9 अगस्त 2016 (Updated: 9 अगस्त 2016, 09:36 AM IST) कॉमेंट्स
Small
Medium
Large
Small
Medium
Large
2001. जस्टिन गैटलिन का टेस्ट सैंपल बैन हो चुके सब्सटेंस के लिए पॉज़िटिव पाया गया. उन्हें 2 साल का बैन मिला. बाद में उन्होंने बताया कि उन्हें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है. जिसके लिए वो बचपन से दवाइयां लेते आ रहे हैं. बैन हो चुके सब्सटेंस का उनके शरीर में मिलना उन दवाइयों की वजह से ही हुआ था. उनकी इस अपील की वजह से उन्हें जल्दी ट्रैक पर वापस आने की परमीशन दे दी गई.
2006. फिर से बैन लग गया. फिर से डोपिंग का आरोप. इस बार फिर उसने कहा कि वो बेक़सूर है. आठ साल का बैन लगा. पहले तो लाइफटाइम बैन लगने वाला था. लेकिन बाद में अच्छे व्यवहार के लिए उसे आठ साल में तब्दील कर दिया गया.
जस्टिन गैटलिन अब 34 बरस के हो चुके हैं. ट्रैक पर दुश्मन हैं यूसेन बोल्ट. इस टाइम गैटलिन का एक ही मकसद है - दुनिया का सबसे तेज़ इंसान बनना. इसके लिए उसे पिछाड़ना होगा बोल्ट को. उस इंसान को, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने उड़ना सीख लिया है. रियो ओलंपिक में जस्टिन गैटलिन 100मीटर, 200 मीटर और 4X100 मीटर रेस में दौड़ेंगे.
अमेरिका का चेहरा बदलने को है. नया राष्ट्रपति मिलने को है. जस्टिन गैटलिन आखिरी बार तब ओलंपिक में जीते थे जब जॉर्ज डब्ल्यू बुश दोबारा प्रेसिडेंट बनने को आतुर थे. आज अमरीका ओबामा के दो टर्म्स के बाद अपना नया प्रेसिडेंट ढूंढ रहा है. वहीं यूसेन बोल्ट ओलंपिक में साल 2008 से रेस में अव्वल आते ही रहे हैं. दोनों ही एथलीट्स की लड़ाई इतिहास से है. इतवार की रात 21 अगस्त को अगर यूसेन बोल्ट जीतते हैं तो मानव इतिहास में तीन बार 100 मीटर रेस में सोना निचोड़ के लाने वाले वो पहले एथलीट होंगे. और अगर गैटलिन जीतते हैं तो वो दुनिया में 100 मीटर की रेस जीतने वाले सबसे उम्रदराज़ इंसान बनेंगे.
यूसेन बोल्ट वो एथलीट हैं जो मौका पड़ने पर अपना बार ऊंचा कर देता है. इतना कि कोई पार न पा पाए. इस बार ओलंपिक में वो फेवरिट हैं. लेकिन उन्हें कोई हरा सकने के आस-पास भी पाया जा रहा है तो वो है जस्टिन गैटलिन. हालांकि बोल्ट की मांसपेशियों में खिंचाव है. इसकी वजह से उन्हें जुलाई में ओलंपिक ट्रायल्स से अपना नाम वापस लेना पड़ा था.
उधर गैटलिन के सामने सिर्फ रेस ही नहीं है. उसके सामने है उनकी उमर और रेस ख़त्म होने के बाद उनका ड्रग टेस्ट. लोगों को अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि कोई आदमी 34 साल की उमर में कैसे इतनी तेज़ भाग सकता है. वो भी बिना दवाइयों के इस्तेमाल के. ऐसे में अगर वो रेस जीतते भी हैं तो उस रेस के बाद होने वाले ड्रग टेस्ट में भी उन्हें पास होना ही पड़ेगा. गैटलिन से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, "मैं कोई विलेन नहीं हूं." अपने सस्पेंशन के बाद से उन्होंने सभी टेस्ट पास तो ज़रूर किए हैं लेकिन वो ये मानते हैं कि उनकी मौजूदगी अमरीका की टीम को कम्फर्टेबल पोज़ीशन में नहीं रखती है. "मुझे मालूम है कि मेरी मौजूदगी लोगों को कन्फ्यूज़ करती है.", उन्होंने कहा.
अगर थोड़ा सा पीछे जायें तो हमें मालूम चलेगा कि गैटलिन ने कितनी मुश्किलों के बीच कम-बैक किया है. एक तो डोपिंग और बैन की वजह से शर्म और साथ ही बढ़ती उम्र. उन्होंने बताया कि उनका चार साल का सस्पेंशन उन्हें ट्रैक से उठाकर बुरी जगहों पर ले गया. "मुझे मेरी कीमत नहीं मालूम थी." गैटलिन ने मिलिट्री ज्वाइन करने की भी सोच रक्खी थी. कहते हैं कि उन्होंने शराब के नशे में गाड़ी चलाने जैसे जोखिम भरे भी किए. वो कहते हैं कि उस वक़्त उन्हें ऐसा लगता था कि "अगर मैं अपनी कार को एक पेड़ में ठोंक देता तो कोई भी मुझे मिस नहीं करता. ये एक ऐसा दर्द था जो मैं समझ नहीं पा रहा था."
गैटलिन के मामले में रेस प्रमोटर्स भी कुछ खास श्योर नहीं थे. वजह थी उनकी खराब हो चुकी इमेज. दूसरी तरफ़ गैटलिन ऊपर ही बढ़ते रहे. वापस आने के बाद वो और तेज दौड़ने लगे हैं. इस उमर में मानव इतिहास में कोई भी आदमी इतनी तेज़ी से नहीं दौड़ सका है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो की एक स्टडी में प्रोफेसर रॉजर जूनियर ने बताया कि दुनिया के 10 सबसे तेज दौड़ने वाले लोग 25 साल की उमर में आते-आते दौड़ने की स्पीड के मामले में इम्प्रूवमेंट दिखाना बंद कर चुके थे. जबकि गैटलिन 33 साल की उमर में और भी तेजी से दौड़ने लगे.
हालांकि गैटलिन सारे शोर को खुद से दूर रखने की कोशिश में लगे हुए हैं. "ये ओलंपिक का सबसे बड़ा इवेंट है. मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं अच्छा परफॉर्म कर सभी को एक अच्छा शो दूं."