'मुझे गिराया, बुर्का फाड़कर मुंह पर तेज़ाब फेंक दिया'
रेशमा, जाओ और सुंदरता की परिभाषा बदल दो.
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फोटो - thelallantop
तेज़ाब गिरने पर जो दर्द हुआ उसको मैं बयां भी नहीं कर सकती. मैं और मेरी बहन सड़क पर गिरे कराहते रहे. चीखते रहे, रोते रहे. लेकिन कोई नहीं आया. ऐसा नहीं था कि पूरा स्टेशन खाली था. अछि खासी चहल-पहल थी. बहुत देर बाद एक भला आदमी आया. जिसने बाइक से मुझे और मेरी बहन को घर छोड़ा. मैं ऐसी हालत में थी कि मुझे याद भी नहीं है कि वो कौन था. बस इतना याद है कि मैं उसे कस के पकड़कर बैठ गई थी. और मेरे शरीर पर गिरे एसिड से वो भी जल गया था." घर वालों ने रेशमा को अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां पता चला कि उसकी आंख पूरी तरह से गल गई है. जिसका अब इलाज नहीं हो सकता.
घर में सबसे सुंदर दिखने वाली, जवान, चहकती हुई लड़की अब जब अपने आप को शीशे में देखती, रो पड़ती. कहती, 'ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ अल्लाह? जिंदा लाश सी जीने लगी थी. कई बार खुद की जान लेने की कोशिश की. हमने अपने लिए एक ऐसा समाज गढ़ रखा है कि अगर कोई हमारी बनाई हुई 'नॉर्मल' की परिभाषा में फिट नहीं होता, हम उसे खुद से अलग कर देते हैं. रेशमा अब नॉर्मल नहीं लगती थी. उसके अंदर हिम्मत नहीं थी खुद का ये रूप बर्दाश्त कर पाने की. और ये मत भूलिए, कि जिनपर तेज़ाब फेंका जाता है उनके बारे में लोग कहते हैं, 'खुद ही दोस्त बनाती फिरती थी. अब देखो नतीजा.'

इसे घरवालों का सपोर्ट मानिए, या रेशमा की इच्छाशक्ति. कि उसने हार नहीं मानी. और एक दिन वो रिया शर्मा से मिली. जो 'मेक लव नॉट स्कार्स' नाम का NGO चलाती हैं. धीरे धीरे रेशमा का खोया हुआ कॉन्फिडेंस वापास आने लगा. और अब वो इतनी ऊचाइयों पर पहुंच गई हैं कि न्यूयॉर्क फैशन वीक के लिए चुनी गई हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=CP-rZw1ftdI
रेशमा, जाओ और सुंदरता की परिभाषा बदल दो.