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पहली इंडियन जो मिस वर्ल्ड बनीं मगर हमेशा ग्लैमर से दूर रहीं

मानुषी छिल्लर जैसी युवा मॉडल्स इनसे बहुत कुछ सीख सकती हैं.

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फोटो - thelallantop
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प्रतीक्षा पीपी
20 नवंबर 2017 (Updated: 20 नवंबर 2017, 07:54 AM IST) कॉमेंट्स
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साल 1966 के नवंबर में जब 23 साल की रीता फ़रिया भारत से लंदन पहुंची तो कांप रही थी. सब कुछ बर्फ सा ठंडा था-- मौसम हो या लोग. भारतीयों को लेकर यूरोपी आज भी सहज नहीं हुए हैं. फिर ये तो 40 साल पहले की बात है.
66 लड़कियों के बीच एक भी इंडियन नहीं. रीता के साथ लंदन पहुंची बाकी लड़कियों के पास दिखाने और बताने के लिए बहुत कुछ था. मेकअप का सामान, ढेर सारे कपड़े, हील वाले जूते. अमेरिका और कैनडा से आई ग्लैमरस लड़कियों को तो जगह-जगह से न्योता भी आया था. रीता के लिए तो यही बड़ी बात थी कि वो बकिंघम पैलेस के सामने तस्वीर खिंचवा सकती थी.
 कद था 5 फुट, 8 इंच. इसलिए बाकी भारतीय लड़कियों से अलग दिखती थी.
कद था 5 फुट, 8 इंच. इसलिए बाकी भारतीय लड़कियों से अलग दिखती थीं.


गोवा में पैदा हुई रीता फ़रिया किसी धन्ना सेठ के घर पैदा नहीं हुई थीं. पिता मिनरल वॉटर फैक्ट्री में काम करते थे और मां सलून चलाती थीं. शायद ये मां की ट्रेनिंग रही होगी कि रीता को पहनने-ओढ़ने में सलीका मेंटेन करने का खयाल आया हो. रीता को स्कूल टाइम से ही मेकअप और कपड़ों का शौक था. कहीं घूमने भी जातीं तो सजकर. कद था 5 फुट, 8 इंच. इसलिए बाकी भारतीय लड़कियों से अलग दिखती थीं.
मगर कपड़ों का शौक होना आपकी अलमारी में कपड़े नहीं भर देता. मेकअप का अर्थ केवल तीन शेड की लिपस्टिक रखना है, ये रीता को लंदन में पता लगने वाला था. न ही स्विमसूट राउंड के लिए रीता के पास स्विमसूट था, न ही स्टेज पर पहनने के लिए हील वाले जूते. जेब में कुल तीन पाउंड थे. रीता ने मॉडल पर्सिस खंबाटा से स्विमसूट मांगा था. मगर कद की वजह से वो उन्हें आया नहीं. उनसे कहा गया कि ये स्विमसूट नहीं चलेगा. रीता ने जेब में पड़े तीन पाउंड से एक स्विमसूट और हील वाले जूते खरीदे.
न ही स्विमसूट राउंड के लिए रीता के पास स्विमसूट था, न ही स्टेज पर पहनने के लिए हील वाले जूते.
न ही स्विमसूट राउंड के लिए रीता के पास स्विमसूट था, न ही स्टेज पर पहनने के लिए हील वाले जूते.


कोई नहीं सोच सकता था कि हड़बड़ी में पासपोर्ट और हाथ में मिस इंडिया की ट्रॉफी लिए आनन-फानन में लंदन आई ये मिडिल क्लास लड़की मिस वर्ल्ड बनेगी.
17 नवंबर की रात, वेलिंगटन के लाइसियम बॉलरूम में फिर जो हुआ, वो इतिहास था.

