मोदी ने जिस AMU में भाषण दिया, वहां पर बस अफ़वाह के चक्कर में ऐसा बवाल हुआ था कि पूछो मत
मोहम्मद अली जिन्ना की फ़ोटो पर क्या हुआ था बवाल? जान लो पूरी कहानी

अब यहां सवाल उठता है कि जिन्ना की तस्वीर सचमुच में लगी थी या फ़र्ज़ी क़िस्म का बवाल था? जवाब है कि जिन्ना की तस्वीर लगी हुई थी. कहां? स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी थी. AMU ने साल 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना को आजीवन सदस्यता दी थी. इससे पहले महात्मा गांधी को भी AMU ने ये सदस्यता दी थी. दरअसल AMU ने आज़ादी से पहले दर्जनों लोगों को सदस्यता दी थी और उनमें से अधिकतर लोगों की तस्वीरें अभी भी स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी हुई हैं. जिन्ना की उनमें से एक है. सतीश गौतम के पत्र के बाद एक लम्बा ख़ासा बवाल उठा था. तस्वीर का विरोध करने वाले कई लोग कैंपस में घुस आए थे. वो भी उस समय जब पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी AMU कैंपस में मौजूद थे. हिंसक झड़प हुई. बहरहाल, तस्वीर अभी भी है. बहस अभी भी है कि AMU के परिसर में जिन्ना की तस्वीर होनी चाहिए, या नहीं. # CAA-NRC का बम्पर बवाल CAA और NRC के विरोध में बीते एक साल के वक़्फ़े में बहुत कुछ हुआ. इसी विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किए. इसके बाद कई और जगहों पर प्रदर्शन होने शुरू हुए. बात AMU तक भी आ गयी. ऐसे ही एक प्रदर्शन के दिन छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर जाना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोशिश की. मामला बढ़ा. पथराव और लाठीचार्ज में कम से कम 20 छात्र और 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए. पुलिस को दंगारोधी दस्ते को बुलाना पड़ा. मामला बढ़ता देख AMU को 5 जनवरी तक के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बंद कर दिया था. उत्तर प्रदेश पुलिस का यह विडियो ट्वीट देख सकते हैं.एएमयू में जिन्ना की तस्वीर पर सांसद का वीसी को पत्र। Source: हिन्दुस्तान#Satishgautam #MpAligarh #amu pic.twitter.com/FvlGhquBPy
— Satish Gautam (@satishgautam72) May 1, 2018
# पीतल के हिजाब की धमकी जुलाई 2020. AMU से एक ख़बर आई. एक छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसे सोशल मीडिया पर धमकी दी गई कि लॉकडाउन के बाद यूनिवर्सिटी खुलने पर उसे पीतल का हिजाब पहनना होगा. ख़बरों के मुताबिक़, छात्रा का कहना था कि जबसे उसने CAA और NRC का समर्थन किया है, उसके बाद से उसे निशाना बनाया जा रहा है. इस मामले पर कई नेताओं ने हिजाब पहनाने वाले छात्र को पाकिस्तान जाने की सलाह दी. AMU एक बार फिर से लाइमलाइट में आ गया. न्यूज़ एजेंसी ANI का ट्वीट देख सकते हैं. इसमें अलीगढ़ सिविल लाइंस के सर्कल ऑफिसर अनिल समानिया ने जानकारी दी थी कि मामले को लेकर केस रजिस्टर कर लिया गया है और आरोपी छात्र को पकड़ने के लिए दो टीम बनाई गई है.Police appealing for order and warning the unlawful assembly. Some policemen received injuries in stone pelting. To control the situation, police had to resort to tear gas munitions. Situation is under control.@ndtv @News18UP @ANINewsUP @htTweets #AligarhMuslimUniversity pic.twitter.com/2BQDARAfm2
— UP POLICE (@Uppolice) December 15, 2019
# अफ़वाह उड़ी कि हिंदू छात्रों को रमज़ान में नाश्ता नहीं दिया जा रहा है मई 2017. ख़बर आई कि रमज़ान के महीने में AMU में हिंदू छात्रों को नाश्ता नहीं दिया जा रहा है. ख़बर आते ही वायरल. न्यूज़ 18 गुजराती का यह ट्वीट देख सकते हैं.Aligarh: Case registered against an AMU student for allegedly threatening another student that she would be forced to wear a “brass hijab”. Anil Samaniya, Circle Officer, Civil Lines says, "Accused student is currently in Bihar. Two teams have formed to arrest him." (20.07.20) pic.twitter.com/fFGPAtZOPJ
— ANI UP (@ANINewsUP) July 20, 2020
