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उदयपुर में मजहब के नाम पर हुई हत्या की पूरी कहानी

उद्धव ठकरे ने बागी विधायकों को वापस बुलाने की एक कोशिश और की कहा, 'जो सम्मान शिव सेना में मिल रहा है वह कहीं और नहीं मिलेगा.'

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Both the accused in the Udaipur murder case are in the custody of the police.
उदयपुर हत्याकांड के दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में. (तस्वीरें- आजतक)
28 जून 2022 (Updated: 29 जून 2022, 14:08 IST)
Updated: 29 जून 2022 14:08 IST
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पुराने उदयपुर शहर में दोपहर के करीब 2.30 बजे. कन्हैयालाल नाम के दर्जी की दुकान पर खूंखार मंसूबों के साथ दो शख्स ग्राहक बनकर आते हैं. उनमें से एक की कन्हैया नाप लेते हैं, कपड़ों की नाप को कागज पर नोट करते हैं.
ये सबकुछ करीब 30 सेकेंड तक चलता है, वीडियो भी दूसरा शख्स रिकॉर्ड करता रहा. और अब इसके आगे का वीडियो हम नहीं दिखा सकते, क्योंकि वो हिंसक है जो यूट्यूब की गाइडलाइन के खिलाफ है, साथ ही हमारे मानवीय मूल्य भी ऐसा करने से इनकार करते हैं. खैर हम ये बताएंगे जरूर कि आगे हुआ क्या.

नाप लेकर जब दर्जी कन्हैयालाल पीछे घूमते हैं, इतने में सामने दिख रहा शख्स हैवानियत पर उतर आता है. वो धार-दार मोटे चाकू से उनकी गर्दन पर वार करने लगता है. वो चीखते, चिल्लाते हैं, पूछते हैं कि भइया मैंने क्या किया.
मगर हत्या के मंसूबे के साथ आए दोनों ही हत्यारों ने उनकी एक ना सुनी. गर्दन पर तब तक वार किया, जब तक जान चली नहीं गई. दिन दहाड़े हत्या करने वालों के हौसले इतने बुलंद थे, कि वो इसका बाकयदा वीडियो बनाते रहे.

हत्या के बाद दोनों एक वीडियो जारी करते हैं. तब जाकर हत्या की वजह का पता चलता है. वीडियो में मुख्य हत्यारे की पहचान मोहम्मद रिजाय अख्तारी और दूसरे का नाम मोहम्मद गोस के तौर पर हुई. दूसरे वीडियो में रियाज ने कहा- उसने कन्हैया का ‘सिर कलम कर दिया है’इसके बाद वो धारदार हथियार दिखाता है जिससे वो पीड़ित की हत्या करने का दावा कर रहा है. इसके बाद रियाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नूपुर शर्मा को भी जान से मारने की धमकी देता है. और यहीं से सारा केस खुल गया. बताया गया कि कुछ दिनों पहले कन्हैया लाल ने नूपुर शर्मा के समर्थन में कुछ लिखा था. कहा ये भी गया कि उन्होंने व्हाट्सऐप पर नूपुर शर्मा के समर्थन में कुछ लिखा. ऐसा दावा है, जिसके बदले में ये हत्या की गई. वीडियो में हत्यारा कहता नजर आया कि उसने नबी की शान में गुस्ताखी का बदला लिया. उसकी तरफ से चापड़ दिखाते हुए कहा गया- गुस्ताख-ए-नबी की इक सजा, सर तन से जुदा.

शाम को जब ये वीडियो सामने आया तो आग की तरह फैल गया. एक और पुराना 17 जून का वीडियो भी सामने आया जिसमें वो इसी हत्या की बात कह रहा है. और बता रहा है कि वीडियो तब वायरल करेगा जब हत्या कर देगा. हुआ भी यही. और इसके बाद प्रतिक्रियाएं आना शुरू हुईं. सबसे पहले सीएम गहलोत ने ट्वीट कर लिखा, 

“उदयपुर में युवक की जघन्य हत्या की भर्त्सना करता हूं. इस घटना में शामिल सभी अपराधियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी एवं पुलिस अपराध की पूरी तह तक जाएगी. मैं सभी पक्षों से शान्ति बनाए रखने की अपील करता हूं. मैं सभी से अपील करता हूं कि इस घटना का वीडियो शेयर कर माहौल खराब करने का प्रयास ना करें. वीडियो शेयर करने से अपराधी का समाज में घृणा फैलाने का उद्देश्य सफल होगा.” 