अगले दिन मीडिया हर जगह था. रीता के बेडरूम से लेकर नाश्ते की मेज तक. मेडिकल की पढ़ाई कर रही युवा रीता को समझ में नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था. एक झटके में इतना ग्लैमर मिल चुका था कि किसी की भी नींद उड़ जाए.
पर्सनालिटी राउंड में रीता से पूछा गया था कि उन्हें डॉक्टर क्यों बनना है. जवाब में उन्होंने कहा था कि इंडिया में स्त्री विशेषज्ञों की बेहद ज़रूरत है. वहां आई हर लड़की का मॉडलिंग का बैकग्राउंड था. रीता अकेली थीं जो मेडिकल की स्टूडेंट थीं.
पर्सनालिटी राउंड में रीता से पूछा गया था कि उन्हें डॉक्टर क्यों बनना है. जवाब में उन्होंने कहा था कि इंडिया में स्त्री विशेषज्ञों की बेहद जरूरत है.
पर्सनालिटी राउंड में रीता से पूछा गया था कि उन्हें डॉक्टर क्यों बनना है. जवाब में उन्होंने कहा था कि इंडिया में स्त्री विशेषज्ञों की बेहद ज़रूरत है.


पढ़ाई की ओर वापस जाने को बेताब रीता बाहर निकलना चाहती थीं, मगर फंस चुकी थीं. मिस वर्ल्ड फाउंडेशन के लिए उन्हें एक साल प्रचार करना था. ऐसा उनके कॉन्ट्रैक्ट में लिखा था. प्रचार के तहत अमेरिकी सैनिकों के साथ उनका एक प्रोग्राम हुआ. इसके लिए उनको राजनैतिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ी. ये तो कहो उस वक़्त ट्विटर नहीं था. हुआ यूं था कि उस वक़्त इंडिया वियतनाम को सपोर्ट कर रहा था. वियतनाम और अमेरिका में युद्ध चल रहा था. रीता की तस्वीर देशद्रोह की तरह देखी गई. मिस वर्ल्ड फाउंडेशन ने उन्हें इंडिया वापस जाने से मना कर दिया. वो डर गए थे कि रीता वापस गईं तो कभी लंदन वापस न आ पाएंगी.

रीता ने लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ाई चालू कर दी. अब रीता ग्लैमर की दुनिया से बाहर आ रही थीं, मगर ग्लैमर ने उनके लिए एक अच्छी चीज़ की. उन्हें उनका प्रेम मिल गया था.
डेविड पॉवेल लंदन में जूनियर डॉक्टर थे. उन्हें देखते ही प्यार में पड़ गए थे. जब मिले, तो ये आकर्षण दोस्ती और फिर प्रेम में बदला. डेविड और रीता अब 46 साल से साथ हैं.
रीता ने बीते साल इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि मिस वर्ल्ड जैसे टाइटल से मिलने वाले ग्लैमर का आदी नहीं होना चाहिए. 'अगर मैं एक दिन में स्टूडेंट से स्टार बन सकती हूं, तो सोच लीजिए ये दुनिया कितनी अस्थिर है.'
'ग्लैमर की दुनिया में सिक्योरिटी नहीं होती. लड़कियों को ये समझना होगा की उन्हें इसकी आदत न लगे. शक्ल और शारीरक सौंदर्य परमानेंट नहीं होता.'
'ग्लैमर की दुनिया में सिक्योरिटी नहीं होती. लड़कियों को ये समझना होगा कि उन्हें इसकी आदत न लगे. शक्ल और शारीरिक सौंदर्य परमानेंट नहीं होता.'

'ग्लैमर की दुनिया में सिक्योरिटी नहीं होती. लड़कियों को ये समझना होगा कि उन्हें इसकी आदत न लगे. शक्ल और शारीरिक सौंदर्य परमानेंट नहीं होता.'
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मानुषी छिल्लर आज उसी ग्लैमर के दरिया में नहा रही हैं जिसमें 50 साल पहले रीता थीं. रीता की ये नसीहतें मानुषी के बहुत काम आ सकती हैं. मानुषी महज़ 23 साल की हैं और हर एक फैसला उनके भविष्य को बनाएगा.



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