क्या है अटल भूजल योजना, जिस पर मोदी सरकार 6000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है
समझिए धरती के पानी का पूरा हिसाब-किताब
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अटल भूजल योजना लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री बोले कि इस योजना के तहत उन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जहां ग्राउंड वाटर की कमी है.
अटल भूजल योजना का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने गहराते जल संकट पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, ''पानी, घर, खेत और उद्योग सबको प्रभावित करता है. और हमारे यहां पानी के स्रोतों की क्या स्थिति है, किसी से छुपी नहीं है. पानी का ये संकट एक परिवार के रूप में, एक नागरिक के रूप में तो हमारे लिए चिंताजनक है ही, एक देश के रूप में ये हमारे विकास को भी प्रभावित करता है.''
प्रधानमंत्री ने ग्राम पंचायतों से अपील की कि वे इस योजना का आगे बढ़कर नेतृत्व करें. आइए जानते हैं, क्या है अटल भूजल योजना और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
भूजल क्या है स्कूल के दिनों में पढ़ा था कि धरती का तीन-चौथाई हिस्सा पानी से ढका हुआ है. लगभग 71 फीसदी पानी धरती के ऊपर मौजूद है और 1.6 फीसदी पानी धरती के नीचे. ऊपर मौजूद सारा पानी पीने लायक नहीं है. क्योंकि ऊपर मौजूद पानी का 97 फीसद हिस्सा सागरों और महासागरों में मौजूद है. और सागर का पानी इतना नमकीन (खारा) होता है कि उसे पिया नहीं जा सकता. बचा 3 फीसदी पीने लायक पानी. इसमें 2.4 फीसदी पानी ग्लेशियरों, उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव में बर्फ के रूप में जमा है. अब बचा 0.6 फीसद पानी. जो नदी, झील और तालाबों में मौजूद है. इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन बढ़ती आबादी और प्रदूषण के कारण इतना पानी हमारे उपयोग के लिए पर्याप्त नहीं है. इसलिए हम धरती के नीचे से पानी निकालते हैं. हमारे पुरखों ने कुआं खोदा. इस कुएं से पीने, खेतों को सींचने और दूसरे कामों के लिए पानी निकाला जाने लगा. समय बदला और कुओं की जगह हैंडपंप और मोटर पंप ने ले ली. आजकल हम एक बटन दबाते हैं और समर्सिबल पानी उगलने लगता है. भूजल, मतलब वो पानी जो जमीन के नीचे मौजूद है. इसे धरती खोदकर निकाला जाता है.Prime Minister @narendramodi
Strategic Tunnel under Rohtang Pass named after former Prime Minister #AtalBihariVajpayee
launches #AtalBhujalYojana
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— PIB India (@PIB_India) December 25, 2019

भूजल को प्रदूषित करने वाले कारक (स्रोत: केंद्रीय भूजल बोर्ड)
समस्या क्या है? समुद्र से पानी भाप बनकर उड़ता है और बादल बनकर बरसता है. और फिर नदियों के जरिए वापस सागर में पहुंच जाता है. इस तरह से धरती के ऊपर जो पानी मौजूद है, उसकी मात्रा में कोई घटोतरी या बढ़ोतरी नहीं होती है. लेकिन जो पानी धरती के नीचे से निकाला जाता है, वो नीचे वापस नहीं पहुंच पाता है. हम जमीन से पानी निकाल तो रहे हैं, लेकिन उसे वापस नीचे नहीं भेज रहे हैं. हमारे घर से सीवर और नालों के जरिए वो पानी नदियों में जाता है और नदियों से समुद्र में.
