साढ़े पांच लाख पुलिसवालों की कमी, फिर भी 66 हज़ार को सिर्फ VIP, VVIP की सुरक्षा में लगा दिया
बंगाल में सबसे ज्यादा लोगों को VIP सिक्योरिटी मिली हुई है
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भारत में VIPs की सुरक्षा में हजारों पुलिसवाले लगे हैं, जबकि अलग-अलग राज्यों में कुल मिलाकर 5.31 लाख पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं. (सांकेतिक फोटो- India Today)
देश के कुल 66,043 पुलिसकर्मी सिर्फ VIP, VVIPs की सुरक्षा में ही तैनात हैं. ये पुलिसवाले 19,467 मंत्रियों, सांसदों, जजों, ब्यूरोक्रेट्स या ऐसे ही अन्य लोगों की सुरक्षा में लगे हैं. वैसे तो इन सभी विशिष्ट जनों की सुरक्षा के लिए स्वीकृत पुलिसवालों की संख्या है 43,566. यानी VIP, VVIP की सुरक्षा में असल में जितने पुलिसवाले लगने चाहिए, उससे 22,477 ज़्यादा पुलिसकर्मी इस काम में लगे हैं.
ये डेटा 2019 का है, जो अभी सामने आया है. Bureau of Police Research and Development (BPRD) की रिसर्च से. BPRD गृह मंत्रालय के थिंक टैंक के तौर पर काम करने वाली विंग है. इस रिपोर्ट से तमाम और भी निष्कर्ष निकले. एक-एक करके उन पर भी बात करेंगे.
अब ज़रा 2019 के इस डेटा की एक साल पहले यानी कि 2018 के डेटा से तुलना करते हैं. 2019 में जहां 66,043 पुलिसकर्मी VIP, VVIP की सुरक्षा में लगे थे. वहीं 2018 में ये संख्या 63,061 थी. यानी एक साल में ही इस ‘विशिष्ट सेवा’ में लगने वालों की संख्या 2,982 बढ़ गई.
सबसे ज़्यादा लोगों को बंगाल में प्रोटेक्शन
उन टॉप-5 राज्यों के बारे में जानते हैं, जहां सबसे ज़्यादा लोगों को पुलिस प्रोटेक्शन मिला हुआ है.
नंबर-1 पर पश्चिम बंगाल है. यहां 3,142 लोग पुलिस सुरक्षा में रहते हैं.
नंबर-2 पर पंजाब. 2,594 लोगों को यहां पुलिस प्रोटक्शन मिला हुआ है.
नंबर-3 पर बिहार आता है, जहां 2,347 लोग पुलिस सुरक्षा के साये में चलते हैं.
नंबर-4 पर हरियाणा है. इस राज्य में 1,355 लोगों को पुलिस प्रोटेक्शन मिला हुआ है.
नंबर-5 पर झारखंड आता है. 1,351 लोग यहां पुलिस सुरक्षा में रहते हैं.
लेकिन दिल्ली भी पीछे नहीं
जहां बंगाल इस मामले में नंबर-1 है कि वहां सबसे ज़्यादा विशिष्ट जनों को पुलिस प्रोटेक्शन मिला हुआ है. वहीं दिल्ली भी एक मामले में नंबर-1 है. यहां भले ही सिक्योरिटी लेने वाले VIP, VVIP की संख्या 501 ही है. लेकिन सबकी सुरक्षा में भारी-भारी पुलिसफोर्स लगी है. तभी ‘विशिष्ट सेवा’ में लगे पुलिसकर्मियों की संख्या दिल्ली में सबसे ज़्यादा है. 8,182. जबकि कायदा ये कहता है कि इस काम के लिए स्वीकृत पुलिसवालों की संख्या 7,294 ही होनी चाहिए.
एक VIP पर करीब चार पुलिसकर्मी
रिपोर्ट के मुताबिक– देश में हर एक VIP, VVIP की सुरक्षा में औसतन 3.9 पुलिसकर्मी लगे हैं. जबकि आम नागरिकों की बात करें तो औसतन 511.81 नागरिकों की सुरक्षा में एक पुलिसकर्मी है. बिहार में ये अनुपात सबसे ख़राब है. वहां 867.57 नागरिकों पर एक पुलिसकर्मी है. यानी आम जनता के लिए पुलिसबल की भारी कमी है, फिर भी विशिष्ट जनों को जबरदस्त पुलिस प्रोटेक्शन दे रखी है.
अब तक हमने रिपोर्ट के हवाले से जो डेटा आपके सामने रखे, उससे एक मोटा-माटी अंदाजा लग गया होगा कि देश में कितना ज़्यादा पुलिसफोर्स VIP, VVIP की सुरक्षा में झोंक रखा गया है. लेकिन ये भी समझते चलते हैं कि नियमानुसार ये VIP, VVIP होते कौन हैं, जिन्हें इतनी भारी सुरक्षा की जरूरत आन पड़ती है.
कौन होते हैं VIP, VVIP?
सबसे पहले फुल फॉर्म.
VIP – Very Important Person.
VVIP – Very Very Important Person.
ऐसा व्यक्ति, जो देश के लिए, सिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो. इतना महत्वपूर्ण कि उसे किसी तरह से ख़तरा भी पैदा हो सकता हो. उन्हें VIP की श्रेणी में रखा जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन VIP में से भी जो लोग अति विशिष्ट हों, वे आते हैं VVIP श्रेणी में. देश में किन लोगों को VIP या VVIP मानकर सुरक्षा प्रदान करनी है, इसका फैसला गृह मंत्रालय करता है. VVIP लोगों की सुरक्षा में NSG, CRPF, CISF, ITBP जैसे केन्द्रीय बलों के जवानों की भी तैनाती की जाती है. राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जैसे पद VVIP के दायरे में आते हैं. जबकि विधायक, कुछ पत्रकार, सेलेब्रिटीज़ को VIP का दर्ज़ा दिया जा सकता है. प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके करीबी रिश्तेदारों की सुरक्षा SPG संभालती है
देश में पुलिस बलों का हाल
जब VIP, VVIP की सुरक्षा में इतना पुलिसफोर्स लगा हुआ है तो एक सवाल उठता है. कि क्या हमारे पास इतना पुलिसबल है कि हम ज़रूरत से ज़्यादा फोर्स विशिष्ट जनों की सुरक्षा में लगा दें. इस बात का ज़िक्र भी इसी रिपोर्ट में है. भारत में अलग-अलग राज्यों में कुल मिलाकर 5.31 लाख पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं. वहीं CRPF और BSF जैसे बलों में कुल मिलाकर 1.27 लाख रिक्तियां हैं. 2019 में करीब 1.19 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की गई. लेकिन एक सच ये भी है कि राज्य की पुलिस भर्तियों में 2019 में 21 फीसदी की कमी आई है.