मगर तब तक वीडियो काफी वायरल हो चुका था. सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग उठने लगी. चुंकि मामला कांग्रेस सरकार का था तो बीजेपी ने प्रश्नचिन्ह लगाने में ज्यादा देर नहीं लगाई. राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर लिखा, 

"पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ शिकायत को अनदेखा किया, जिसका वीभत्स परिणाम सामने है. यह वारदात सभ्य समाज को भयग्रस्त करने की साजिश का हिस्सा है, गहलोत जी सपाटबयानी कर पल्ला नहीं झाड़ सकते. उनकी जिम्मेदारी है प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित महसूस कराना और उन कारणों पर रोक लगाना जिनसे इस तर्ज के अपराध और अपराधी पनप रहे हैं. अपनी एकांगी नीतियों की वजह से राज्य सरकार वैसे भी कटघरे में खड़ी है."

सोशल मीडिया पर चल रही बयान बाजी के बीच कुछ तस्वीरें आती हैं. जिससे उदयपुर में तनाव की स्थिति का पता चलता है. बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर प्रदर्शन करते नजर आए, नारेबाजी के बीच पुलिस उन्हें समझाने की कोशिश करती रही. जैसे तैसे स्थिति को नियंत्रण में किया गया. सबसे पहले धारा-144 लगाकर उदयपुर में इंटरनेट को बंद कर दिया गया. शाम को सीएम गहलोत की प्रतिक्रिया आई, उन्होंने बताया कि दोनों हत्यारों को राजसमंद के भीम से गिरफ्तार कर लिया गया है. 

हत्यारे पकड़ लिए गए, लेकिन खबर है कि आलाकतल यानी जिस हथियार से हत्या की गई उसकी बरामदी खबर लिखे जाने तक नहीं हो पाई थी. 

राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के बीच खबर है कि आरोपी मोटर साइकिल से भाग रहे थे, नाकाबंदी के दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. उदयपुर में टेलर कन्‍हैया लाल की हत्‍या का एक आरोपी मोहम्‍मद रियाज अंसारी भीलवाड़ा जिले के आसीन्‍द का रहने वाला है. जो बीते 21 सालों से उदयपुर में रह रहा था. हत्‍या के आरोपी मोहम्‍मद रियाज अंसारी के 3 भाई अभी आसीन्‍द और 3 भाई अजमेर जिले के बिजयनगर में रहते हैं. रियाज अंसारी का भीलवाड़ा से कनेक्‍शन होने की जानकारी मिलने के बाद आसीन्‍द और जिले में सतर्कता बढ़ा दी गई है.

इसके अलावा उदयपुर में दिनांक 28 जून को धानमंडी थाना इलाके में घटित घटना को दृष्टिगत रखते हुए जिला उदयपुर के धानमंडी, घंटाघर, हाथीपोल, अंबामाता, सूरजपोल, भूपालपुरा एवं सवीना पुलिस थाना क्षेत्रों में आवागमन बंद करके कर्फ्यू लगा दिया गया है. खबर ये भी है कि ऐतिहात के तौर पर पूरे राजस्थान में इंटरनेट बंद किया जा सकता है.

इस घटना पर कांग्रेस के आलाकमना की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. राहुल गांधी ने ट्वीट करके लिखा,

"उदयपुर में हुई जघन्य हत्या से मैं बेहद स्तब्ध हूं. धर्म के नाम पर बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. इस हैवानियत से आतंक फैलाने वालों को तुरंत सख़्त सज़ा मिले. हम सभी को साथ मिलकर नफ़रत को हराना है. मेरी सभी से अपील है, कृपया शांति और भाईचारा बनाए रखें." 

AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद ओवैसी का भी इस पर बयान आया, ट्वीट कर लिखा, 

"उदयपर में हुई क्रूर हत्या निंदनीय है. ऐसी हत्या को कोई डिफ़ेंड नहीं कर सकता. हमारी पार्टी का मुसलसल स्टैंड यही है के किसी को भी क़ानून को अपने हाथों में लेने का हक़ नहीं है. हमने हमेशा हिंसा का विरोध किया है. हमारी सरकार से मांग है के वो मुजरिमों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त एक्शन लें. विधि शासन को क़ायम रखना होगा."

सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों की तरफ से हत्यारों को सख्त सजा दिए जाने की मांग की जा रही है और दी भी जानी चाहिए. ये देश कानून और संविधान से चलता है और उसी से चलेगा. किसी को भी धर्म के नाम पर इस तरह से हथियार उठाने की जुर्रत करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

जुबैर  के मामले में क्या अपडेट है? 

दिल्ली पुलिस ने 27 जून की शाम मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया. जिसके बाद मामला सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर ट्रेंड होता नजर आया. बहुत से लोगों ने जुबैर की गिरफ्तारी के खिलाफ आई स्टैंड विद जुबैर का हैशटैग ट्रेंड कराया तो एक धड़े ने गिरफ्तारी को सही बताया. मोहम्मद जुबैर पेशे से फैक्ट चेकर हैं. अल्ट न्यूज नाम की वेबसाइट के को-फाउंडर हैं. अब ये फैक्ट चेक क्या होता है, पहले उसको समझ लीजिए. सोशल मीडिया के दौर में कई अफवाहें खबरों की शक्ल में बहुत तेज फैलती हैं. लोग उनको सही मान बैठते हैं और कई बार ये खतरनाक साबित होती हैं. ऐसे में जरूरत पड़ती है फैक्ट चेक यानी तथ्यों की जांच करने वालों की. जैसे लल्लनटॉप का चैनल पड़ताल है. वैसे ही अल्ट न्यूज, तथ्यों की जांच करता है.

अब वापस मोहम्मद जुबैर पर लौटते हैं. जुबैर ने ही नुपूर शर्मा की पैंगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी को सोशल मीडिया पर उजागर किया था. जुबैर के ही ट्विटर हैंडल से इसके वीडियो की क्लिप वायरल हुई. जिसके बाद नूपुर शर्मा का बयान देश विदेश में मुद्दा बना. अरब कंट्रीज ने लेटर लिखकर आपत्ति जताई. कई देशों ने हिंदुस्तान के राजदूतों को तलब किया. मोहम्मद जुबैर पहले भी कई मौकों पर चर्चा में रहे हैं. हरिद्वार में हुई धर्म संसद के हिंसक बयानों को भी जुबैर ही सामने लाए थे.

अभी की बात करें तो जुबैर को साल 2018 में किए गए एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया है. जुबैर पर ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है. FIR 4 साल बाद 2022 में दर्ज की गई. जुबैर ने एक हिंदी फिल्म के सीन के जरिए एक तंज किया था. ये वो ट्वीट है जिसके आधार पर गिरफ्तारी हुई है. दिल्ली पुलिस ने 20 जून को इस ट्वीट पर FIR दर्ज की. FIR कॉपी के मुताबिक पुलिस ने इस केस में स्वत: संज्ञान लिया है. इसलिए FIR में शिकायत कर्ता का नाम SI अरुण कुमार लिखा है. जो इस के केस IO यानी इन्वेस्टिगेशन अधिकारी भी हैं. जुबैर के खिलाफ IPC की धारा 153 A और 295 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. धारा 153 किसी शख्स पर दंगा भड़काने का प्रयास करने पर लगाई जाती है. इसमें सजा दो तरह से होती है. अगर दंगा या कहें कि उपद्रव हुआ तो एक साल तक की सजा या आर्थिक दंड यानी फाइन या दोनों लगाए जा सकते हैं. दूसरा अगर उपद्रव नहीं हुआ तो भी 6 महीने तक की सजा या अर्थ दंड दोनों लगाए जा सकते हैं. इसी तरह धारा 295 तब लगाई जाती है जब कोई शख्स किसी भी धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करने की कोशिश करता है. इसमें दो साल की सजा या अर्थ दंड या दोनों का प्रावधान है. हालांकि बता दें कि इसे संज्ञेय अपराध यानी सीरियस क्राइम माना जाता है. ये धारा गैर जमानती है.

