इस पाकिस्तान के सारे वोटर हिंदू हैं!
कहानी बिहार में पूर्णिया के पास बसे गांव की.

बिहार के एक नेता हैं. जो उनकी नहीं मानता, उसे पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं. हमने वो पाकिस्तान ढूंढ़ लिया है. उस पाकिस्तान के लिए न वीज़ा लगता है, न पासपोर्ट. बस थोड़ी सी हिम्मत चाहिए. यहां रहने वाले सारे लोग हिंदू हैं. ये पाकिस्तान बिहार में है. पूर्णिया से 30 किलोमीटर दूर सिंघिया पंचायत का छोटा सा गांव.
इस गांव का नाम पाकिस्तान कैसे पड़ा, इसके दो किस्से हैं. गांव के लोग बताते हैं भारत-पाक विभाजन के वक्त मुस्लिम बाशिंदे पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चले गए. जाते-जाते अपनी जमीन-जायदाद गांव में रह गए लोगों को सौंप दी और उन्हीं की याद में गांव का नाम पाकिस्तान रखा गया.
यहां जायदाद के नाम पर सिर्फ झोपड़ियां हैं. न बिजली, न स्कूल, न अस्पताल. हां, जमीन ज़रूर है जिस पर लोग धान और मकई की खेती करते हैं.
इस टोले का नाम पाकिस्तान कैसे पड़ा, इसका दूसरा किस्सा 1971 भारत-पाक युद्ध का है. कहा जाता है कि युद्ध के वक़्त पूर्वी पाकिस्तान से कुछ शरणार्थी यहां आए थे और उन्होंने एक टोला बसा लिया. इस बसावट के शरणार्थियों को अपनी पसंद का नाम रखने के लिए आजादी थी तो उन्होंने पाकिस्तान रख दिया. बांग्लादेश बनने के बाद वो लोग वापिस चले गए. टोले का नाम पाकिस्तान ही रह गया.
आज इस पाकिस्तान में करीब 300 लोग रहते हैं, जो मुख्यत: संथाल जनजाति के हैं. इनमें से करीब 170 वोटर हैं, लेकिन गांव तक जाने वाली सड़क ऐसी है कि बैलगाड़ी को भी मुश्किल हो और फिर किसी भी प्रकार की आराम-परस्ती का कोई जरिया नहीं. इसलिए अधिकारियों और नेताओं को यहां जाने में सैद्धांतिक तकलीफ होती है.
लोकसभा चुनावों के वक्त पाकिस्तान के लोगों ने थोक के भाव में मोदीजी को वोट दिया था. लोग 4जी से नहीं, बल्कि रेडियो से कनेक्टेड हैं. देश-दुनिया की सारी ख़बर रखते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि भारत-पाकिस्तान में तनातनी हो, तो लोग गांव का नाम बदलने की सोचते होंगे? तो गांव के लोगों का कहना है कि बदल भी लेंगे तो आस-पास के गांव के लोगों के लिए तो यही नाम रहेगा. जानते हैं कि नाम बदलने से कोई फर्क तो पड़ना नहीं है. गांव की हालत बाकी बिहार या यूं कहें कि शेष भारत के गांवों जैसी ही रहनी है, नाम से गांव ख़ास बना है, तो यही सही.
तो भैय्या अगली बार जब कोई नेता आपको पाकिस्तान भेजने की बात करे, तो बाबा बुल्लेशाह की दरगाह या हिंगलाज मंदिर में दर्शन के ख्वाब न सजाइएगा. पाकिस्तान में किसी आतंकी कैंप में जाकर उनसे ये पूछने कि इच्छा है कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो तो उसे भी मन में ही दबा लीजिएगा. इन नेताओं को हमारी सुरक्षा की चिंता है, इसलिए उस पाकिस्तान नहीं भेज सकते, वो इस पाकिस्तान का ज़िक्र कर रहे होते हैं. 10 किलोमीटर की असड़क, सरकंडों की झोपड़ियां और कोलाहल से दूर बिहार के कोने में बसा पाकिस्तान. कम खर्चे में सुरक्षित यात्रा!
दी लल्लनटॉप के लिए ये आर्टिकल हेमंत ने लिखा है.