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प्रोतिमा बेदी की न्यूड पिक्चर का वो झूठ, जो आपको हर साल हर मीडिया बताता है

मामला है उस मॉडल के नंगे दौड़ने का.

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फोटो - thelallantop
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ऋषभ
12 अक्तूबर 2016 (Updated: 11 अक्तूबर 2016, 05:19 AM IST) कॉमेंट्स
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1974 में बम्बई की सिनेब्लिट्ज पत्रिका लॉन्च हुई. उस समय बम्बई में स्टारडस्ट पत्रिका का रौला था. पर सिनेब्लिट्ज में एक फोटो छपी, जिसने इस पत्रिका को एकदम से सबके हाथ में पहुंचा दिया. इसमें उस समय की चर्चित मॉडल प्रोतिमा बेदी की नंगी फोटो थी. फोटो के हिसाब से जुहू बीच पर प्रोतिमा नंगी दौड़ रही थीं. दिन में. लेकिन यह थोड़ा पेचीदा मामला है.
उस वक्त एकदम से हंगामा हो गया. उस समय के भारत में ये एक अजीब सी घटना थी. कई लोगों की नज़र में औरतों की मुक्ति थी. तो कइयों की नज़र में अश्लीलता. कई खुश हो गए. तो कई संस्कृति भ्रष्ट होने के चलते घर में बंद हो गए. पर फोटो सबने देखी थी.

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पत्रिका के मुताबिक फोटो के बारे में प्रोतिमा ने कहा था:
‘I shed my clothes, my inhibitions, my conditioning by outdated social norms so that you too can discover yourselves’

मैं अपने कपड़े उतार रही हूं, साथ ही अपनी हिचकिचाहट, चीथड़ों जैसे सामाजिक नियम सब कुछ. जिससे आप भी अपने आप को खोज सकें.

अपनी जिंदगी को सबके सामने रखने वाली प्रोतिमा ने इस बात से इनकार कर दिया

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एन के सरीन फोटोग्राफी

पर प्रोतिमा बेदी की किताब Timepass में कुछ और ही बताया गया है. प्रोतिमा के मुताबिक उस वक़्त वो अपनी निजी जिंदगी से जूझ रही थीं. कबीर बेदी से शादी अब बिगड़ रही थी. इसलिए वो अपने ससुर के यहां यूरोप चली गयी थीं. जब लौट के इंडिया वापस आईं, तो उन्होंने ये फोटो पत्रिका में छपी हुई पाई. प्रोतिमा के मुताबिक ये नंगा दौड़ना हुआ था, पर बम्बई में नहीं. गोवा में. अंजुना बीच पर जहां कि कल्चर था न्यूड रहना. क्योंकि ये न्यूड बीच था और यहां विदेशी लोग आते थे. हिप्पी समाज भी वहां पड़ा रहता था. यहां कपड़े पहन कर जाने वाले लोगों को बड़ी अजीब नज़रों से देखा जाता था. तो किसी ने प्रोतिमा की फोटो वहीं खींच ली थी और मॉर्फ़ कर बम्बई का एरिया दिखा दिया था. पर प्रोतिमा ने कुछ कहा नहीं सिनेब्लिट्ज के खिलाफ. क्योंकि तुरंत ही ये फोटो हर तरह की पत्रिकाओं, अख़बारों में छप गई थी.
इसके अलावा प्रोतिमा की फोटो हर मैगज़ीन में हमेशा ही छपती. प्रोतिमा की हर बात को स्कैंडल बना दिया जाता. इनके चेहरे से ज्यादा इनकी क्लीवेज की फोटो आ जाती.

प्रोतिमा इसके बारे में कहती हैं कि चलो ठीक है, मैं नंगी थी. कहीं भी. पर इससे क्या हो जाता है? ये तो बिल्कुल नेचुरल है. अगर मैं कहीं किसी के चेन से झांकते लिंग को देखूं तो मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे देख बाकी को क्यों फर्क पड़ रहा है. जब मैं कोई लो-नेक की ड्रेस पहनती हूं और लोग कमेंट करते हैं कि क्या चीज है, तो मैं कहती हूं कि पूरी चीज तो तुमने देखी नहीं. जब मेरी छोटी ड्रेस देखकर लोग ललचाते रहते हैं तो पूरी चीज देखें. मैं उनको क्यों तरसाऊं. मेरी बॉडी अच्छी है. मुझे कोई शर्म नहीं.

