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रामायण : बाली वध के बाद क्या सुग्रीव तारा को अपनी पत्नी बना लेता है?

तमिल भाषा में लिखी गई 'कंब रामायण' में तो अलग ही कहानी है.

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सीता की खोज करते हुए राम किष्किंधा जाकर सुग्रीव से मित्रता कर लेते हैं. सुग्रीव उन्हें भरोसा दिलाता है कि वह सीता का पता लगाने में उनकी मदद करेगा (तस्वीर रामायण सीरियल का यूट्यूब स्क्रीन शॉट)
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अमरेश
14 अप्रैल 2020 (Updated: 14 अप्रैल 2020, 12:02 PM IST)
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आपने वो खबर जरूर सुनी होगी. 'रामायण' सीरियल की वजह से अचानक दूरदर्शन के भी दिन फिर गए. लोग लॉकडाउन में इस सीरियल को पूरी तवज्जो दे रहे हैं. वैसे इस सीरियल में कई रामायणों से कहानियां ली गई हैं. रामायण तो अनेक हैं, लेकिन इनमें से कुछ को समाज में ज्यादा आदर-सम्मान हासिल है. इन रामायण की कहानियों में कभी-कभी बड़ा फर्क देखने को मिलता है. ऐसा ही एक प्रसंग है बाली की पत्नी तारा से जुड़ा हुआ. जब राम ने बाली का वध कर डाला, उसके बाद तारा का क्या हुआ?

पहले बाली वध की बात

सीता की खोज करते हुए राम किष्किंधा जाकर सुग्रीव से मित्रता कर लेते हैं. सुग्रीव उन्हें भरोसा दिलाता है कि वह सीता का पता लगाने में उनकी मदद करेगा. साथ ही राम सुग्रीव को वचन देते हैं कि वह उसके बड़े भाई बाली का वध कर उसकी सहायता करेंगे. वही बाली, जिसने सुग्रीव को अपने राज्य से बाहर कर दिया था और उसकी पत्नी रूमा पर भी अधिकार जमा लिया था. इसके बाद बाली-सुग्रीव के बीच द्वंद्व युद्ध के दौरान राम छिपकर बाली को बाण मारते हैं. इस तरह बाली का वध होता है. ये है बैकग्राउंड. अब सवाल पर आते हैं.
बाली को बाण लगने वाला सीन 'रामायण' सीरियल में इस तरह दिखाया गया है (फोटो क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)
बाली को बाण लगने वाला सीन 'रामायण' सीरियल में इस तरह दिखाया गया है (फोटो क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)

बाली वध के बाद तारा का क्या हुआ? इस बारे में अलग-अलग रामायण और दूसरे ग्रथों में अलग तरह की कहानियां मिलती हैं. सबसे पहले बात वाल्मीकि 'रामायण' की.

वाल्मीकि 'रामायण' में क्या है

वाल्मीकि 'रामायण' में इसका बात का स्पष्ट वर्णन मिलता है कि बाली वध के बाद सुग्रीव ही तारा का पति बना. प्रसंग वही है. बाली के मरने के बाद सुग्रीव भोग-विलास में रम जाता है और सीता की खोज की बात भूल जाता है. चौमासा बीतने के बाद लक्ष्मण क्रोध में भरकर सुग्रीव को उसके वचन की याद दिलाने राजमहल पहुंचते हैं. इसके बाद लक्ष्मण के आने की खबर देने के लिए कई वानर सुग्रीव के पास पहुंच जाते हैं. श्लोक इस तरह है-
तारया सहितः कामी सक्त: कपिवृषस्तदा । न तेषां कपिसिंहानां शुश्राव वचनं तदा ॥
इसका मतलब है-
उस समय वानरों के राजा सुग्रीव काम के अधीन थे. वे तब भोग-विलास में आसक्त होकर तारा के साथ थे, इसलिए उन्होंने उन श्रेष्ठ वानरों की बातें नहीं सुनीं.
इस विवरण से सब साफ है. खास बात ये है कि यहां तारा ही आगे बढ़कर अपनी सूझ-बूझ से लक्ष्मण का क्रोध शांत करती है.

'महाभारत' में क्या लिखा है

सुग्रीव ही तारा का पति बना, इसका स्पष्ट जिक्र महर्षि वेद व्यास के 'महाभारत' में भी है. इस महाकाव्य के 'अरण्य पर्व' में एक श्लोक है-
हते वालिनि सुग्रीवः किष्किंधां प्रत्यपद्यत । तां च तारापतिमुखीं तारां निपतितेश्वराम् ॥
इसका अर्थ है-
बाली के मारे जाने के बाद अनाथ हो चुकी किष्किंधापुरी सुग्रीव को मिल गई. साथ ही अपने पति को खो चुकी, चंद्रमा के समान मुख वाली तारा भी सुग्रीव को प्राप्त हुई.
धार्मिक पत्रिका 'कल्याण' के कई विशेषांक हैं. इनमें से एक है 'नारी अंक'. इसमें तारा की स्थिति को कुछ और स्पष्ट किया गया है. लिखा है कि बाली के वध के बाद सुग्रीव के राजा बनने पर तारा पटरानी बनी. 'पटरानी' मतलब राजा की रानियों के बीच सबसे प्रधान रानी. ये सबकुछ वानरों के बीच प्रचलित नियमों के मुताबिक ही हुआ था.

'कंब रामायण' में क्या है

तमिल भाषा में लिखी गई 'कंब रामायण' में तारा के बारे में कुछ अलग कहानी मिलती है. महाकवि कंबन ये दिखलाते हैं कि बाली वध के बाद तारा विधवा का जीवन जीती है. सुग्रीव उसे केवल भाभी नहीं, बल्कि मां का दर्जा दे देता है. इस रामायण के किष्किंधाकांड में है 'शासन पटल'. मतलब बाली की मौत के बात किष्किंधा के शासन वाला चैप्टर. तमिल में जो श्लोक है, उसका हिंदी अनुवाद इस तरह है-
आर्य (राम) की आज्ञा से सुग्रीव किष्किंधा पहुंचा. अपने प्रतापी मंत्रियों और परिजनों के साथ तारा को प्रणाम किया. सुग्रीव तारा को अपनी माता मानकर और अग्रज (बाली) के उपदेशों को ही पिता मानकर उत्तम रीति से शासन करता रहा.
वैसे कंबन की कृति का आधार तो वाल्मीकि 'रामायण' ही है, लेकिन इसकी कई कहानियां एकदम अलग हैं. तारा वाला प्रसंग इसका अच्छा उदाहरण है. रामायण के ऐसे ही कुछ और रोचक किस्से अगली कड़ी में.

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