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50 साल का आदमी पॉर्न देखे वो गंदा नहीं, गंदे वो हैं जो ख़ून बहाते और युद्ध करते हैं

पवन कल्याण भी तेलुगु सुपरस्टार बने हैं तो अपनी फिल्मों में घृणित हिंसा करके. वे रामू को पॉर्न की वजह से नीचा नहीं कर सकते.

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आशुतोष चचा
30 जनवरी 2017 (Updated: 4 फ़रवरी 2017, 03:05 PM IST) कॉमेंट्स
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साउथ इंडियन सिनेमा के सुपरस्टार पवन कल्याण की अगली फिल्म 'कटामारयुड़ू' का टीजर आ गया है. फिल्म में उनके साथ हैं श्रुति हासन. कमल हासन की बेटी और बॉलीवुड में पहचाना हुआ चेहरा. ये 2014 में आई तमिल फिल्म 'वीरम' का रीमेक है. उस फिल्म में अजित कुमार और तमन्ना भाटिया थीं. वैसे पवन के सुर्खियों में आने के पीछे सिर्फ 'कटामारयुड़ू' नहीं है, पिछले दिनों रामगोपाल वर्मा से ट्विटर पर उनकी हाय-हाय हो गई थी. उस वाकये ने पवन की पर्सनैलिटी सामने लाने का काम किया. साउथ इंडिया में जलीकट्टू के अलावा जली-कटी का सीजन चल रहा है. पवन कल्याण और रामगोपाल वर्मा में ठन गई. पवन तन गए RGV न्यूट्रल मार गए. पवन ने आखिरी मार्का बात कह दी कि "मैं रामगोपाल के बारे में एक बात बोलूंगा, लास्ट बात बोलूंगा. रामगोपाल 50 साल के आदमी हैं. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है. मैं ऐसे आदमी की बात क्यों सुनूं जो कहता है कि इस उम्र में वो पॉर्न फिल्में इकट्ठा करता है. वो मेरे बारे में अच्छा भी बोलता है बुरा भी. इसके अलावा उसके बारे में कुछ नहीं कहना." लड़ाई की डीटेल में बस इतनी दूर तक जाएंगे कि असली मुद्दे से न भटक जाएं. उससे भी पहले पवन को जान लें, जो न जानते हों. साउथ के बहुत बड़े फिल्म स्टार चिरंजीवी के भाई हैं. खुद भी एक्टर हैं और नेता भी. जन सेना उनकी पार्टी है. आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट का दर्जा दिलाने के लिए लड़ते रहे हैं. रामू इस बात से काफी इंस्पायर हुए. लेकिन तल्ख ट्वीट कर दिया कि दूर से नेतागिरी न करो पब्लिक में जाओ. मोटीवेसन दो. रामू ने पवन कल्याण पर कमेंट करके कुल्हाड़ी पर लात मार लिया. वो खौरा गए. आखिर गुस्साएं क्यों न. 'सुपरस्टार रजनी' ने उनको अगला सुपरस्टार घोषित कर दिया है. तो रामगोपाल किस खेत की मूली हैं. हालांकि रामू ने फिर उनको बेस्ट ऑफ लक बोलते हुए फोन का डेटा ऑफ करके जेब में रख लिया. खैर, मुद्दा यहां हमारी सोसाइटी की एक समझ का है. जिससे निकला एक सुपरस्टार उस आदमी को नीचा साबित करने में लगा है जो खुलेआम सब कहता-करता है. अपनी लाइफ के वो सीक्रेट्स रामगोपाल वर्मा ने अपनी किताब में लिख दिए हैं जिन्हें होशियार पब्लिकली दबा जाते हैं. पवन कल्याण नेता और अभिनेता हैं. इनकी लाइफ में कितने पेंच होते हैं अगर खुल जाएं तो उनकी इमेज धकिया जाती है. रामगोपाल वर्मा की इमेज उनसे अलग है. वो अपने मन की करने वाला आदमी है. जो कहानी दिमाग में चढ़ जाती है उस पर फिल्म बना देता है. वो हिट हो या पिटे. कैमरा एंगल देखकर ही पता चल जाता है कि ये किसकी फिल्म है. कोई कोना नहीं होता जहां से फिल्म का व्यू न मिले. अपनी लाइफ को इतना खुला रखने वाले आदमी को यह कहकर नीचा साबित करने की कोशिश करना कि "वो तो पॉर्न देखता है इस उम्र में" बेहद सतही बात है. रामू क्या देखते हैं वो तो पता चल गया. पॉर्न आदमी अकेले में देखता है. वो जो पब्लिक को दिखाते हैं अपनी फिल्मों में वो कभी सच्चाई तो कभी फिक्शन होता है. उनकी फिल्में क्राइम, एक्शन, थ्रिलर, ड्रामा, रोमांटिक, कॉमेडी, हॉरर, इरॉटिक सारे जॉनर में होती हैं. और पवन कल्याण का फिल्मी करियर बिना एक्शन और खून खच्चर के इमेजिन करना असंभव है. मसलन आप ये दो तीन सीन देखिए. 1. https://www.youtube.com/watch?v=SLz15rSZous 2. https://youtu.be/r4jpr4XHJws?t=236 3. https://youtu.be/v-vJG3FdOc8?t=108 अब सवाल ये है कि सेक्स में सामान्य तौर पर चाव रखने वाला आदमी बेहतर है कि ख़ून बहाने और युद्ध करने का उन्माद रखने वाला? सेक्स करने और मार-काट या खून-खच्चर करने में से एक को चुनना हो तो आप किसको चुनोगे? आप चुप हो जाओगे. सोचने लगोगे. हमारे मन में जो होता है वो हम बोल नहीं पाते ऐसे मौकों पर. क्योंकि समाज में स्थिति वैसी बनी हुई है. मारपीट को यहां बहादुरों का काम माना जाता है और सेक्स का तो पता ही है. स्त्री नरक का द्वार है. जीवन में एक बार करना चाहिए या संतानोत्पत्ति के लिए करना चाहिए बस. शास्त्रों से लेकर कानून में भी इतना ही प्रावधान है. दिक्कत यही है. सेक्स रहता सबके मन में है. स्टडीज़ बताती हैं कि पुरुष औसतन 7 मिनट में एक बार सेक्स के बारे में सोचता है. लेकिन वो स्वीकार्य नहीं है. क्योंकि वो बुरी चीज है. यहां मार काट हिंसा अंतड़ियां बाहर कर देना और रेप वगैरह नॉर्मल है. लेकिन सेक्स या पॉर्न के बारे में बात करने वाला या पब्लिकली स्वीकार करने वाला आदमी मुजरिम है. सेक्स और पॉर्न के साथ अच्छी बात ये है कि वो प्राइवेट चीजें हैं. खुले में न कोई देखता है न करता है. जबकि फिल्मों में होने वाली मार अक्सर चौराहे पर होती है. इसलिए वो सहज हो जाती है. स्वीकार्य हो जाती है. लेकिन खुले और बंद के फर्क के कारण मार सही हो जाए और सेक्स गलत ये ज्यादा गलत है. पॉर्न की बात कहने वाले के सारे करे धरे पर सवाल उठा देना और भी गलत है.
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