तो गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट से एक दिन की रिमांड मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने आज जुबैर को कोर्ट में पेश किया. जहां लंबी जिरह चली. कोर्ट में दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया -
जुबैर ने आपत्ति जनक टिप्पणी की है, जिस ट्वीट की जांच पर दिल्ली पुलिस ने इनको गिरफ्तार किया है.

जुबैर की तरफ से वकील वृंदा ग्रोवर पेश हुईं. उन्होंने दलील दी कि, 

ज़ुबैर फैक्ट चेकर है, सोशल मीडिया पर झूठ का पर्दाफाश करता है. इसलिए बहुत से लोग नापंसद करते हैं. बैंगलोर में रहता है. दिल्ली पूछताछ के लिए बुलाया गया. नोटिस किसी और केस के लिए दिया गया था और गिरफ्तारी दूसरी केस में हुई.

यही आरोप अल्ट न्यूज के फाउंडर मेंबर प्रतीक सिन्हा ने भी ट्वीट कर के लगाया था. पुलिस का इस पर कहना है कि नोटिस दिया गया था.

खैर ट्वीट पर पुलिस के वकील की तरफ से दलील दी गई कि फोटो को एडिट करके डाला गया. जुबैर के वकील की तरफ से कहा गया, 

दिल्ली पुलिस ने हनीमून होटल से हनुमान होटल में नाम एडिट करने का आरोप लगाया. जबकि जुबैर ने जिस फिल्म का स्क्रीनशॉट लगाया था वो साल 1983 में आई थी. ऋृषिकेश मुखर्जी ने इस फिल्म को बनाया था. फिल्म का नाम था 'किसी से ना कहना'. फिल्म के जिस सीन का स्क्रीनशॉट लिया गया था उसको दिवंगत अभिनेता फारुख शेख और दीप्ति नवल पर फिल्माया गया था. फिल्म में दोनों नायक हनीमून मनाने जाते हैं. उन्होंने होटल पहले से बुक किया होता है और उन्हें बताया जाता है कि होटल का नाम हनीमून होटल है. लेकिन जब वो होटल पहुंचते हैं तो देखते हैं कि उसका नाम हनीमून होटल से हनुमान होटल कर दिया गया है. इस पर फारुख, दीप्ति से कहते हैं कि ये वही होटल है. बस इसके नाम को थोड़ा-सा बदल दिया गया है.

माने कहा गया कि ट्वीट में फिल्म की तस्वीर ज्यो की त्यों पेस्ट कर दी गई थी. कोई एडिट नहीं किया गया है. मौके पर जुबैर की तरफ से कहा गया, 

"मुझे रिमांड कॉपी या एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई.  2018-2022 के बीच इस ट्वीट की वजह से क्या हुआ है. कई लोगों ने एक ही ट्वीट किया है, उन हैंडल और मेरे में केवल इतना अंतर है कि इसमें मेरा विश्वास, मेरा नाम और मेरा पेशा है..."

इसके बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से जुबैर के लैपटॉप की मांग की गई. इस पर जुबैर की तरफ से जवाब आया कि उन्होंने मेरा फोन जब्त कर लिया है. मैं पुलिस को पहले ही बता चुका हूं कि मैं ट्वीट के लिए सिर्फ अपने मोबाइल का इस्तेमाल करता हूं, लैपटॉप का नहीं. उन्हें अब मेरे लैपटॉप की आवश्यकता क्यों है. वे मेरे लैपटॉप की मांग कर रहे हैं क्योंकि मैं कई चीजों को चुनौती दे रहा हूँ, अगर पुलिस दुर्भावनापूर्ण काम कर रही है तो कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता.