शोभा डे, महेश भट्ट समेत कई लोगों के अलग विचार थे

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एन के सरीन फोटोग्राफी

पर इस फोटो के साथ और भी बातें निकल के आईं. सिनेब्लिट्ज के मालिक रूसी करंजिया किसी भी कीमत पर स्टारडस्ट को मात देना चाहते थे. उनके पास आइडिया भी आ गया था. एक दौड़ती हीरोइन की नंगी तस्वीर छापते हैं. पर कौन होगी वो हीरोइन? रूसी की बेटी और मैगज़ीन की एडिटर रीता ने कहा: एक नाम है. प्रोतिमा बेदी. प्रोतिमा से पूछा गया कि क्या वो बम्बई की सड़कों पर नंगी दौड़ेंगी, तो उन्होंने हामी भर दी. फ्लोरा फाउंटेन जगह चुनी गई. तैयब बादशाह फोटोग्राफर थे. जब तस्वीर आई तो प्रोतिमा अपसेट हो गईं. उनके ब्रेस्ट नीचे थे. उन्होंने कहा कि फिर से फोटोशूट करेंगे, जहां ब्रेस्ट तने हुए होंगे. अबकी जुहू बीच पर शूट हुआ. तो इस बात के पक्षधर कहते हैं कि सब प्रोतिमा की मर्जी से हुआ और प्रोतिमा बाद में मुकर गईं इस बात से. शोभा डे भी यही कहती हैं.

महेश भट्ट जो कि कबीर बेदी के दोस्त थे, उनका भी यही विचार था. उन्होंने कहा: इस नंगे दौड़ने के प्रकरण का एक उद्देश्य था. कि समाज को ये बताया जाया कि सबको अपने आप को व्यक्त करने का अधिकार है. ये फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन के लिए था. पर जब प्रोतिमा ने देखा कि उनके फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का उपयोग मैगज़ीन की पब्लिसिटी के लिए किया जा रहा है, तब वो इस बात से मुकर गईं. और कह दिया कि गोवा बीच की फोटो है.

खुशवंत सिंह ने कुछ और ही बता दिया था. उनका कहना था कि प्रोतिमा खुद उनके पास आई थीं कि मुझे फेमस बनना है. खुशवंत ने कहा कि नंगी दौड़ जाओ. और प्रोतिमा नंगी दौड़ गईं.
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Penguin Publication

प्रोतिमा की जिंदगी इन बातों से कहीं ज्यादा धाकड़ थी 

प्रोतिमा की ऑटोबायोग्राफी Timepass पढ़ें तो प्रोतिमा ने अपनी जिंदगी के हर पहलू को उघाड़ कर रख दिया है. कुछ भी नहीं छुपातीं. एकदम शानदार ढंग से जी हुई जिंदगी शानदार ढंग से बताई गई है. कोई मुश्किल हो या ख़ुशी, प्रोतिमा हर वक़्त प्रोतिमा ही रही हैं. तो ये किताब पढ़ के ऐसा नहीं लगता कि प्रोतिमा इस बात को छुपातीं.
कॉलेज के दिनों में प्रोतिमा बिना ब्रा पहने जाती थीं और लोगों की नज़र में उनकी अलग इमेज बन गयी थी. कई लोग उनको बहुत गलत समझते. पर प्रोतिमा समाज को ऐसे ही शॉक देते रहतीं. रात को घर से भागकर पार्टी करने चली जातीं. फिर मॉडलिंग करने लगीं. इनके पापा इस चीज को बर्दाश नहीं कर पाए. इसी दौरान प्रोतिमा ने कबीर बेदी को देखा था. और अपने दोस्तों में कह दिया कि मैं इस लड़के को अपना बना के रहूंगी. फिर ये वक़्त आया. प्रोतिमा और कबीर लिव-इन में रहने लगे. उस वक़्त बंबई में इस बात की बड़ी चर्चा थी. मीडिया प्रोतिमा के पीछे पड़ी रहती.
बाद में प्रोतिमा का कबीर से नाता टूट गया. क्योंकि दोनों ही शादी के बाहर रिश्ते बनाने में नहीं हिचकते थे. बाद में प्रोतिमा के रिश्ते पंडित जसराज से भी बने. इसके अलावा उस वक़्त के ताकतवर नेताओं रजनी पटेल और मनु से भी प्रेम सम्बन्ध रहे. इस दौरान सबका पारिवारिक जीवन लड़खड़ा गया था. फिर प्रोतिमा ने अचानक से बंबई में ओडिसी डांस का एक ग्रुप देखा. पता नहीं क्या हुआ कि सब कुछ छोड़-छाड़कर डांस करना शुरू कर दिया. इतना कि पूरे देश में फेमस हो गईं. फिर बाद में बंगलौर के नजदीक इन्होंने अपना डांस गांव नृत्यग्राम भी बनाया. उसके बाद अध्यात्म की तरफ मुड़ गईं. ग्लैमर में रही लड़की ने अपना सिर मुंडवा लिया. 1998 में हिमालय के रास्ते में लैंड स्लाइड से इनकी मौत हो गई.

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