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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े वो बड़े नाम जो आज दिनभर आपको सुनाई देंगे

अयोध्या में नवनिर्मित Ram Mandir की प्राण प्रतिष्ठा आज हो रही है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर दर्शन के लिए खुल जाएगा. जबकि 23 जनवरी से आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेंगे.

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आचार्य सत्येंद्र दास और अरुण योगीराज (PTI)
22 जनवरी 2024 (Updated: 22 जनवरी 2024, 11:27 IST)
Updated: 22 जनवरी 2024 11:27 IST
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अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा का अवसर है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम दोपहर 12 बजकर 29 पर शुरू हो जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेने के लिए सुबह करीब साढ़े दस बजे अयोध्या पहुंचेंगे. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर दर्शन के लिए खुल जाएगा. जबकि 23 जनवरी से आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेंगे. 22 जनवरी यानी आज पूरे दिन आपको कुछ नाम बारी-बारी से सुनाई देंगे. कौन हैं ये नाम, आइये सबके बारे में बारी-बारी से जानते हैं.

चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant Sompura)

राम मंदिर का निर्माण शिल्प शास्त्र के हिसाब से किया. इस मंदिर का नक्शा बनाने के लिए गुजरात के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा की मदद ली गई थी.सोमपुरा गुजरात में मंदिरों के शहर पालिताना के रहने वाले हैं और उनके पूरे परिवार के पास पारंपरिक भारतीय मंदिरों के नक्शे बनाने की विशेषज्ञता हासिल है. BBC के मुताबिक चंद्रकांत सोमपुरा जब 17 साल के थे, तो उनके पिता बद्रीनाथ मंदिर की मरम्मत के काम में लगे थे. एक दिन उनके पिता की अलकनंदा नदी में डूबकर मौत हो गई. उसके बाद चंद्रकांत ने दादा प्रभाशंकर सोमपुरा से वास्तुकला सीखी. प्रभाशंकर सोमपुरा गुजरात के सोमनाथ मंदिर के प्रमुख वास्तुकार थे. अब जब विहिप अयोध्या में मंदिर बनवाना चाहता है तो उसने चंद्रकांत से नक्शा बनवाया है. फिलहाल चंद्रकांत और उनके बेटे निखिल, साल में एक बार अयोध्या के कारसेवकपुरम जाते हैं और वहां चल रही पत्थरों की कटाई देखते हैं.

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डॉक्टर अनिल मिश्रा (Dr. Anil Mishra)

प्राण प्रतिष्ठा के लिए डॉक्टर अनिल मिश्र और उनकी पत्नी  उषा मिश्रा को 'यजमान' बनाया गया है. यजमान किसी पूजा कार्यक्रम का मुख्य ‘मेजबान’ होता है. यजमान की ओर से ही प्रार्थना की जाती है. डॉक्टर अनिल मिश्रा, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी हैं. अनिल मिश्रा सरकारी होमियोपैथी डॉक्टर रह चुके हैं.  डॉक्टर अनिल मिश्रा का परिवार यूपी के गोंडा जिले के महबूबपुर गांव का रहने वाला है. उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई जौनपुर के जयहिंद इंटर कॉलेज में हुई. उन्होंने बृजकिशोर होम्योपैथी कॉलेज, फैजाबाद से BHMS की डिग्री ली. डॉ अनिल मिश्रा रिटायर होने के बाद वह पूर्ण रूप से संघ के कार्यों के लिए समर्पित हो गए. सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया तो डॉक्टर मिश्र को इसका स्थायी सदस्य बनाया गया. 

महंत सत्येंद्र दास (Mahendra Satyendra Das)

सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं. वे आज से नहीं बल्कि पिछले 32 सालों से रामलला की पूजा करते आ रहे हैं. रामलला की पूजा के लिए उनका चयन 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने से 9 माह पहले हुआ था.  सत्येंद्र दास साल 1976 में संस्कृत महाविद्यालय के व्याकरण विभाग में प्रोफेसर बने. सत्येंद्र दास 2007 में अध्यापक पद से रिटायर हो गए. भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान गर्भ गृह में पांचवें सदस्य के तौर पर पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास मौजूद रहें. बचपन में दास अपने पिता के साथ अयोध्या आया करते थे और 1949 में विवादित स्थल पर रामलला की प्रतिमा स्थापित करने वाले बैरागियों में शामिल अभिराम दास जी से मिला करते थे. सत्येंद्र दास इनसे प्रेरित होकर साधु बनना चाहते थे और पढ़ाई के भी इच्छुक थे. साल 1958 में उन्होंने अयोध्या का रुख किया. एक इंटरव्यू में सत्येंद्र दास ने बताया था कि जब 1992 में ​जब नियुक्ति हुई थी, तब उनका वेतन 100 रुपये महीने था. साल 2018 में उन्हें 12 हजार रुपये की सैलरी मिलती थी. जबकि 2019 में रिसीवर व अयोध्या के कमिश्नर के निर्देश के बाद यह वेतन 13 हजार रुपये कर दिया गया.

