'चाय पर चर्चा' और 'मैं भी चौकीदार' के बाद विपक्ष ने कैसे तैयार की 'मोदी का परिवार'की पटकथा
Lok Sabha Election 2024: चाहे कांग्रेस नेता Mani Shankar Aiyar का Narendra Modi को 'चायवाला' कहकर बुलाना हो या Rahul Gandhi का 'चौकीदार चोर है' वाला बयान. जब-जब विपक्ष ने पीएम मोदी पर व्यक्तिगत कमेंट किया, भाजपा ने उसका जवाब 'चाय पर चर्चा' और 'मैं भी चौकीदार' जैसे Election Campaign से दिया. 'मोदी का परिवार' कैम्पेन भी इसी सियासी वार-पलटवार की अगली कड़ी है.
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तारीख 17 जनवरी, 2014...मौका था दिल्ली में चल रहे AICC महाधिवेशन का. लगातार दस सालों तक सत्ता से बाहर रहने के बाद BJP ने हिंदुत्व के Poster Boy और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को NDA के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. जैसा कि मीडिया का दस्तूर है, हर एक्शन पर रिएक्शन लेने का, समाचार एजेंसी ANI के रिपोर्टर भी उसी परंपरा को निभाते हुए पॉलिटिकल रिएक्शन लेने जा पहुंचे कांग्रेस महाधिवेशन में. सामने थे देश की सबसे पुरानी पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyer). अय्यर ने रिएक्शन दिया भी, वो ऐसा रिएक्शन, जिस पर एक नई तरह का सियासी एक्शन ही शुरु हो गया. मगर इससे पहले की हम उस बयान के बाद उठे सियासी बवंडर पर जाएं, पहले अय्यर साहब के बयान की चर्चा कर लेते हैं.
सवाल था कि क्या कांग्रेस नरेंद्र मोदी को चुनौती मानती है? अय्यर ने जवाब दिया.
"मैं आपसे वादा करता हूं कि नरेंद्र मोदी इक्कीसवीं सदी में कभी भी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे, हां यहां आकर (उस समय जारी कांग्रेस अधिवेशन) चाय बेचना चाहें तो हम उसका इंतजाम कर सकते हैं."
बाकी सब तो ठीक था, मगर ये चाय पिलाने वाली बात पर बीजेपी बोल उठी- 'बस ये नहीं कहना था...' फिर क्या था भाजपा नेताओं ने सत्ताधारी UPA पर सियासी बाउंसरों की बौछार कर दी. कहा कि- नरेंद्र मोदी के पिता चाय बेचा करते थे. यहां तक की खुद मोदी भी बचपन में अपने पिता की दुकान पर लोगों को चाय पिलाने का काम करते थे. मणिशंकर अय्यर के बयान को बीजेपी ने मोदी के उसी बैकग्राउंड से जोड़ दिया. आरोप लगाया कि कांग्रेस वाले व्यक्तिगत कटाक्ष कर रहे हैं. मामला हाथ से निकलता देख कांग्रेस ने अय्यर को पार्टी से निलंबित भी कर दिया. मगर तब तक बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव का एक 'धारदार हथियार' तरकश ने निकाल चुकी थी. वो हथियार था- 'चाय पर चर्चा' .
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12 फरवरी 2014 को बीजेपी ने 'चाय पर चर्चा' अभियान का आगाज़ किया. देशभर में चुनिंदा जगहों पर नरेंद्र मोदी ने लोगों के बीच बैठकर चाय पी और चाय के बहाने अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की. हर एक कार्यक्रम का दर्जनों जगहों पर थ्री डी टेलीकास्ट भी किया गया. 'चाय पर चर्चा' के बहाने बीजेपी ने ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को नरेंद्र मोदी से सीधा कनेक्ट करने का काम किया. इसका बड़ा योगदान चुनाव नतीजों में भी देखने को मिला.
2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 427 सीटों पर पर चुनाव लड़ा. जिनमें से 282 सीटों पर जीत दर्ज की. बोले तो अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया. जबकि एनडीए को 336 सीटों पर जीत मिली. सिर्फ बीजेपी का वोट शेयर 31 फीसदी का रहा. जबकि 464 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई. पार्टी को 19.31 प्रतिशत वोट मिले. पूरी की पूरी यूपीए महज़ 59 सीटें ही हासिल कर पाई.