दिल्ली पुलिस ने इस पर जिस फोन से ट्वीट किया गया, उसकी मांग की, इस पर जुबैर की तरफ से जवाब आया, 

“मैं 2018 में एक अलग फोन का इस्तेमाल करता था और मैंने वह फोन खो दिया. यह पहली बार नहीं कह रहा हूं. यह मैं पहले के मामले में हाइकोर्ट के सामने कह चुका हूं और मेरे पास खोए फोन की रिपोर्ट भी है, मुझे धमकी देकर उन्हें खोया फोन नहीं मिलेगा. उन्हें अब लैपटॉप चाहिए. यह दिल्ली पुलिस द्वारा पावर का दुरुपयोग है.”

दिल्ली पुलिस ने इस पर कहा, 

वो एक फैक्ट चेकर हैं, सिर्फ लोकप्रिय होने के लिए, कुछ धार्मिक समूहों की भावनाओं को भड़का रहे हैं. उन्होंने धार्मिक समूहों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कई ऐसे पोस्ट किए हैं.

सिर्फ एक ही ट्वीट नहीं है. कई और भी हैं. उदहारण के तौर पर कुछ और ट्वीट दिखाए गए. पुलिस ने कहा, 

“उन्होंने सहयोग नहीं किया, ट्विटर एप सहित मोबाइल पर सभी एप्लिकेशन भी डिलीट कर दिए. पुलिस ने दावा किया कि जुबैर ने अपना फोन देने से पहले फॉर्मेट कर दिया.” 

 इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से जुबैर की 5 दिन की रिमांड मांगी. जवाब में जुबैर के वकील ने कहा, 

“एक पत्रकार का नैतिक कर्तव्य सत्ता से सच बुलवाना है. दिल्ली पुलिस कोर्ट को गुमराह कर रही है, हम न सिर्फ रिमांड का विरोध कर रहे हैं बल्कि जमानत भी मांग रहे हैं. सवा 4 बजे सबकी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित कर लिया, फिर शाम 6 बजे फैसला सुनाया गया. जिसमें कोर्ट ने जुबैर की 4 दिन की रिमांड दिल्ली पुलिस को दे दी.”

चूंकि जुबैर सोशल मीडिया पर चर्चित व्यक्ति हैं तो उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक रुख ले लिया है. बात सिर्फ कोर्ट या पुलिस तक नहीं रही. सरकार और विपक्ष दोनों ही तरफ से ट्वीट आने लगे. राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, सच की एक आवाज को गिरफ्तार करने से ऐसी हजार आवाजें उठेंगी. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, पार्टी सांसद महुआ मोइत्रा, TRS, AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है. 

आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर सवाल उठाए. सोशल मीडिया पर लोग दो गुटों में बंट गए हैं. ट्वीट बीजेपी की तरफ से भी आया. योगी सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने ट्वीट कर लिखा बजरंग बली पर अभद्र टिप्पणी करने वाले व्यक्ति का राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव द्वारा बचाव करना आश्चर्य की बात नहीं है. फिलहाल अपडेट यही है कि पुलिस को 4 दिन के लिए जुबैर की रिमांड मिल चुकी है, संभव है कि वो जांच के लिए बेंगलुरू भी जाए. 

अंत में बात महाराष्ट्र की

तो महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले एक हफ्ते से चल रही उठापटक आज भी जारी रही. दिन भर गुवाहाटी, मुंबई और दिल्ली से खबरें आती रहीं. करीब एक हफ्ते से चल रहे इस पूरे घटनाक्रम के बीच आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पिछले कुछ दिनों में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी मांग ली तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट की बैठक बुला ली. इन सब के बीच विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले बैठे एकनाथ शिंदे ने होटल के बाहर मीडिया से बात की तो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस हाईकमान से मिलने दिल्ली पहुंच गए. क्या कुछ हुआ आज महाराष्ट्र की राजनीति में विस्तार से समझते हैं.

