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मुंबई में जानलेवा तूफान, लद्दाख में नॉर्दर्न लाइट्स, मौसम के बदलते मिजाज के पीछे क्या वजह है?

नॉर्दर्न लाइट्स का भारत में दिखना काफी दुर्लभ था. इसके पीछे वजह बताई जा रही है, सूरज में आया एक ‘तूफान’. इन्हीं दिनों एक तूफान भी हमारे देश में देखा गया. इसके चलते गुजरात के बोटाद में हवाओं की रफ्तार करीब 114 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई.

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NASA solar winds
इस तूफान ने जियोमैग्नेटिक स्ट्रॉर्म इंडेक्स (kp) में 9 का आंकड़ा छू लिया (Image: X/NASA)
15 मई 2024 (Updated: 16 मई 2024, 09:06 IST)
Updated: 16 मई 2024 09:06 IST
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कविताओं में अक्सर मौसम को गुलाबी कहा जाता है. लेकिन चंद रोज पहले, लद्दाख में ये मौसम सच में गुलाबी नजर आया. आसमान में रंगीन रोशनी दिखी, जो आमतौर पर नॉर्वे जैसे देशों में देखी जाती है. इसे ऑरोरा बोरेलिस (Aurora Borealis) या नॉर्दर्न लाइट्स (Northern lights) कहा जाता है. इसका भारत में दिखना काफी दुर्लभ था. इसके पीछे वजह बताई जा रही है, सूरज में आया एक ‘तूफान’(solar storm).

इन्हीं दिनों एक तूफान भी हमारे देश में देखा गया. इसके चलते गुजरात के बोटाद में हवाओं की रफ्तार करीब 114 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, 14 और 15 मई के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में तेज हवाएं देखी गईं. एक तरफ देश के उत्तर में लेह में हवाएं 57 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तक पहुंच गईं, तो दूसरी तरफ दक्षिण में महाराष्ट्र के पुणे में 68 किलोमीटर प्रति घंटा.

आंध्र प्रदेश के प्रकासम में भी हवाएं 57 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुंच गईं. मध्यप्रदेश का सिवनी भी इस लिस्ट में शामिल है. 13 से 14 मई के बीच यहां हवा की रफ्तार 90 किलोमीटर प्रति घंटा थी. मुंबई में तो इसकी वजह से एक बिलबोर्ड भी गिर गया. जिससे 14 लोगों की जान चली गई.

इस रंगीन आसमान और धूल के तूफान को एक-एक करके समझते हैं.

इन तेज हवाओं के पीछे क्या वजह हो सकती है?

हाल ही में आए इन धूल भरे तूफानों के बारे में IMD के रीजनल मेट्रोलॉजिकल सेंटर के हेड कुलदीप श्रीवास्तव ने हमें बताया. उन्होंने कहा कि इसके पीछे के तीन बड़े कारण हैं. एक तरफ वेस्टर्न डिस्टर्बेंस था, तो दूसरी तरफ पूर्वी हवाएं भी आ रही थीं. इनके अलावा कुछ समय से धरती का तापमान भी ज्यादा रहा है. ये तीनों मिलकर धूल के तूफानों और तेज हवाओं के पीछे की वजह बने.

डाउन टू अर्थ की एक खबर के मुताबिक आमतौर पर जमीन के 4-5 दिन गर्म रहने के बाद एक कनवेक्शन बनता है. इसकी वजह से तूफान डेवलप हो सकता है. एक बार तूफान पैदा हो गया, तो ये नीचे की तरफ आती ठंडी और सूखी हवाओं से और तेज होता है. ये हवाएं गर्म सतह पर चलने पर काफी तेज हो जाती है. जैसा कि गर्मियों में होता है.

सूरज में भी आया 'तूफान'

धरती के इन तूफानों से इतर कुछ तूफान हमसे करोड़ों किलोमीटर दूर सूरज पर भी आए. इसका एक नजारा अभी सोशल मीडिया में दिखा. नजारा ऑरोरा या नॉर्दर्न लाइट्स का.