यहां हमें ये बात ध्यान में रखनी होगी कि धरती के नीचे पानी सीमित है. इसे हम अपने उपयोग के लिए निकालते हैं और जब बारिश होती है तो वही पानी वापस तालाबों और पोखरों के जरिए ग्राउंड वाटर लेवल को रिचार्ज करने का काम करता है. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. हम भूजल का अत्यधिक दोहन तो कर ही रहे हैं, साथ ही बारिश के पानी को भी धरती के नीचे नहीं पहुंचने दे रहे हैं. बारिश का जो पानी पहले तालाबों में इकट्ठा होकर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने का काम करता था, अब वही पानी नालियों से होकर नदियों में चला जाता है और फिर समुद्र में. क्योंकि अधिकतर तालाब और पोखर शहरीकरण की भेंट चढ़ चुके हैं. अत्यधिक दोहन के कारण ग्राउंड वाटर लेवल (भूजल स्तर) लगातार नीचे गिरता जा रहा है.
नीति आयोग की एक रिपोर्ट में देश के 21 शहरों में 2020 तक भूजल खत्म हो जाने की आशंका जताई गई है. इन शहरों में दिल्ली, गुरुग्राम, गांधीनगर,बेंगलुरु, इंदौर, अमृतसर, चेन्नई, हैदराबाद जैसे बड़े शहर शामिल हैं.
ऐसा नहीं है कि केवल शहरों में ही भूजल का स्तर गिर रहा है.
9 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक पूरक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि देश के 256 जिलों के 1500 ब्लॉक जल संकट के लिहाज से गंभीर कैटेगरी में रखे गए हैं. उन्होंने कहा कि भूजल का गिरता स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच गया है. क्योंकि पानी की जरूरत का 65 प्रतिशत हिस्सा भूजल से ही पूरा होता है.
अटल भूजल योजना क्या है?
इस योजना का मकसद ग्राउंड वॉटर मैनेजमेंट यानी भूजल प्रबंधन को बेहतर करना है. आम लोगों की सहायता से उन इलाकों में ग्राउंड वॉटर लेवल को उठाना है, जहां ये काफी नीचे चला गया है. ये योजना सात राज्यों में लागू की जाएगी. गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा. अटल भूजल योजना के लिए इन 7 राज्यों के 78 जिले और 8350 ग्राम पंचायत चुने गए हैं.
कैसे?#AtalBhujalYojana
इसके अंतर्गत #MadhyaPradesh
के तहत उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां भूजल तेजी से नीचे जा रहा है
, #Gujarat
, #Haryana
, #UttarPradesh
, #Maharashtra
, #Rajasthan
, #Karnataka
जैसे राज्यों के भूजल को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री @narendramodi
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— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) December 25, 2019
इस योजना के अंतर्गत जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को वर्षा जल संरक्षण, जल संचयन, पानी जमा करने, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधता और ग्राउंड वॉटर मैनेजमेंट के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. आधुनिक डेटाबेस की सहायता से पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार किया जाएगा. भारत सरकार और राज्य सरकारों की कई मौजूदा और नई योजनाओं के जरिए जल सुरक्षा योजनाओं को लागू किया जाएगा. ताकि लगातार ग्राउंड वॉटर मैनेजमेंट के लिए मिले फंड के प्रभावी तरीके से उपयोग में मदद मिले.

2017 में मानसून से पहले भारत में भूजल की स्थिति. इस मैप में पंजाब और हरियाणा में ग्राउंड वॉटर की खस्ता हालत देखी जा सकती है. (स्रोत: केंद्रीय भूजल बोर्ड)
कब?
यह योजना पांच वर्षों 2020-21 से 2024-25 की अवधि में लागू की जाएगी. योजना की कुल लागत 6 हजार करोड़ रुपए है. इसमें से 3 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी, जबकि बाकी के 3 हजार करोड़ रुपए वर्ल्ड बैंक लोन के रूप में देगा, जिसका भुगतान केंद्र सरकार करेगी. 24 दिसंबर को अटल भूजल योजना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली.
25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का उद्घाटन किया. भूजल देश के कुल सिंचित क्षेत्र में लगभग 65 प्रतिशत और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में लगभग 85 प्रतिशत योगदान करता है. जनसंख्या के बढ़ते दबाव, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण देश का सीमित भूजल संसाधन खतरे में है. इसी खतरे को देखते हुए सरकार अटल भूजल योजना लेकर आई है.
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