राजस्थान में फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस के सामने क्या-क्या दिक्कतें हैं
कांग्रेस ने फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं किया है, पर बीजेपी मांग कर सकती है.
Advertisement

राजस्थान में राज्यपाल ने अशोक गहलोत की सरकार को विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से बुलाने की मंजूरी दे दी है. विधानसभा में गहलोत के लिए ये लड़ाई जीतना कितना मुश्किल है? (फाइल फोटो)
कैबिनेट ने सत्र बुलाने के लिए पहला प्रपोज़ल 23 जुलाई को भेजा था. सरकार ने इसे ही नोटिस का पहला दिन मानने का आग्रह किया. राज्यपाल ने इसे मान लिया.

14 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की रणनीति क्या रहेगी? क्या कांग्रेस फ्लोर टेस्ट के लिए जाएगी? क्या बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग करेगी? विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले गहलोत खेमे के सामने क्या दिक्कतें हैं? बीजेपी और कांग्रेस दोनों की रणनीति पर कोर्ट के फैसलों का कितना असर देखने को मिल सकता है? बीएसपी की क्या भूमिका है? इसी तरह के सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.
क्या कांग्रेस प्लोर टेस्ट के लिए जाएगी
विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को भेजे प्रपोजल में इसका जिक्र नहीं है. यानी कांग्रेस फिलहाल फ्लोर टेस्ट से बचना चाहती है. वरिष्ठ पत्रकार अवधेश आकोदिया का कहना है कि सरकार कोई बिल ला सकती है या पुराने बिल में कोई संशोधन ला सकती है. इस बिल पर वोटिंग होगी. बिल पास हो गया, तो ये मान लेंगे की सरकार सुरक्षित है. लेकिन अगर कोई विधायक बिल के खिलाफ वोट करता है, तो उसकी पहचान करने के बाद उसे डिस्क्वालिफाई कर सकती है. हालांकि बिल पर वोटिंग कम होने से सरकार गिरेगी नहीं.
वहीं 'दैनिक भास्कर' के स्टेट एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत का का कहना है कि कांग्रेस के पास अगर वाकई नंबर होता, तो कांग्रेस खुद फ्लोर टेस्ट की मांग करती. कांग्रेस ने राज्यपाल को नंबरों की जो लिस्ट दी है, वो 102 लोगों की है. 102 में भी एक सीपी जोशी है, जो विधानसभा के स्पीकर हैं. दूसरे विधायक हैं मास्टर भंवरलाल मेघवाल. बीमार हैं. हॉस्पिटल में भर्ती हैं. इन दोनों को माइनस कर दिया जाए, तो ये नंबर होता है 100. चलिए मान लेते हैं कि अगर ऐसी कोई स्थिति आती है, तो सीपी जोशी के वोट से कांग्रेस को बहुमत मिल जाएगा. लेकिन ये देखने में जितना आसान लग रहा है, उतना है नहीं.
10 निर्दलीय जो सीएम अशोक गहलोत के पास हैं, अगर उनमें से दो भी खिसक गए या कांग्रेसी विधायक ही जो गहलोत का समर्थन कर रहे हैं, इधर से उधर हो हो गए या भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक खिसक गए, तो संकट खड़ा हो जाएगा. ऐसे में कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं करने वाली है.
बीजेपी क्या चाहेगी
बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग करेगी. 14 अगस्त आने में वक्त है. ऐसे में बीजेपी कुछ दिनों में फ्लोर टेस्ट की मांग पर फैसला कर सकती है. वैसे ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कह चुके हैं कि कि समय पर फ्लोर टेस्ट की मांग की जाएगी. अभी तो सरकार की नौटंकी देख रहे हैं कि ये क्या करने वाले हैं. सकारात्मक विपक्ष के रूप में बीजेपी की भूमिका राजस्थान के लिए सकारात्मक ही होगी, लेकिन समय का इंतजार करना होगा.
राजस्थान की राजनीति पर करीबी नजर रख रहे एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत का कहना है कि बीजेपी सदन शुरू होने से पहले इसकी मांग कर सकती है कि कोई बिल पास होने से पहले सरकार फ्लोर टेस्ट कराए. इसके बाद ही कोई बिल लेकर आया जाए. ऐसे में कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.
लेकिन ये तो विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद की बाते हैं. उससे पहले राजस्थान में क्या चल रहा है? कांग्रेस को कहां दिक्कत हो सकती है?
बीएसपी के छह विधायकों के विलय का क्या होगा
लखन सिंह (करौली), राजेंद्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर भरतपुर). बीएसपी के छह विधायक, जो 16 सिंतबर 2019 को कांग्रेस में शामिल हो गए थे. एक तरह से राजस्थान में बीएसपी का कांग्रेस में विलय हो गया था. अब बीएसपी ने इस विलय को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. साथ ही विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से इन विधायकों की विधायकी रद्द करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने कांग्रेस में विलय कर चुके बीएसपी के सभी छह विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी किया है. 11 अगस्त तक जवाब मांगा है.
एक्सपर्ट का कहना है कि बीएसपी ने कोर्ट जाने में देरी कर दी है. हालांकि जो याचिका डाली गई है, वो कानूनी रूप से मजबूत है. हो सकता है कि इन छह विधायकों की सदस्यता रद्द करने पर हाईकोर्ट कोई फैसला न दे, लेकिन इसकी संभावना है कि उन्हें वोटिंग से रोक दे. ऐसे में गहलोत खेमे की मुश्किल बढ़ सकती है, क्योंकि ये छह विधायक उन्हें ही समर्थन दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में क्या चल रहा है?
सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में स्पीकर सीपी जोशी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने 24 जुलाई के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में यथास्थिति रखने का अंतरिम आदेश दिया था. कोर्ट ने सीपी जोशी को इस पर फैसला लेने से रोक दिया था. इसी के खिलाफ जोशी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट जोशी के पक्ष में फैसला देता है, तो बाजी पलट सकती है. लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखता है, तो गहलोत खेमे की मुश्किल बढ़ जाएगी.
नंबर गेम क्या है
विधानसभा सीटें- 200गहलोत गुट का दावा-102 विधायक
कांग्रेस- 87 बीटीपी- 2 सीपीएम- 2 आरएलडी- 1 निर्दलीय- 10
पायलट खेमा- 19
विपक्ष
बीजेपी- 72 राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी- 3 दो निर्दलीय के समर्थन का दावा.
हालांकि दोनों पक्षों की ओर से ये दावे ही हैं. ये नंबर गेम कब पलट जाए, नहीं कह सकते.
विधानसभा सत्र 14 अगस्त से बुलाया गया है. पहले दिन श्रद्धांजलि देने के अलावा कोई काम नहीं होगा. अगले दिन स्वतंत्रता दिवस है, जो शनिवार को पड़ रहा है. उसके अगले दिन रविवार है. यानी 17 अगस्त से ही विधानसभा का सत्र चल सकता है. उससे पहले राजस्थान की राजनीति में बहुत-कुछ देखने को मिल सकता है. दोनों पक्षों की रणनीति पर कोर्ट के फैसलों का भी असर पड़ेगा. देखिए और इंतजार करिए.
कौन हैं भंवर लाल शर्मा, जिनका राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने अपनी चिट्ठी में भी नाम लिया