मामले को लेकर उस वक्त लल्लनटॉप की टीम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सर सैयद अहमद नॉर्थ हॉस्टल के किचन के इंचार्ज सज्जाद अहमद दार से बात की थी. सज्जाद ने बताया था कि किचन तो सारे चल रहे हैं. 20 जून को गर्मी की छुट्टियों के बाद बंद होंगे. किसी को खाने की दिक्कत नहीं है. बस इतना हुआ है कि जो डिनर पहले 7 बजे शाम को मिलता था, वो अब थोड़ा पहले मिलने लगा है. नाम लिखवा लें तो रूम में मिल जाएगा. हमने हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अली नदीम रिजवी से भी बात की थी. उन्होंने भी यही कहा था कि ऐसी कोई बात नहीं है, बस टाइम थोड़ा बदल गया है. और ये बहुत पुरानी परंपरा है. पहले भी होता था. पर जो लोग रोज़ा नहीं रखते, उनको कोई दिक्कत नहीं होती है. इस मामले पर भी बम्पर बवाल कटा. लेकिन AMU ने जानकारी दी और तब जाकर पूरा बवाल शांत हुआ. # राजा महेंद्र प्रताप सिंह की ज़मीन पर बवाल राजा महेंद्र प्रताप सिंह आजादी के आंदोलन के सेनानी थे. बीजेपी से जुड़े लोग और समर्थक ये दावा करते हैं कि जिस ज़मीन पर AMU बसा हुआ है, वह जमीन राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ही दान की थी. लेकिन अब उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाने से AMU नकारती है. 1 दिसंबर को राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्मदिन होता है. 2014 में बीजेपी समर्थकों ने AMU परिसर में राजा के जन्मदिन मनाने की बात की तो कुलपति ने इस प्रोग्राम को रद्द कर दिया. इसके बाद अलीगढ़ बीजेपी जिलाध्यक्ष ने 28 नवंबर को कहा कि हम यूनिवर्सिटी गेट पर राजा का जन्मदिन मनाएंगे और पुलिस के रोकने से भी नहीं हटेंगे. न्यूज़ 18 उत्तर प्रदेश का ट्वीट देख सकते हैं.#BREAKING: Controversy strikes on Aligarh Muslim University campus, no food provided to students during Roza hours
— News18Gujarati (@News18Guj) May 31, 2017
बाद में AMU प्रशासन ने जानकारी दी कि राजा महेंद्र पार्क में जयंती मनाई जाएगी और इसको लेकर अलीगढ़ से सांसद सतीश गौतम से सहमति बन गई है. अब बस ये बवाल कम नहीं है. कई बार कई लोग AMU का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर करने की मांग भी करते रहे हैं. और इधर 14 सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगले बजट में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर स्टेट विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी. उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री ऑफिस का ट्वीट देख लीजिए.#AMU अलीगढ़ - राजा महेंद्र प्रताप का जन्मदिन एएमयू के गेट पर मनाएंगे, पुलिस के रोकने पर भी मनेगा जन्मदिन-बीजेपी जिलाध्यक्ष
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) November 28, 2014
इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट फैसले में 11 नवंबर 2019 को अलीगढ़ मंडल में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ की स्थापना की जानकारी दी थी.#UPCM श्री @myogiadityanath ने अलीगढ़ में 1135 करोड़ रुपए की 352 परियोजनाओं का लोकार्पण समारोह के दौरान कहा कि अगले बजट में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर स्टेट विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। pic.twitter.com/XFAPySwuhM
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 14, 2019
26 मई 2020 को राज्य सरकार ने जानकारी दी कि राजा महेंद्र यूनिवर्सिटी के लिए जमीन दी जा चुकी है. और निर्माण का काम जारी है. राजा महेंद्र और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का क्या लफड़ा है? इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में AMU के हवाले से बताया गया है कि राजा महेंद्र प्रताप ने 1929 में 2 रुपये प्रति सालाना की दर से 3.04 एकड़ जमीन लीज पर दी थी, जिसका किराया दिया जाता है. लेकिन यूनिवर्सिटी की कुल जमीन का यह बहुत छोटा सा हिस्सा है. यूनिवर्सिटी की अधिकतर जमीन अंग्रेजों से खरीदी गई थी. इसके साथ ही कुछ और लोगों ने दान भी दिया था. सितंबर 2020 में ऐसी ख़बरें भी आईं जिसमें कहा गया कि राजा महेंद्र के परिवार ने AMU प्रशासन से लीज के 90 साल पूरे होने पर जमीन वापस करने की मांग की. इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी ने एक कमिटी भी बनाई है. बता दें कि देश और AMU के लिए दिए गए योगदान के लिए राजा महेंद्र की तस्वीर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में लगी हुई है. इन विवादों के साथ ही 2018 में यूनिवर्सिटी परिसर में एक नाटक कार्यक्रम के पोस्टर में बिना जम्मू-कश्मीर के भारत के मानचित्र दिखने पर खूब हो-हल्ला हुआ था. मामला बढ़ने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सफाई देते हुए कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला किया था और उस कार्यक्रम से जुड़े सभी पोस्टर और बैनर हटवा दिए थे.अलीगढ़ मण्डल में ‘राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़’ की स्थापना हेतु ‘उ0प्र0 राज्य विश्वविद्यालय, अधिनियम-1973’ में संशोधन का निर्णय pic.twitter.com/wBg2qoFcHM
— Government of UP (@UPGovt) November 11, 2019
वीडियो - जिन्ना की फोटो विवाद के बाद AMU के प्रेसिडेंट ने क्या कहा?