शुरुआत गुवाहाटी के होटल रेडिसन ब्ल्यू से. एक हफ्ते से जारी पॉलिटिकल ड्रामा के बीच एकनाथ शिंदे आज होटल से बाहर निकले. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम शिवसेना में ही हैं और अलग पार्टी नहीं बनाने जा रहे.

जहां एक तरफ एकनाथ शिंदे, शिवसेना पर अपना दावा ठोंक रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि असली शिवसेना एक ही है. दूसरी अगर कोई है तो वो भारतीय सेना है. वो देश की रक्षा करते हैं और हम महाराष्ट्र की.

संजय राउत का ये बयान अलीबाग की एक जनसभा से आया. राउत को आज ED ने पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वे नहीं गए. जिसके बाद ED की ओर से उन्हें दोबारा समन भेजा गया और 1 जुलाई को पेश होने के लिए कहा गया.

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज ढाई बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई. जिसे बाद में आगे बढ़ाकर शाम पांच बजे कर दिया गया. इस बैठक से पहले उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बागी विधायकों से भावुक अपील की. ठाकरे ने कहा,
परिवार का मुखिया होने के नाते मुझे आपकी चिंता है. आप लोगों को कुछ दिनों से कैद करके गुवाहाटी में रखा गया है. आप लोगों के बारे में रोज मेरे सामने नई जानकारी आती है. आप में से कई मेरे संपर्क में हैं. आप लोग दिल से अभी भी शिवसेना के साथ हैं. मैं यही कह सकता हूं कि अभी बहुत देर नहीं हुई है. आप लोग मुंबई आकर मेरे साथ बैठें और शंकाओं को दूर करें. हम एक साथ जरूर कोई रास्ता निकाल लेंगे.

ठाकरे ने बागी विधायकों से ये भी कहा कि शिवसेना में आपको जो आदर सम्मान मिला है वो कहीं और नहीं मिलेगा.

इसके बाद शाम 5 बजे कैबिनेट की बैठक शुरू हुई. कैबिनेट की बैठक में उद्धव ठाकरे ने ये स्पष्ट कर दिया कि वे इस्तीफा नहीं देने वाले हैं. बैठक में मौजूद सहयोगी दलों कांग्रेस और NCP नेताओं ने उद्धव के फैसले का समर्थन किया. कैबिनेट मीटिंग से पहले उद्धव ठाकरे ने NCP प्रमुख शरद पवार से भी फोन पर बात की थी. कहा जा रहा है कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देने की बजाय संघर्ष करने की सलाह दी थी.
कैबिनेट मीटिंग के बाद महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा कि कैबिनेट में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. किसानों के मुद्दे पर चर्चा हुई. कल फिर से कैबिनेट मीटिंग हो सकती है.

कैबिनेट मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के बाकी बचे विधायकों के साथ भी बैठक की. कैबिनेट मीटिंग के बाद अब राजभवन की ओर चलते हैं. अस्पताल से वापस लौटते ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव सरकार से पिछले तीन दिन की फाइलों का हिसाब-किताब मांग लिया. राजभवन सचिवालय की ओर से जारी आदेश में उन प्रस्तावों के बारे में जानकारी मांगी गई है जिन्हें 22, 23 और 24 जून को मंजूरी दी गई.  

राजभवन के इस आदेश को गुवाहाटी के होटल में बैठे विधायकों की शिकायत से जोड़कर देखा जा रहा है. शिंदे गुट के बागी विधायकों ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक संकट के बीच उद्धव सरकार की ओर से अंधाधुंध फाइलें और सरकारी संकल्प यानी शासनादेश पास किए जा रहे हैं. इससे पहले विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर ने राज्यपाल को लिखित शिकायत देकर कहा था कि राजनीतिक अनिश्चितता के बीच कई फैसले लिए जा रहे हैं. जिनका संज्ञान लिया जाना चाहिए.

मुंबई और गुवाहाटी में चल रही बैठकों से इतर दिल्ली में भी बैठकों का दौर शुरू हो गया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दिल्ली में बैठक की.  माने खेल अभी लंबा चलेगा. जो होगा, आपको जानकारी देते रहेंगे.
 

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