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बिहार जीतने के लिए महाराष्ट्र-एमपी की राह पर नीतीश, महिलाओं के वोट सुरक्षित करने का प्रेशर जो है

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले Nitish Kumar के नेतृत्व वाली NDA सरकार भी Maharashtra और Madhya Pradesh की तरह बिहार की महिलाओं के लिए महिला सम्मान योजना शुरू करने पर विचार कर रही है.

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नीतीश कुमार महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर की योजना लागू कर सकते हैं. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
13 मार्च 2025 (Published: 04:17 PM IST) कॉमेंट्स
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) महिला वोटर्स के चहेते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बारे में भी यही कहा जाता है. आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. लेकिन राजनीति में कुछ भी ‘टेकेन फॉर ग्रांटेड’ नहीं होता. और इसका इल्म राजनीति के इन दोनों सूरमाओं को खूब अच्छे से है. इसलिए बिहार चुनाव से पहले ये जोड़ी महिला वोटर्स को अपने पाले में बनाए रखने के लिए आजमाए हुए फॉर्मूले को लागू करने की तैयारी में है. महिलाओं को कैश ट्रांसफर करने की योजना.

सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार इस साल जुलाई के अंत तक इस योजना की घोषणा कर सकती है. जिससे विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के अकाउंट में धनराशि की किश्त पहुंचने लगे. महिलाओं से जुड़ी इस योजना का नाम और कितनी राशि प्रति महिला आवंटित की जा सकती है, इस पर विचार-विमर्श चल रहा है.

बजट में एलान करने की उम्मीद थी

3 मार्च को बिहार विधानसभा में बजट पेश हुआ. ये नीतीश सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट था. पिटारे में महिलाओं के लिए कई सौगात दिखे. ओपन जिम, कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल, शहर में पिंक टॉयलेट, पिंक बस (जिसमें ड्राइवर, कंडक्टर और सवारी महिलाएं होंगी) और महिला हाट जैसी सुविधाओं का एलान हुआ. लेकिन जिस योजना की चर्चा राजनीतिक गलियारे में सबसे ज्यादा थी. बजट में उसका जिक्र नहीं आया. महिलाओं के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजना.

बजट में इस योजना का जिक्र नहीं आने के सवाल पर सीनियर पत्रकार मनोज मुकुल बताते हैं, 

मीडिया में चर्चा थी कि बजट में देंगे लेकिन बजट में इसकी घोषणा नहीं करने की वजह है खजाने पर अतिरिक्त बोझ. इसके लिए कहीं से पैसा काट कर लाना पड़ता. लेकिन अब जुलाई में इसकी घोषणा करेंगे. रजिस्ट्रेशन में महीना भर लगेगा. सितंबर तक चुनाव की तारीख आ जाएगी. मुश्किल से एक किश्त देना पड़ेगा. मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने ऐसे ही आखिरी महीनों में लाडली बहना योजना की घोषणा की थी.

महिला सम्मान निधि आजमाया हुआ फॉर्मूला

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मध्य प्रदेश ने लाडली बहना योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत महिलाओं के खाते में कैश ट्रांसफर किया गया. इस चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली. इसके बाद से ये ट्रेंड सा बन गया. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में भी बीजेपी ने ये दांव चला. और महिला वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही. बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टियों ने भी इस ट्रेंड को पकड़ा. झारखंड में हेमंत सोरन सरकार मइंया सम्मान योजना लेकर आई. उनका ये दांव सफल रहा. 

अब बीजेपी अपना आजमाया हुआ दांव बिहार में भी लागू करना चाहती हैं. सीनियर पत्रकार रमाकांत चंदन की मानें तो बीजेपी के नेता भी चुनाव से पहले इस योजना को लागू करने की बात कर रहे हैं. रमाकांत चंदन के मुताबिक, बीजेपी के दो वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें ये बात ऑफ द रिकॉर्ड कही. 

इंडिया टुडे के लिए बीजेपी कवर करने वाले हिमांशु मिश्रा बताते हैं, 

नीतीश कुमार लगभग 20 साल से मुख्यमंत्री हैं. उनके खिलाफ एक एंटी इनकंबेंसी है. 2015 का चुनाव उन्होंने राजद के साथ लड़ा था. उसमें लगभग टू थर्ड मेजरिटी मिली थी. लेकिन 2020 में बीजेपी के साथ गए तो जीत का मार्जिन घटा. और नीतीश कुमार की सीटें 71 से घटकर 42 रह गईं. आज के दौर में महिला वोटर एक बड़ा फैक्टर है और बीजेपी इसको खूब अच्छे से समझती है.

