The Lallantop
Advertisement

जाना था जापान, गलती से पहुंचे अमेरिका, बोले- भारत है!

ये था सबसे कंफ्यूज लेकिन कारगर नक्शेबाज.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
लल्लनटॉप
14 अगस्त 2016 (Updated: 14 अगस्त 2016, 07:03 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
पारुल
पारुल

अमेरिका वमेरिका गए हो. ओबामा-ट्रंप को तो जानते ही हो. कुल मिलाकर टोटल बात ये है कि अमेरिका बड़ा मुल्क है. पूरी दुनिया में अपना रौला टाइट किए रहता है. इस अमेरिका को धोखे में खोजने का क्रेडिट जाता है सोनिया गांधी के मायके इटली के एक बंदे को. नामकरण संस्कार में नाम पड़ा क्रिस्टोफर कोलंबस. आपका 'दी लल्लनटॉप' जो नक्शेबाज सीरीज चला रहा है, आज उसकी छठी किस्त आई है. इसके बारे में बताएंगी प्यारी पारुल.


 
NAKSHEBAZ BANNER

क्रिस्टोफर कोलंबस

ये इटैलियन ट्रैवलर और एक्स्प्लोरर थे. चार बार अटलांटिक ओशन पार कर के घूमने गए थे. वैसे घूमने नहीं गए थे, पहले खोजने गए थे. फिर स्पेन की कॉलोनी बनाने. सेंचुरी में नंबर चल रहा था 15वीं.
ड्राइविंग फ़ोर्स:
बिज़नेस के चक्कर में समुद्री रास्तों और मार्केट इन दोनों की समझ कोलंबस को आ चुकी थी. अब कोलंबस कुछ बड़ा करना चाहते थे. इसीलिए स्पेन के राजा से घूमने की परमिशन मांगी. भारत और उसके आसपास की जगहों तक पहुंचने का नया समुद्री रास्ता खोजने के लिए. जिससे एशिया से इनका ट्रेड और फायदेमंद बन सके. लेकिन कोलंबस को एक 'नई दुनिया' ही मिल गई. यानी अमेरिका.
फैमिली बैकग्राउंड/इनकम लेवल:
क्रिस्टोफर कोलंबस के पापा ऊन के कपड़े बनाते थे. साथ में एक चीज़ की दुकान भी चलाते थे. कोलंबस खाली वक़्त में वहीं दुकानदारी किया करते थे. मतलब शुद्ध रूप से मिडिल क्लास परिवार. क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपने करियर की शुरुआत बिज़नेस एजेंट बन कर की. और इसी वजह से इनका दूर-दराज आना-जाना लगा रहता था.
कोलंबस 'मेरा एक सपना है' यानी ऐम्बिशियस टाइप आदमी थे. सपनों से कहीं किसी का पेट भर पाता है. इतने से इनका मन भरा नहीं. इसीलिए इन्होंने कई भाषाएं सीखी. फिर हिस्ट्री-जियोग्राफी पढ़ना शुरू कर दिया. मार्को पोलो का ट्रेवल अकाउंट भी पढ़ गए. ये बड़े धार्मिक भी थे. अक्सर बाइबिल की बातें करते थे.
ट्रेवल रूट/जगहें:
अटलांटिक ओशन होते हुए क्रिस्टोफर कोलंबस को जाना था जापान. लेकिन पहुंच गए अमेरिका. इन्हें लगा कि ये भारत है. और काफी वक़्त तक लोगों को खबर नहीं थी कि ये भारत नहीं, एक नई जगह है. फिर पता चलने पर पूरी दुनिया में ऐलान कर दिया गया कि क्रिस्टोफर कोलंबस ने एक नई जगह 'खोज' ली है.
ये अमेरिका में सबसे पहले बहामास गए. फिर कैरिबियन आइलैंड और वहां से होते हुए अमेरिका के बीचों-बीच तक पहुंच गए. 3 अगस्त 1492 को तीन नाव लेकर कोलंबस निकले थे. वहां के नेटिव 'अरावाक' लोगों को ढेर सारे सोने के गहने पहने देख कर इनका दिमाग घूम गया. और इन्होंने उनमें से कुछ लोगों को ज़बरदस्ती साथ ले लिया. ताकि वो इन लोगों को सोने की खानों तक ले जाएं. फिर क्यूबा तक गए.
दूसरी बार में कोलंबस 17 नावों में करीब 1200 लोगों को लेकर पहुंचे. अमेरिका में यूरोपियन लोगों को बसाने के लिए. फिर तो ढेरों यूरोपियन सेटलर आते गए और अमेरिका के नेटिव लोगों को बेघर करना शुरू किया. कई नेटिव अमेरिकन ट्राइब पूरी की पूरी ख़तम हो गईं.
मुश्किलें:
क्रिस्टोफर कोलंबस को सफ़र शुरू होने से पहले परमिशन लेने में ही बड़ी मशक्कत करनी पड़ी. इनका प्रपोजल एक्सेप्ट ही नहीं किया जा रहा था. सफ़र के दौरान एक-दो बार वो नाव सहित अपने साथियों से बिछड़ गए थे. वैसे जो सबसे बड़ी गड़बड़ हुई वो ये थी कि कोलंबस को जाना था कहीं और, लेकिन पहुंच गए कहीं और. हालांकि बाद में ये सबसे अच्छी बात साबित हुई उनके लिए. उनके सामने बाद में जो एक मुसीबत आई उसमें खुद उनकी गलती थी. अमेरिका में गवर्नर बना दिए जाने के बाद उन्होंने इतनी ज्यादतियां कीं कि उनकी खूब शिकायत की गई. और उनकी गवर्नरशिप छीन ली गई.
आउटपुट:
कोलंबस ने अपने सफ़र के बारे में कुछ लेख लिखे थे. काफी बाद में दो किताबें भी लिखी थी, लेकिन वो धार्मिक किताबें थीं.
कोलंबस के अमेरिका 'खोज' लेने के बाद यूरोप के देशों के बीच जैसे कॉम्पिटिशन शुरू हो गया. अमेरिका उससे पहले बाकी पूरी दुनिया के कांटेक्ट से बाहर था. यहां ज़मीन थी, सोना-चांदी था. और ऐसे लोग थे जिन्हें इन सब के मार्केट वैल्यू के बारे में कुछ पता नहीं था. इस माहौल का फायदा उठाने की कोशिश स्पेन, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे सभी देशों ने की.
आने वाले वक़्त में अमेरिका में बहुत कुछ हुआ. बचे हुए नेटिव लोगों को कंट्रोल किया गया. अफ्रीका से स्लेव्स लाए गए. और बहुत लंबे समय तक ब्लैक स्लेवरी चलती रही.


1. फाह्यान: वो ट्रैवलर, जो चीन से पैदल इंडिया आ गया

2.  वो पहला चाइनीज, जो बिना इजाजत इंडिया आया

3. इस बंदे ने दीये का तेल खोजने के चक्कर में घूम डाली दुनिया

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement