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पॉलिटिक्स में भी हैं, एक्स-मेन फिल्मों की तरह सुपरहीरो

वुल्वरिन की आखिरी फिल्म होने के कारण दुखी मत होइए, हमारे पास अभी आडवाणी जी हैं.

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आशीष मिश्रा
20 जनवरी 2017 (Updated: 19 जनवरी 2017, 04:28 AM IST) कॉमेंट्स
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एक आखिरी बार ह्यू जैकमैन वुल्वरिन बनकर आ रहे हैं. उनकी फिल्म आ रही है न लोगन. एक्स-मेन में ऐसे सुपरहीरोज दिखते हैं. जिनके पास म्यूटेंट पावर्स होती हैं. वो आम आदमियों से कहीं बढ़कर होते हैं. तो एक्स-मेन के फैंस आजकल परेशान हैं, परेशान से ज्यादा दुखी हैं. क्योंकि अब वो कभी स्क्रीन पर वुल्वरिन को नहीं देख पाएंगे. लेकिन बात चिंता करने की नहीं है. फिल्म न आए तो न आए. हमारे हर ओर म्यूटेंट्स बिखरे पड़े हैं, बहुत से तो राजनीति में हैं. https://www.youtube.com/watch?v=RH3OxVFvTeg अक्सर मैं सोचता था नरेंद्र मोदी में ऐसा क्या था कि उन्हें एक बार में 272 से ज्यादा सीटें मिल गईं? जो कारनामा कभी कोई पार्टी साठ-पैंसठ सालों में नहीं कर पाई मोदी की पार्टी ने वो अकेले कैसे कर लिया? फिर मैंने एक्स-मेन देखी, एक्स-मेन देखने के बाद दो बातें पक्की हो गईं. पहला ये कि कृष 3 में विवेक ओबेरॉय को एक अंगुली से गाड़ियां उड़ाने का आईडिया कहां से आया. और दूसरा ये कि नरेंद्र मोदी एक म्यूटेंट हैं. बिलकुल प्रोफ़ेसर जेवियर की तरह जो लोगों के दिमाग में घुस कर उनसे मनचाहा काम करा लेते हैं इसीलिए तो वो देशभर के लोगों के दिमाग में घुसकर भाजपा को वोट डलवा पाए. इसीलिए तो वो नोटबंदी कर पाए और अब कोई उन्हें कुछ नहीं कह रहा है. जैसे प्रोफ़ेसर जेवियर्स के पास सेरेब्रो मशीन है. वैसे ही मोदी के पास मन की बात वाला रेडियो है. दोनों एक जैसा ही काम करते हैं. Untitled design (2) मुझे ये भी पता चला कि रामविलास पासवान भी एक म्यूटेंट हैं, जैसे मिस्टीक मौका देखकर रूप बदलती है. इवेन पार्टी भी, वैसे ही पासवान मौका देखकर बदल जाते हैं. Untitled design (3) तमाम म्यूटेंट्स में मुझे सबसे ज्यादा पसंद वुल्वरिन आया. ये बिलकुल हमारे आडवाणी जी जैसा है, ये कितने सालों का है खुद उसे भी नहीं पता. आखिरी बात जो उसे याद है, वो ये कि आडवाणी जी के साथ उसने वियतनाम का युद्ध लड़ा था. हालांकि आडवाणी जी खुद अपना बचपन हल्दीघाटी के युद्ध के पहले हल्दीघाटी के मैदान में सितोलिया खेलते बीतना बताते हैं. लेकिन ये पक्का रहा कि आडवाणी जी भी वुल्वरिन की तरह ऐसे म्यूटेंट हैं जिन पर उम्र का असर नही पड़ता. वुल्वरिन ज़िंदगी भर प्यार तलाशता रहा और आडवाणी जी एक अदद कुर्सी. आडवाणी जी की कहानी सच में वुल्वरिन जैसी है, उसे भी हमेशा उन्हीं लोगों ने दुःख दिया, जो उसके आस-पास रहते थे. वुल्वरिन पर हथियारों का असर नही होता, वो सारे घाव सह लेता है उसी तरह आडवाणी जी भाजपा में रहते हुए सारे अपमान और तमाम लोगों को शपथ ग्रहण करते देख दिल पर घाव झेल रहे हैं. Untitled design (4) हीरो है तो विलेन भी होगा और मोदी जी की ज़िंदगी के विलेन बने हैं अरविंद केजरीवाल. आपने कभी सोचा कि आम आदमी पार्टी के सारे लोग हमेशा टोपी क्यों लगाकर रखते हैं? वजह हम बताते हैं आपने एक्स-मेन सीरिज की फिल्मों में मैग्नेटो को हेलमेट लगाए देखा होगा जिसके कारण प्रोफ़ेसर जेवियर मैग्नेटो उर्फ़ एरिक के दिमाग में नहीं घुस पाते. बस वही काम ‘आप’ की टोपी भी करती है. इसीलिए मोदी आम आदमी पार्टी की टोपी लगाए लोगों के दिमाग में घुस नहीं पाए और फिर जो हुआ वो दिल्ली में इतिहास था. ये और बात है दिल्ली वाले खुद ही इतिहास बनाकर भुगत रहे हैं. Untitled design (5) आपने तो कभी ये भी ध्यान नहीं दिया होगा कि एरिक और एरिविंद केजरीवाल नाम कितने मिलते-जुलते हैं. साथ ही अरविंद केजरीवाल में क्विक सिल्वर की भी पावर्स हैं, इतनी जल्दी बनारस से दिल्ली और दिल्ली से पंजाब और फिर पंजाब से गोवा पहुंचना सिर्फ क्विकसिल्वर के बस का है. राहुल गांधी दूसरी तरह के म्यूटेंट हैं, उनमें दो ही खासियत हैं, पहली उनकी उम्र नहीं बढ़ती वो चिरयुवा हैं. और दूसरी ये कि वो सबको अपनी फैमिली से बांधकर रह सकते हैं. दूसरी वाली क्वालिटी उन्हें स्टॉर्म बनाती है. साथ ही कुछ रोज़ पहले उन्होंने कहा था वो बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. बस यही पावर तो जीन ग्रे के पास भी हैं. वैसे जीन ग्रे की कहानी तो ये भी है कि वो उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हुई जो उनके साथ थे. अरे, यही तो राहुल के साथ भी है. Untitled design (6) बहन मायावती के पास भी म्यूटेंट शक्तियां हैं. जिससे वो हाथी तक को कंट्रोल कर सकती हैं. म्यूटेंट्स के साथ कुछ समस्याएं भी देखने को मिलती हैं. एक म्यूटेंट एंजल की अपने पापा से नहीं पटती थी, लेकिन अंत में उनके काम वही आता है. एंजल आजकल यूपी में है. पापा से अब भी नहीं पटती लेकिन लोग उसे अखिलेश बुलाते हैं. Untitled design (7)

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