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पंचकूला जमीन घोटाले में ED भूपिंदर सिंह हुड्डा के पीछे क्यों पड़ी हुई है?

पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा इस केस में घिरते नजर आ रहे हैं

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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा. (तस्वीर: पीटीआई)
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आदित्य
18 फ़रवरी 2021 (Updated: 18 फ़रवरी 2021, 06:59 AM IST) कॉमेंट्स
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) के हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ चार्जशीट (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) दायर करने के बाद पंचकूला जमीन घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. ED ने इसी हफ्ते इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की है. इसमें उसने भूपिंदर सिंह हुड्डा के अलावा 21 अन्य आरोपितों के खिलाफ मुकद्दमा चलाए जाने की बात कही है. इनमें चार पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं. ED ने इन पर मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोप लगाए हैं. इसके अलावा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) के पूर्व सुपरिटेंडेंट भारत भूषण तनेजा को भी मामले में आरोपित बनाया गया है.
क्या है पंचकूला जमीन घोटाला?
साल 2013 में हरियाणा के पंचकूला में 13 औद्योगिक जमीनों का आवंटन किया गया था. इनकी कीमत 30 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती है. भूपिंदर सिंह हुड्डा उस समय मुख्यमंत्री होने के साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण यानी HUDA के प्रमुख भी थे. आरोप है कि उन्होंने अपने पद और शक्तियों का फायदा उठाते हुए अपनी जान-पहचान के लोगों को ये 14 इंडस्ट्रियल प्लॉट दिलवाए थे, जबकि इसके लिए ज्यादा योग्य आवेदक मौजूद थे.
मामला सामने आने के बाद हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो ने केस दर्ज कर जांच शुरू थी. उसने साल 2015 में ये जांच ED को सौंप दी थी. इसके अगले साल यानी 2016 में CBI ने भी मामले की जांच शुरू की. जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के अलावा आईपीसी की धारा 120, 120-B, 201, 204, 409, 420, 467, 468, 471 के तहत इस केस को इन्वेस्टिगेट कर रही हैं.
अभी तक हुई जांच में पाया गया है कि HUDA के अध्यक्ष रहते हुए भूपिंदर सिंह हुड्डा और चार रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने गलत तरीके से जमीनें आवंटित कीं. आरोप है कि इसके लिए जान-पहचान के आवेदकों का चयन पहले ही कर लिया गया था. इस काम में जिन चार रिटायर्ड अधिकारियों ने कथित रूप से हुड्डा का साथ दिया उनके नाम हैं: धर्मपाल सिंह नागल, सुरजीत सिंह, सुभाष चंद्र कंसल और नरेंद्र सिंह सोलंकी. घोटाले के समय धर्मपाल सिंह HUDA के मुख्य प्रशासक थे. वहीं, सुरजीत सिंह प्रशासक, सुभाष चंद्र कंसर मुख्य नियंत्रक और नरेंद्र सिंह सोलंकी फरीदाबाद जोन के प्रशासक थे. भारत भूषण तनेजा HUDA के सुपरिटेंडेंट थे. चार्जशीट रिपोर्ट में ED ने इन सभी पर हवाला के आरोप लगाए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ED की जांच में पता चला है कि जमीन के आवंटन के लिए निर्धारित मूल्य को सर्किल रेट (सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम कीमत) से 4-5 गुना और बाजार दर से 7-8 गुना कम रखा गया था. एजेंसी ने ये भी बताया कि आवेदन की आखिरी तारीख बीतने के 18 दिन बाद आवंटन के लिए तय किए गए नियमों में भी बदलाव किए गए थे. इन्हें इस तरह बदला गया था कि इंटरव्यू कमिटी में पहले से चुने गए आवेदकों को ही अलॉटमेंट मिल सके. जांच के आधार पर ED ने पूरी इंटरव्यू प्रक्रिया को 'गड़बड़' बताया है. माने सब कुछ पहले से तय था.
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हुड्डा 2005 से लेकर अक्टूबर, 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. (तस्वीर: पीटीआई)


मामले पर हुड्डा ने क्या कहा है?
ED की रिपोर्ट सामने आने के बाद हुड्डा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पूरे मामले को 'पुराना और राजनीति से प्रेरित' बताया है. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है. हुड्डा ने ये भी कहा कि केस अभी न्यायाधीन है और वे ये लड़ाई कोर्ट में लड़ेंगे. बता दें कि पंचकूला जमीन घोटाला मामले में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल होने के बाद हुड्डा और अन्य आरोपितों पर कोर्ट में ट्रायल चलेगा. ये ट्रायल ED द्वारा की गई जांच के आधार पर किया जाएगा. गौरतलब है कि पंचकूला के अलावा हरियाणा के दूसरे इलाकों (मानेसर, गुरुग्राम आदि) में भी जमीनों के आवंटनों को लेकर भूपिंदर सिंह हुड्डा पर गड़बड़ी करने के आरोप हैं. इन मामलों की जांच भी ED और CBI द्वारा की जा रही है.
कौन हैं भूपिंदर सिंह हुड्डा?
भूपिंदर सिंह हुड्डा मार्च, 2005 से लेकर अक्टूबर, 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. वे परंपरागत कांग्रेसी हैं. उनके पिता रणवीर सिंह हुड्डा भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे थे, जो आजादी के बाद पंजाब सरकार में मंत्री भी रह चुके थे. भूपिंदर सिंह हुड्डा ने साल 1972 में राजनीति में कदम रखा था. शुरुआती दिनों में वे रोहतक के किलोई ब्लॉक के कांग्रेस अध्यक्ष थे. फिर हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रोहतक पंचायत समिति के अध्यक्ष और हरियाणा के पंचायत परिषद के अध्यक्ष रहे. साल 1991, 1996, 1998 और 2004 में वे लगातार लोकसभा सांसद रहे. 1996 से 2001 तक हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

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