महंत सत्येंद्र दास (PTI)
आचार्य गणेश्वर शास्त्री (Acharya Ganeshwar Shastri)

आचार्य गणेश्वर शास्त्री भी प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहेंगे. उनका जन्म काशी के रामनगर में 9 दिसम्बर 1958 को हुआ था. आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने श्रीराम मंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त भी निकाला था. उन्होंने ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भी शुभ मुहुर्त निकाला है. आचार्य द्रविड़ ने काशी विश्‍वनाथ धाम के लोकार्पण के समय थी शुभ मुहूर्त निकाला था. आचार्य शास्त्री की गिनती ज्योतिष और शास्त्रों के विद्वानों में की जाती है. उन्हें देश के सबसे बड़े ज्योतिषाचार्य के तौर पर प्रतिष्ठा मिली हुई है. आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय को चलाते हैं. आचार्य गणेश्वर शास्त्री अभी काशी के रामघाट इलाके में रहते हैं. जहां उनके भाई पंडित विश्‍वेश्‍वर शास्‍त्री भी रहते हैं.

लक्ष्मीकांत दीक्षित (Laxmikant Dixit)

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित भी गर्भगृह में मौजूद रहेंगे. वो वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर के रहने वाले हैं. उनका पूरा परिवार कुछ पीढ़ियों पहले ही काशी (बनारस) में आकर बस गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक लक्ष्मीकांत दीक्षित ने वेद और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित भट्ट से ली थी. लक्ष्मीकांत दीक्षित की पहचान वेदों के अच्छे जानकार के तौर पर हैं. उनकी गिनती यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में की जाती है. यही नहीं पूजा पद्धति में भी लक्ष्मीकांत माहिर माने जाते हैं.

अरुण योगीराज (Arun Yogiraj)

भगवान राम की नई प्रतिमा कर्नाटक के मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज ने बनाई है. वो प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं. अरुण के दादा बसवन्ना शिल्पी को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए जाना जाता है. दादा मैसूर के राजा के बेहद प्रिय शिल्पकारों में से एक थे.अरुण योगीराज ने कई चर्चित मूर्तियां बनाई हैं. उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी.  मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, डॉ. भीमराव आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृत शिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृत शिला प्रतिमा, जयचामराजेंद्र वाडियार और न जाने कितनी ही मूर्तियां अरुण योगीराज के हाथों से ही तराशी गई हैं.भगवान राम की नई प्रतिमा को 18 जनवरी को ट्रक के जरिए अयोध्या लाया गया. 22 जनवरी को इसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की विधि संपन्न हो रही है. 

ये भी पढ़ें: राम मंदिर ट्रस्ट को कौन लोग चलाते हैं? वो टीम जिसके जिम्मे है परिसर का निर्माण और देखभाल

चंपत राय (Champat Rai)

अब बात करते हैं चंपत राय की. चंपत राय का जन्म बिजनौर की नगीना तहसील में 18 नवंबर को 1946 में हुआ था.  उनके पिता  का नाम रामेश्वर प्रसाद बंसल और मां का नाम सावित्री देवी था. चंपत राय को रामलला का पटवारी भी कहा जाता है. वो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं.

Champat Rai
चंपत राय (PTI)

चंपत राय सुप्रीम कोर्ट में चली राम मंदिर के मुकदमे की सुनवाई में मुख्य पैरोकार और पक्षकार रहे थे. राम जन्मभूमि के पक्ष में महत्वपूर्ण सबूत जुटाने और सुप्रीम कोर्ट में इसे प्रस्तुत करने में चंपत राय की अहम भूमिका बताई जा रही है. साल 1996 में विश्व हिन्दू परिषद ने उन्हें संगठन का मंत्री बनाया. साल 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री के रूप में भी उन्हें प्रमोट किया गया. 2020 में जब राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ, तब उन्हें मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी दी गई. 

वीडियो: प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम क्या बोले?

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