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NDA की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री. देखते-देखते 5 साल बीत गए. साल 2019, एक बार फिर चुनाव की बेला आ गई. उन्हीं दिनों भारत और फ्रांस के बीच लड़ाकू विमान राफेल (rafale fighter jets) की डील हुई थी. कांग्रेस ने डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. हर मंच पर पार्टी नेताओं ने राफेल के बहाने पीएम मोदी को घेरना शुरु कर दिया. डूंगरपुर के सांगवाड़ा में कांग्रेस की रैली हुई. तारीख थी 8 फरवरी 2019. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंच से राफेल का ज़िक्र किया और कह बैठे-
“नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता हूं, मैं देश का चौकीदार बनना चाहता हूं. और अब देश के दिल में एक नई आवाज़ उठ रही है, गली-गली में शोर है, हिंदुस्तान का चौकीदार चोर है.”
राहुल ये बोलने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राफेल ख़रीदारी में घोटाला करने और कारोबारी अनिल अंबानी को फ़ायदा पहुंचाने का आरोप लगाया. मगर एक बार फिर भाजपा ने इस बाउंसर को हुक करते हुए बाउंड्री पार पहुंचाने की ठानी. 16 मार्च 2019 को नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर 'मैं भी चौकीदार' अभियान का आगाज कर दिया. भाजपा ने दावा किया कि देश हित में सोचने वाला हर शख्स चौकीदार है.
फिर क्या था Twitter से लेकर Facebook तक तमाम सोशल मीडिया साइट्स पर भाजपा समर्थकों ने 'मैं भी चौकीदार' की जैकेट अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर लगानी शुरु कर दी. 'चौकीदार चोर है' बनाम 'मैं भी चौकीदार' 2019 चुनाव का एक बड़ा मुद्दा बन गया. और जब EVM के नतीजे आए तो BJP ने 37.30 % वोट शेयर और 303 सीटें हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली थी. यूं तो कांग्रेस को भी 2014 के मुकाबले 8 सीटों का फायदा हुआ था और वो 52 सीटें जीतने में कामयाब रही. मगर ये कामयाबी 272 के जादुई आंकड़े से कहीं कम थी. उत्तर भारत में कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान हुआ. यहां तक की राहुल गांधी खुद अपने सबसे मजबूत गढ़ अमेठी में चुनाव हार गए थे.
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वक्त का पहिया एक बार फिर घूमा और देखते ही देखते 5 साल बीत गए. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को चुनौती देने के लिए INDIA ब्लॉक बना लिया. इसी विपक्षी गठबंधन की जनविश्वास महारैली बिहार की राजधानी पटना में हो रही थी. तारीख- रविवार 3 मार्च, 2024. RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) रैली को संबोधित कर रहे थे. खुद पर लगने वाले परिवारवाद के आरोपों का जवाब देते हुए लालू ने पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा-
"पीएम आजकल परिवारवाद की बात कर रहें हैं. उनके पास परिवार नहीं है. वो हिन्दू भी नहीं हैं. मोदी कोई चीज हैं, क्या हैं? वो कहते हैं लोग परिवार के लिए लड़ रहे हैं. आपके पास परिवार नहीं है. आपकी माता जी का देहांत हुआ. हर हिंदू शोक में अपने बाल और दाढ़ी छिलवाता है. आपने क्यों नहीं छिलवाया?"
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प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर इस व्यक्तिगत टिप्पणी पर पलटवार किया और देश की 140 करोड़ जनता को अपना परिवार बता दिया. फिर क्या था, बीजेपी के नीति निर्धारकों को बैठे बिठाए एक और कैम्पेन का आइडिया मिल गया. दो दिन के अंदर ही जगह-जगह 'मोदी का परिवार' नाम से बैनर-पोस्टर लगने लगे. इन सब घटनाओं के बीच राजनीतिक विश्लेषक ये कह रहे हैं कि 2024 के चुनावों से पहले विपक्ष ने एक बार फिर बीजेपी को उसके नए इलेक्शन कैम्पेन का आइडिया दे दिया है.
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