The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • open letter to women who won entry into haji ali mosque

बधाई हो औरतों, अब पूजा-दुआ करो और किस्मत बदलो

बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला आया है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
ऋषभ
26 अगस्त 2016 (Updated: 26 अगस्त 2016, 09:16 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
'उन औरतों को बधाई, जिन्होंने कानून की नजर में बराबरी के लिए लड़ाई लड़ी और मरे आदमी की कब्र पर अपना वक्त बर्बाद करने का अधिकार पा लिया.'
https://twitter.com/kamleshksingh/status/769049521565360128
 
औरतों! अब एकदम खुश हो जाओ. लड़ाई तो जीत ली.
बम्बई हाई कोर्ट के फैसले ने आपको ये अधिकार दे दिया कि आप लोग हाजी अली की दरगाह में एकदम अन्दर तक जा सकेंगी. 5 साल पहले धर्म के रखवालों ने औरतों को जाने से रोक दिया था. अभी भी वो लोग मानेंगे तो नहीं. सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. अंदाज़ा है कि वहां से भी फैसला आपके ही पक्ष में आएगा. बम्बई कोर्ट के फैसले पर 6 सप्ताह तक रोक है. एकदम अभी से लागू नहीं हो गया. पर आपकी पार्टी तो शुरू हो गई है.
ठीक वैसे ही जैसे शनि शिंगणापुर में घुसने को लेकर आपने लड़ाई जीती थी. पंडों से लड़कर आपने अपने लिए वहां जगह बनाई. बड़ी पार्टी हुई थी उस वक़्त. लगा कि औरतें समाज के बंधनों से मुक्त हो गईं.
पर क्या सच में ऐसा हुआ? क्या फर्क पड़ा?
सबरीमाला में पीरियड आने पर मंदिर में जाने से रोक दिया जाता है. वो जगह तो बहुत दूर है. घरों में लड़कियों को पीरियड आने पर दीवाली की पूजा से उठा देते हैं. सुबह से शाम तक काम करवाएंगे और पूजा के वक़्त कहेंगे बेटी, तुम अशुद्ध हो. अभी देवी और भगवान को छूना मत. देवी को तो पीरियड आते नहीं हैं. पीरियड वाली एक अलग ही देवी हैं. भगवान को इससे मतलब नहीं. मतलब होता तो वहीं झल्ला ना जाते?
हजारों सालों से धर्म के नाम पर औरतों को गुलाम बना कर रखा गया है. ये पूजा, वो पूजा. ये व्रत, वो व्रत. शरिया और सरिया में कोई फर्क ही नहीं. दोनों चलाकर औरत को कूट दो. मर्दों के लिए ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं. बचपन से लेकर बड़े हो गए. हमेशा यही देखा कि मां तड़के उठ जाती है. पूरा परिवार पड़ा हुआ है. पर उसके लिए कोई आलस नहीं है. गर्मी हो या जाड़ा, फट से नहा के पूजा करना है. दौड़ के खाना बनाना है. तबीयत ख़राब हो फिर भी कोई-ना-कोई व्रत जरूर करना है. बेटे के लिए. पति के लिए. बेटी के लिए नहीं. उसको तो बड़े होकर फिर अपने पति-बच्चों के लिए यही जिम्मेदारी निभानी है. एकदम फुल ट्रेनिंग चल रही है.
कोई ये नहीं सिखाता कि बेटी, ये धरम-वरम तुमको बांधने के लिए हैं. तीज-त्योहार इसीलिए बनाये गए हैं कि तुम पलट के प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी ना मांग लो. गिफ्ट से ही खुश रहो. कभी-कभी अपने मायके से लड़कियों की लड़ाई होती है कि अब तो गिफ्ट भी नहीं दिए जा रहे.
इस लड़ाई से फिर वही चीज दुहराई जा रही है. एकदम गोल चक्कर में घूमने के माफिक. घूम-फिर के फिर वहीं. लड़ाई लड़ के एक मरे हुए इंसान को छूने का मौका मिलेगा. कहीं पर किसी काले पत्थर पर तेल लगाने का मौका मिलेगा. गिफ्ट बंद हो गया था. अब इस गिफ्ट से खुश हो जाओ.
अगर लगता है कि इसी तरह धर्म के लिए लड़ते रहे तो समाज से मुक्ति हो जाएगी, तो ठीक है. पर सच यही है कि इससे कुछ नहीं होगा. लड़ाई तो होनी चाहिए. प्रॉपर्टी के लिए. बराबरी के लिए. क्योंकि हर बराबरी प्रॉपर्टी से ही शुरू होती है. बाकी सारी चीजें सिर्फ बातों में उलझकर रह जाती हैं.
तो फिर क्या करें औरतें. सिंपल है. कम से कम लिखने में. अमल में जाहिर है बहुत फाइट आएगी.
1. खूब पढ़ाई करो. नौकरी करो या बिजनेस, पैसों के मामले में खुद पर डिपेंड रहो.
2. किताबों पढ़ो, फ़िल्में देखो, दुनिया घूमो, दोस्त बनाओ. इन सब चीजों से दिमाग खुलता है. सही गलत क्या है औऱ क्या बताया जा रहा है, समझ आता है.
3. खूब गलतियां करो. उनसे सीखो भी. आगे बढ़ो. मर्जी से प्यार करो, सेक्स करो, शादी करो. अपनी बॉडी को लेकर, अपनी च्वाइसेस को लेकर किसी की ठूंसी गई शेम को मत निगलो.
4. अगर बच्चे पैदा करो तो उन्हें सिखाओ, समझाओ. आदमी औऱ औरत के फर्जी भेदों के बारे में. धर्म के कर्मकांडों के नाम पर फैलाए मूर्खताओं के जाल के बारे में. उन्हें इंसान बनाओ. तर्कशील.
5. त्याग करो. दूसरों के लिए नहीं. अपने लिए. विधि का विधान, परिवार की जिम्मेदारी, समाज, लोकलाज के नाम पर अपनी छीछालेदर करना बंद करो. स्वस्थ रहो. पौष्टिक खाना खाओ. भूख लगे तो फौरन खाओ, सबके खाने का इंतजार मत करो. एक्सरसाइज करो. आयरन की कमी दूर रखने के लिए अच्छी डाइट लो. और कुछ स्वार्थी भी रहो. किसी चीज से दिक्कत हो रही है. घर में, दफ्तर में, सड़क पर. चिल्ला कर बोलो. भाड़ में गए वो आदमी और औरत, जो तुम्हें तुम्हारे जैसा होने के लिए घूरते हैं, लानत भरते हैं. यू लिव वंस.

Advertisement