उत्तरी ध्रुव के पास, नॉर्वे जैसे देशों मे पर्यटक खास तौर पर नॉर्दर्न लाइट्स देखने जाते हैं. लेकिन आमतौर पर ये लाइट देखने के लिए, ध्रुवों के पास ही क्यों जाना पड़ता है? इसका कारण है, धरती की मैग्नेटिक फील्ड या चुंबकीय क्षेत्र. जो सूरज से आने वाले हाई एनर्जी कणों से बचाने में हमारी मदद करता है.

सूरज की बाहरी सतह को कोरोना कहते हैं. इससे चार्ज पार्टिकल निकलते हैं. इनकी रफ्तार और ऊर्जा बहुत ज्यादा होती है. ऊर्जा लेकर ये प्लाज्म बनाते हैं, जो एक इलेक्ट्रिकली चार्ज गैस होती है. और ये गैस तेज रफ्तार से बढ़ती रहती है. जिसे सोलर विंड या सौर हवाएं कह सकते हैं. ये सोलर विंड धरती की तरफ भी आती हैं. लेकिन हमारी धरती का मैग्नेटोस्फीयर या चुंबकीय क्षेत्र इन्हें रोकने का काम करता है.

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ये तो हो गई आम दिनों की बात, लेकिन कभी-कभी ये प्लाज्मा वाली ‘हवाएं’ ज्यादा ही हावी हो जाती है. या कहें सूरज के ये तूफान ज्यादा तेज हो जाते हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहते हैं. यही वाला हाल ही में आया था. CME के मामले में धरती का चुंबकीय क्षेत्र, सूरज से निकले हाई एनर्जी कणों को पूरी तरह नहीं रोक पाता.

ये कण ध्रुवों के पास वायुमंडल तक पहुंच जाते हैं. अब इन कणों में होता है चार्ज या आवेश. ये कण जब धरती के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसी न्यूट्रल गैसों से मिलते हैं तो अपना चार्ज इन्हें दे देते हैं. ये चार्ज पाकर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के एटम थोड़ा एक्साइटेड हो जाते हैं. 

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इसी एक्साइटमेंट में ये निकालते हैं फोटॉन. ये फोटॉन लाइट पैदा करते हैं. तभी रात के आसमान में भी चमक आ जाती है. इसके अलावा इनका रंग भी अलग-अलग हो सकता है. जो निर्भर करता है कि ये किस गैस से निकल रहे हैं. और इनकी वेवलेंथ या तरंगदैर्ध्य कितनी है.

मसलन, ऑक्सीजन गैस की वजह से लाल और हरे रंग की ऑरोरा लाइट दिखती है. वहीं नाइट्रोजन गैस नीली और बैंगनी लाइट देती है. लेकिन इस बार ये रंगीन लाइट लद्दाख में क्यों देखी गईं? फ्रांस जैसे देशों में भी इनके नजारे क्यों मिले, जहां ये अक्सर नहीं देखी जाती? इसकी वजह हाल ही में इसरो ने बताई.

सुंदर दिखने वाली ये लाइटें जिस वजह से दिखीं वो स्पेस में अलग कहानी बयां करती है. ISRO के मुताबिक सूरज से आने वाला ये तूफान वहां के एक हिस्से AR13664 के एक्टिव होने की वजह से आया था. इसकी वजह से X-क्लास के कई सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन्स (CMEs) निकले. 

नतीजतन, 2003 के बाद से सबसे तेज जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (geomagnetic storm) देखने मिला. ये भी कहा जा रहा है कि इसकी वजह से संचार और GPS सिस्टम भी बाधित हुए. 11 मई 2024 को आए इस तूफान ने जियोमैग्नेटिक स्ट्रॉर्म इंडेक्स (kp) में 9 का आंकड़ा छू लिया. जो अभी तक दर्ज हुआ सबसे बड़ा आंकड़ा है. वहीं काफी ताकतवर X-क्लास (X 5.8) फ्लेयर भी आए. सोलर फ्लेयर को B-X की सीरीज में रखा जाता है जिसमें X सबसे ज्यादा पावरफुल होते हैं.

इसी तेज सोलर स्ट्रॉर्म की वजह से ऑरोरा लाइट, जो आमतौर पर भारत जैसे देशों में देखने नहीं मिलती, वो लद्दाख के आकाश में भी देखने को मिली.

वीडियो: क्या है ये ऑरोरा? नॉर्दर्न लाइट्स जिस पर सोशल मीडिया बवाव काट रहा है

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