नीतीश कुमार ने ऐसा क्या कह दिया जो उन्हें माफी मांगनी पड़ गई?
नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को बिहार विधानसभा और विधानपरिषद में बयान दिया था. ये बयान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर था, और बयान के फोकस में था आदमी-औरत के बीच बनने वाला यौन संबंध, बर्थ कंट्रोल और महिला शिक्षा का इसमें रोल. इस मुद्दे पर नीतीश कुमार ने जो कहा उसी पर बवाल पर मचा है.

आज बात होगी नीतीश कुमार के बयान पर. स्त्री पुरुष के संबंधों को लेकर दिया गया ये बयान मूर्खतापूर्ण है, साथ ही बहुत ज्यादा नासमझी से भरा हुआ है. अगर ऐसा न होता तो बिहार के सीएम को ये नहीं कहना होता कि उन्हें अपने बयान पर शर्म है. लेकिन उनका यही एक बयान नहीं है, जो समस्याग्रस्त हो. वो पहले भी ऐसे बयान देते रहे हैं. सब कुछ की बात करेंगे, और बात करेंगे राजनीति की.
नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को बिहार विधानसभा और विधानपरिषद में बयान दिया था. ये बयान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर था, और बयान के फोकस में था आदमी-औरत के बीच बनने वाला यौन संबंध, बर्थ कंट्रोल और महिला शिक्षा का इसमें रोल.
नीतीश कुमार जब ये बातें कर रहे थे, तो वो अपने हाथों से इशारे कर रहे थे, जेसचर बना रहे थे. बार-बार अपने हाथ को पेट पर रगड़ रहे थे. हंस रहे थे, उनके आसपास बैठे विधायक भी खिलखिला रहे थे. बोल बस नीतीश कुमार रहे थे, लेकिन सदन में बैठे तमाम माननीयों के लिए ये प्रहसन का विषय हो चुका था. लिहाजा बवाल हुआ.
लेकिन नीतीश कुमार ने जो कहा, उसको हमें और आपको unfiltered तरीके से जानना-समझना चाहिए. तो ही हम पूरी बहस हो अच्छे से समझ पाएंगे.
"एक आदमी और एक औरत की जब शादी होती है, तो आदमी औरत के साथ रोज रात को सेक्स करता है. और उसमें ही बच्चा पैदा होता है. लेकिन लड़की जब पढ़ लेती है, तो वो समझदार हो जाती है. तो वो लड़के को कहती है कि वो वजाइना के भीतर स्खलित न हो, बल्कि वीर्य के निकलते वक़्त लड़का अपना पेनिस योनि से बाहर निकाल ले. तो ऐसे लड़की के गर्भवती होने के चांस कम हो जाते हैं, और ऐसे जनसंख्या कम होने लगती है."
अब आप एक बात समझिए. हमने जो आपको बताया, वही बात नीतीश कुमार कह रहे थे. शायद आपको मेरी बात सुनकर इतना अचरज और बुरा न लगा हो, लेकिन नीतीश कुमार के बयान को सुनकर लगा. क्यों? क्योंकि उनके भाषणों में मानव लिंगों और वीर्य का जिक्र नहीं था. वो पूरी बात इशारों में कह रहे थे. वैसे इशारे जैसे गली-सड़क के किनारे चाय के अड्डों पर पुरुष आपस में बातचीत में करते हैं. ये बात साफ है कि अगर नीतीश कुमार अपनी भदेस भाषा में इन बातों को न कहते, इशारों का इस्तेमाल न करते, कुछ और सुघड़ शब्दों का इस्तेमाल कर लेते, तो शायद इतना विवाद न होता.
लेकिन नीतीश कुमार के भाषण में बस भाषा और लहजा ही एक दिक्कत नहीं है. एक और दिक्कत है, वो है ज्ञान का अभाव.
नीतीश कुमार जब ये बातें कह रहे थे, तो एक के बाद एक तीन चार गलतियां कर रहे थे.