वोट बैंक को इन्टैक्ट रखने की कवायद

नीतीश कुमार साल 2005 में जब सत्ता में आए तो उन्होंने महिलाओं के लिए खूब काम किया. 10वीं तक की छात्राओं के लिए पोशाक और साइकिल के लिए पैसा दिया गया. दसवीं, बारहवीं और ग्रेजुएशन करने वाली लड़कियों के लिए आर्थिक मदद का एलान किया. पंचायत और नगर निकाय में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया. सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण लागू किया. इन कामों का नीतीश कुमार को फायदा भी खूब हुआ. 2010 के चुनाव में उनको बंपर जीत मिली. NDA के खाते में 243 में से 206 सीटें गईं. इन नतीजों के बाद कई राजनीतिक विश्लेषकों ने लिखा कि भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार ने पहली बार महिलाओं को एक स्वतंत्र वोट बैंक के तौर पर देखा. 

2015 में नीतीश कुमार राजद के साथ चुनाव में गए. सरकार बनी. 2016 में शराबबंदी लागू किया. इसके फोकस में भी महिलाएं थीं. DW की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में आज 30 हजार महिला पुलिस हैं. यह संख्या देश की किसी भी राज्य से अधिक है. इसके अलावा जीविका के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार में मदद की जा रही है. इस समय राज्य में जीविका दीदी की संख्या एक करोड़ 38 लाख है. महिलाओं के लिए इन तमाम योजनाओं के बावजूद भी नीतीश सरकार को आखिर में महिला सम्मान निधि की जरूरत क्यों महसूस हो रही है. इस पर मनोज मुकुल कहते हैं,

 नीतीश कुमार की अधिकतर योजनाएं 2005 से 10 के बीच शुरू हुई थीं. ये अब अतीत का हिस्सा हैं. इसका इनाम भी उनको जनता से मिल चुका है. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती. राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए आपको नए प्रयोग करते रहने पड़ते हैं. राजस्थान को छोड़ दें तो अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि जब सत्ताधारी गठबंधन इस तरह का वादा करती है तो लोग उस पर यकीन करते हैं.

विपक्षी गठबंधन का दबाव 

बिहार में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने माई बहिन सम्मान योजना की घोषणा कर दी है. इस योजना के तहत उन्होंने सरकार बनने पर महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देने का वादा किया है. मौजूदा सरकार पर इसका काउंटर करने का दबाव भी है. मनोज मुकुल बताते हैं कि विपक्ष के दावों पर यकीन करना मुश्किल होता है लेकिन लोगों ने दिल्ली और छत्तीसगढ़ में विपक्ष के वादों पर यकीन किया. इसलिए नीतीश सरकार के सामने अपना वोट बैंक इन्टैक्ट रखने का दबाव है. तेजस्वी यादव के इस मूव के बाद से भगवा खेमे की बेचैनी और बढ़ गई है. हिमांशु मिश्रा बताते हैं,  

बीजेपी इस बात को बखूबी समझती है कि MY (मुस्लिम यादव) समीकरण के साथ लेफ्ट पार्टियों का जनाधार (पिछड़ी जातियों में) इनटैक्ट रह गया तो बीजेपी और नीतीश को डेंट हो सकता है. महिला सम्मान निधि जैसी योजना जातिगत बाड़ को तोड़ कर महिलाओं को NDA के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित करेगी. 2010 में मिली बंपर जीत में महिलाओं का अहम योगदान रहा. उसी प्रयोग की अगली कड़ी में महिला सम्मान निधि की घोषणा जुलाई में की जा सकती है.

तेजस्वी यादव महिलाओं के मुद्दे पर एग्रेसिव होकर खेल रहे हैं. महिला सम्मान को मुद्दा बनाकर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को आगे किया है. चर्चा है कि राजद की अगली प्रदेश अध्यक्ष कोई महिला भी हो सकती है. यानी तेजस्वी इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने के लिए तैयार दिख रहे हैं. वहीं नीतीश कुमार के सारे दांव पुराने हो चुके हैं. महिलाओं को नौकरी में रिजर्वेशन, पंचायत में आरक्षण और छात्रवृति जैसी योजनाएं भुनाई जा चुकी हैं. ऐसे में सवाल है कि अभी तत्काल महिलाओं को क्या दिया जा सकता है ताकि उनका वोट बैंक सुरक्षित रहे. अभी इसका एकमात्र जवाब दिख रहा है. डायरेक्ट कैश ट्रांसफर. यानी सीधे महिलाओं के खाते में पैसा.

वीडियो: नीतीश कुमार पर क्या बोल गए तेजस्वी यादव? बिहार को खटारा नहीं नई गाड़ी...

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