9 बार विधायक रहे सदानंद सिंह के बेटे ने कैसे ढहा दिया कांग्रेस का किला?
कहलगांव: कांग्रेस के इस गढ़ में भी खिल गया कमल
बीजेपी के पवन कुमार यादव (बाएं) जिन्होंने शुभानंद मुकेश (बीच में) को हराया. सदानंद सिंह (दाएं) ने अपनी जगह बेटे को सौंपी थी राजनीतिक विरासत. (फोटो-फेसबुक)
डेविड
11 नवंबर 2020 (Updated: 11 नवंबर 2020, 10:37 AM IST)
कहलगांव विधानसभा सीट. भागलपुर जिले के तहत आती है. बीजेपी के पवन कुमार यादव ने यहां से शानदार जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी शुभानंद मुकेश को 42,893 वोटों से हराया. शुभानंद मुकेश कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह के बेटे हैं. सदानंद यहां से लगातार जीतते आ रहे थे. लेकिन इस बार उन्होंने अपने बेटे को मैदान में उतारा था. पवन यादव को 1,15,538 वोट मिले. वहीं शुभानंद मुकेश को 72,645 वोट ही मिल सके. वोट प्रतिशत की बात करें तो पवन ने 56.23 फीसदी वोट झटके, तो शुभानंद मुकेश के खाते में 35.36 प्रतिशत वोट आए.

इस सीट की चर्चा इसलिए हो रही है कि हारने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह के बेटे हैं.
कहलगांव सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. सदानंद सिंह नौ बार विधायक रहे. कहलगांव में विधानसभा के अब तक 17 चुनाव हुए हैं. इस सीट पर कांग्रेस का ही बोलबाला रहा है. 12 चुनावों में यहां पर उसे जीत मिली है. सबसे अधिक जीत शुभानंद मुकेश के पिता सदानंद सिंह को मिली. पिछली बार कहलगांव सीट पर सदानंद सिंह और लोजपा प्रत्याशी नीरज कुमार मंडल के बीच टक्कर थी. भाजपा और लोजपा ने पिछली बार मिलकर चुनाव लड़ा था. 2015 के चुनाव में सदानंद सिंह को 64,981 वोट मिले थे. उन्होंने लोजपा प्रत्याशी नीरज मंडल को 21229 वोटों से हराया था.
मुकेश के पिता सदानंद सिंह की गिनती बिहार कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है. बिहार में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद हर बार वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. बिहार सरकार में सिंचाई एवं ऊर्जा राज्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा 2000 से 2005 तक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का जिम्मा भी संभाला है. 2011 से अब तक वह कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं.
बीजेपी के पवन यादव के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर भूपेंद्र यादव, मनोज तिवारी आदि ने प्रचार किया था. शुभानंद मुकेश की हार को वंशवाद की राजनीति से जोड़ा जा रहा है. कहा जा रहा है कि पवन यादव को जिताकर जनता ने वंशवाद को हराया है.