1 - वो बर्थ कंट्रोल के लिए एक बहुत कमजोर मेथड की बात कर रहे थे. जिसमें पुरुष को ईजैक्यूलैशन के समय पुल आउट करना होता है. इसमें प्रेगनेंसी के चांस बने रहते हैं
2 - वो बर्थ कंट्रोल के लिए कंडोम या ओरल कान्ट्रसेप्टिव पिल की संभावना को नकार रहे थे.
3 - वो बर्थ कंट्रोल का सारा दारोमदार महिला की शिक्षा और समझदारी पर डाल दे रहे थे. पुरुषों की जिम्मेदारी की कोई बात नहीं.
आगे चलते हैं बहस पर. जब नीतीश का बयान 7 नवंबर को वायरल हुआ, तो बिहार में उनके विरोधी उन पर निशाना साधने लगे. नीतीश कुमार के भाषण को अश्लील करार दिया गया. भाजपा विधायक अरुणा देवी ने तो यहां तक कहा कि नीतीश कुमार का दिमाग सठिया गया है. भाजपा से जुड़ी विधान परिषद सदस्या निवेदिता सिंह फूट-फूटकर रोने लगीं. नीतीश के पुराने सहयोगी भी उन पर हमलावर नजर आए.
कैलेंडर में 8 नवंबर की तारीख लगी, जब जदयू और राजद बैकफुट पर थे. तो नीतीश कुमार ने माफी मांगीं. विधानभवन के बाहर भी मांगी. विधानसभा और विधान परिषद के अंदर भी माफी मांगी. नीतीश ने इधर माफी तो मांग ली. लेकिन उनकी माफी किसी तरह से सध नहीं सकी. NCW चीफ रेखा शर्मा ने नीतीश कुमार को कहा कि माफी बहुत नहीं है, और इस कांड में कौरवों द्वारा किये गए द्रौपदी के अपमान से जोड़ दिया. लेकिन नीतीश पर सबसे बड़ा हमला किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने. वो मध्य प्रदेश के गुना में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. तो उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए भद्दी बात करने वाले समाज का कल्याण कैसे करेंगे?
पीएम मोदी कह रहे थे कि उनके बयान की किसी विपक्षी नेता ने आलोचना नहीं की.
राजद के एक्स हैंडल से जो चीजें पोस्ट की गईं, उन्हें पढ़कर लगा गोया नीतीश के बयान के बहाने निकाले जा रहे हों. लिखा गया,
"मणिपुर में भाजपाइयों के इशारे में नग्न महिला की योनि के साथ क्या किया गया? जंतर-मन्तर पर अंतरराष्ट्रीय मेडल विजेता महिला पहलवानों के भाजपाई पुलिस द्वारा स्तन दबाए गए लेकिन तब गोदी मीडिया की आत्मा मर गयी थी, तब TWEET करने से पहले इनकी उंगलियों को लकवा मार गया था."
नीतीश की अपनी पार्टी JDU के दूसरे नेताओं के भी बयान आए.
लेकिन एक बात हम दावे के साथ कह सकते हैं कि नीतीश कुमार के लिए ये पहला मौका नहीं है, जब उन्होंने इसी विषय पर इसी टेस्ट का बयान दिया हो. एक और मौका है और उसका भी वीडियो है. 7 जनवरी 2023. वैशाली जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने स्त्री पुरुष संबंध और स्खलन की वही बात दुहराई. उसी लहजे में. उसी तरीके से. और उनके बगल की कुर्सी खाली भी नहीं थी. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बैठे हुए थे. नीतीश कुमार का ये बयान तब कहीं खो गया था. कोई हल्ला नहीं हुआ. सामने पब्लिक पत्रकार सब थे, किसी ने सवाल नहीं उठाए. लेकिन अब, जैसा उन्होंने कहा कि वो शर्म कर रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या नीतीश कुमार अपने पुराने बयान पर भी शर्म कर रहे हैं? क्या नीतीश कुमार अपनी स्थापनाओं पर भी शर्म कर रहे हैं, जो उन्हें बारहा इन बयानों के लिए उकसाता है? मामला अश्लीलता का नहीं है. मामला है समझ का. साथ देने वालों और सवाल उठाने वालों दोनों को अपनी समझ का आकलन करना चाहिए.

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