IIM से पढ़ाई, ICICI बैंक से शुरुआत, एक सख्त लीडर, कौन हैं हिंडनबर्ग के निशाने पर आईं माधबी पुरी बुच?
Hindenburg Report के बाद चर्चा में आईं Madhabi Puri Buch SEBI में टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं. वे होलटाइम डायरेक्टर बनने वाली भी पहली महिला हैं. यानी हर मामले में अव्वल. लेकिन ये अव्वल वाला इतिहास बनाने के लिए माधवी पुरी ने क्या-क्या किया है? जानिए इनके बारे में सबकुछ.
हिंडनबर्ग रिसर्च, अमेरिका की शॉर्ट-सेलर फर्म. शनिवार, 10 अगस्त को इसने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की. और इससे सीधे सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चीफ माधबी पुरी बुच (SEBI Chief Madhabi Puri Buch) की मुश्किलें बढ़ गईं. Hindenburg ने दावा किया कि माधबी और उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस स्थित IPE-प्लस फंड 1 में एक अकाउंट खुलवाया, जो कथित तौर पर फंड साइफनिंग में शामिल था. Hindenburg ने यह भी आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में सेबी चीफ और उनके पति की हिस्सेदारी है.
हिंडनबर्ग के आरोपों पर माधबी पुरी बुच का भी जवाब आया. कहा कि आरोपों में जिस फंड का जिक्र किया गया है, उसे उन्होंने 2015 में लिया था. तब उनका SEBI से कोई संबंध नहीं था. बुच ने ये भी बताया कि ये निवेश उन्होंने सेबी में शामिल होने से लगभग 2 साल पहले किया था.
Hindenburg की Report के बाद मचे बवाल के बीच आपको बता दें कि माधबी पुरी बुच मार्केट रेगुलेटर सेबी में टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं. वे होलटाइम डायरेक्टर बनने वाली भी पहली महिला हैं और यही नहीं, वो प्राइवेट सेक्टर से सेबी चेयरपर्सन तक पहुंचने वाली भी पहली अधिकारी हैं. यानी हर मामले में अव्वल. लेकिन ये अव्वल वाला इतिहास बनाने के लिए माधबी पुरी ने क्या-क्या किया है, ये जानना जरूरी हो जाता है.
बिल्कुल शुरू से शुरू करते हैं. जन्म साल 1966 में हुआ. स्कूलिंग हुई मुंबई और दिल्ली में. गणित में तेज थीं, तो डीयू के सेंट स्टीफंस कॉलेज से मैथमेटिक्स की पढ़ाई की. फिर पहुंची इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद और MBA की पढ़ाई की.
फिर आया साल 1989 और इस साल बुच के करियर की शुरुआत हुई देश के निजी सेक्टर के बड़े बैंक ICICI बैंक से. चार साल बाद सोचा कुछ और किया जाए. पहुंच गईं इंग्लैंड और वेस्ट चेशायर कॉलेज में बतौर लेक्चरर ज्वाइन कर लिया. साल 1993 से 1995 के बीच माधबी पुरी ने युवाओं को खूब पढ़ाया-लिखाया. इसके बाद 12 साल तक उन्होंने कई कंपनियों के सेल्स, मार्केटिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दीं.
18 साल का अनुभव लेने के बाद साल 2007 में इनके कदम फिर ICICI बैंक की चौखट पर आकर रुके. इस बार बतौर कार्यकारी निदेशक ज्वाइन किया. 2009 तक इस पद पर रहीं. फिर फरवरी 2009 में ICICI सिक्योरिटीज की MD और CEO बनीं. 2011 में सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम किया.
2011 और 2017 के बीच उन्होंने जेनसर टेक्नोलॉजीज, इनोवेन कैपिटल और मैक्स हेल्थकेयर जैसी कई कंपनियों के कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया. बुच ने इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट (आईएसडीएम) के स्वतंत्र निदेशक की भी जिम्मेदारी संभाली. इस दौरान ही उन्होंने ब्रिक्स देशों के समूह की ओर से बनाए गए न्यू डेवलपमेंट बैंक में बतौर एडवाइजर जिम्मेदारी भी संभाली.
Madhabi Puri Buch की काबिलियत और उनके 28 साल के अनुभव को देखते हुए उनकी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI में नियुक्ति हुई. 2017 में ये नियुक्ति सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर हुई थी.
SEBI में बुच को बड़ी जिम्मेदारियां दी गईं. उनके पास सेबी में सर्विलांस, कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम, इकोनॉमिक और पॉलिसी एनालिसिस, इन्वेस्टर असिस्टेंस एंड एजुकेशन और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी थी. सेबी में होलटाइम मेंबर का कार्यकाल पूरा करने के बाद वो सात सदस्यों वाले एक्सपर्ट ग्रुप की प्रमुख बनाई गईं. SEBI में रहते हुए उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए जिनसे उनकी पहचान एक सख्त लीडर के तौर पर स्थापित हुई.
इनमें से एक फैसला सहारा समूह के खिलाफ लिया गया था. दरअसल SEBI ने सहारा समूह से निवेशकों को पैसे लौटने से जुड़ी पूरी डिटेल मांगी थी. लेकिन Sahara Group ने ये बात नहीं मानी. इसके बाद साल 2018 में माधबी पुरी ने सहारा समूह के खिलाफ एक आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि सहारा समूह निवेशकों से जुटाए गए 14,000 करोड़ रुपये उन्हें वापस करे.
फिर आया साल 2021. इस साल अक्टूबर में वित्त मंत्रालय ने सेबी चीफ के पद के लिए आवेदन मंगाया, क्योंकि SEBI के तत्कालीन चेयरमैन अजय त्यागी का कार्यकाल 28 फरवरी, 2022 को पूरा हो रहा था. अगले रेगुलेटर चीफ के लिए पूर्व वित्त सचिव देबाशीष पांडा का नाम भी लाइन में था. लेकिन, फाइनेंस की दुनिया में अपने 30 साल खपाने वाली माधबी को वित्त मंत्रालय ने तरजीह दी. और उन्हें बना दिया SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन.
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SEBI चीफ बनने के कुछ समय बाद माधबी पुरी IIM अहमदाबाद के दीक्षांत समारोह में पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने कहा था, “मैंने पिछले 35 साल अपना काम खूब इंजॉय किया. मैं कोशिश करना नहीं छोड़ती. मेरे साथी अक्सर कहते थे कि मेरे साथ किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करना, प्याज के छिलके उतारने जैसा होता है, इससे आंख में आंसू तो होते हैं. लेकिन अंत तक प्रॉब्लम सॉल्व हो चुकी होती है."
बहरहाल, अब देखना ये है कि हिंडनबर्ग द्वारा दी गई चुनौती से माधबी पुरी बुच कैसे पार पाती हैं. समस्या के अंत के समय कौन से आंसू उनकी आंख में होंगे, खुशी के या गम के.
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