रक्रिया में अनेक यहूदियों का कत्ल कर दिया जाता है. कैंप में उन्हें भीषण यातनाएं दी जाती हैं. जरा-जरा-सी गलतियों पर उन्हें तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है. कई बार गोएथ अपनी बालकनी में बैठे-बैठे सिर्फ मजे के लिए इन कैदियों को गोली मारता रहता है. यह सब देखकर शिंडलर का दिल दहल उठता है और वह किसी तरह इन कैदियों को बचाना चाहता है.

आगे की कहानी शिंडलर द्वारा इन कैदियों को बचाने की पूरी कहानी है. फिल्म का अंत बेहद इमोशनल है. यह एक बेहद साहसिक फिल्म है. स्पीलबर्ग के निर्देशन की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है. इस फिल्म को सिनेमा के हर पैमाने पर एक संपूर्ण फिल्म कहा जा सकता है. नाजी तौर-तरीकों और अत्याचारों को अत्यंत विश्वसनीय एवं प्रामाणिक ढंग से फिल्माया गया है.

ये स्टोरी प्रतीक ने की है.
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