पीयूष जैन भाजपा से हैं या सपा से?
इस इत्र कारोबारी पर छापे की वजह यूपी चुनाव हैं?
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इस इत्र कारोबारी पर छापे की वजह यूपी चुनाव हैं?
ये जो बाक्से भर भर के नोट मिले हैं. इसके बावजूद भी लोग हमको कहेंगे कि ये सब हमने किया है. 2017 से पहले भ्रष्टाचार का जो इत्र उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में छिड़क रखा था वो अब सबके सामने आ गया है.पीएम मोदी के सबसे विश्वासपात्र सहयोगी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उनका हाथ प्रचार में बंटा रहे हैं. इत्र की खुशबू उनके भाषण से भी आती है - अमित शाह ने इसपर कहा
हमने रेड लगाई तो अखिलेश के पेट में खलबली मच गई. आज उनको जवाब देते नहीं बनता है जब समाजवादी इत्र बनाने वाले के घर से 250 करोड़ रुपए मिले तो उनके मुहं से शब्द नहीं निकल रहे हैं.चूंकि दोनों बार इशारा समाजवादी पार्टी की तरफ था, इसलिए ज़रूरी है कि हम आपको समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान भी आपको बताएं . खुशबू उन्हें भी आ रही है, लेकिन पीएम और गृहमंत्री से उलटी से -
आप लोगों ने देखा होगा कि एक घर में पैसा ही पैसा निकला है. इतनी गड्डियाँ निकली कि गिन नहीं पाए. पैसा गिनने के लिए मशीन बुलवानी पड़ी. बताओ सरकार किसकी है? सड़क , हवाईजहाज़, बैंक सब इनका है. और यह कह रहें हैं कि रुपया हमारा है. यह हमारा नहीं, भाजपा वालों का है.एक जनाब और हैं. असदुद्दीन ओवैसी. आईटी हब हैदराबाद से आकर यूपी के मैदानों की धूल फांक रहे हैं. उनकी शिकायत ये है कि इत्र की खुशबू आ क्यों रही है? नोटबंदी का क्या हुआ?
प्रधानमंत्री से पूछना चाहिए कि नोट बंदी के बाद इतना पैसा वहाँ कैसे आया? क्या नोट बंदी नाकाम हो गई?ये चार बयान इस बात को स्थापित करते हैं कि इत्र के कारोबारी पीयूष जैन के बारे में बात करना तो बनता है. और ये बात शुरू होती है, इत्र के कारोबार के लिए मशहूर यूपी के कन्नौज से. कन्नौज में इत्र का कारोबार खूब होता है. इत्र जैसा कि आप जानते ही हैं, बदन पर लगाया जा सकता है. लेकिन इत्र के कई और इस्तेमाल होते हैं. और इन्हीं में से एक है गुटखा या पान मसाला. गुटखे में भी इत्र पड़ता है. और इसे कहते हैं एसेंस. इससे गुटखे में हल्की हल्की खुशबू रहती है. स्वाद भी बढ़ता है. कन्नौज के ज़्यादातर बड़े इत्र कारोबारी इत्र के रीटेल बिज़नेस की जगह गुटखा उद्योग को इत्र सप्लाई करते हैं. भारत में गुटखे के जितने बड़े ब्रांड हैं, उनमें पड़ने वाले एसेंस का एक बड़ा हिस्सा कन्नौज के कारोबारियों के मार्फत आता है. गुटखा या पान मसाला भले छोटे छोटे पैकेट में बिकता हो. लेकिन भारत में गुटखा कंपनियों का मार्केट साइज़ साल 2020 में ही 40 हज़ार करोड़ को पार कर गया था. इस सेक्टर में 10 फीसद सालाना की बढ़त का अनुमान है. ये एक ऐसी चीज़ है, जो लोग खाना शुरू करते हैं, फिर लत और शौक दोनों के चलते खाते ही रहते हैं. तो डिमांड की कोई कमी नहीं है. अंग्रेज़ी में इसे ही कहते हैं बूमिंग बिज़नेस. बिना एसेंस के गुटखे का कारोबार हो नहीं सकता. इसीलिए एसेंस का कारोबार भी बूमिंग बिज़नेस ही है. यही वजह है कि किसी इत्र कारोबारी के पास धन संसाधन या राजनैतिक पहुंच होने को बड़ी सामान्य बात माना जाता है. 9 नवंबर 2021 भी बड़ा सामान्य सा दिन था. इस दिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी परफ्यूम लॉन्च किया. इस मौके पर मौजूद थे सपा MLC पुष्पराज जैन. उन्होंने कहा कि 2022 में इस परफ्यूम से नफरत खत्म हो जाएगी. पुष्पराज जैन सपा एमएलसी होने के साथ साथ इत्र कारोबारी भी हैं. और कन्नौज के रहने वाले हैं. तब यूपी से बाहर इस खबर का वज़न उतना नहीं था. टिप्पणी करने वालों ने टिप्पणी की, मेमे बनाने वालों ने मेमे बनाए. और फिर सब भूल गए कि ऐसा कुछ हुआ भी था. लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि डेढ़ महीने बाद हर कोई समाजवादी इत्र की बात करने लगा. 22 दिसंबर को डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस यानी DGGI की टीम ने कानपुर में एक छापा मारा. DGGI का काम है GST की चोरी या फर्जीवाड़े को पकड़ना. ये छापा पड़ा था कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर वाले ठिकाने पर. छापेमारी में जब पीयूष जैन के घर से नोटों बंडल सामने आने लगे तो DGGI के अधिकारी सन्न रह गए. अमूमन GST के मामलों में जब रेड पड़ती है, तब ये सामने आता है कि GST की चोरी के लिए कैसा इंतज़ाम किया गया था. मसलन फर्ज़ी बिल, गलत इंवॉइस या फिर कंपनी के लेनदेन में हेराफेरी. DGGI के अधिकारी GST में हुए हेरफेर की गणना करते हैं. सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आरोपी को बता देते हैं कि आपको इतना जीएसटी और पेनल्टी भरनी होगी. दरअसल अहमदाबाद DGGI टीम को जानकारी मिली थी कि कानपुर में एक ट्रांसपोर्ट बिज़नेसमैन बिना Eway Bill जनरेट किए फर्जी रसीद बनाकर टैक्स चोरी करता है. नियम ये है कि सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हुए Eway बिल साथ रखा जाए. इससे मालूम चलता है कि माल किसका है, कहां जा रहा है और इसपर GST चुकाया गया है कि नहीं. लेकिन DGGI अहमदाबाद के हाथ एक ऐसा ट्रक लगा था, जिसमें जा रहे माल का बिल फर्जी कंपनियों के नाम पर बनाया गया था. सभी बिल 50 हजार रुपये से कम के थे, ताकि Eway Bill न बनाना पड़े. इसके बाद DGGI की टीम ने इस ट्रांसपोर्टर के घर और दफ्तर पर छापा मारा. यहां पर डीजीजीआई को करीब 200 फर्जी बिल मिले. इसके बाद DGGI ने ये मालूम किया कि फर्ज़ी बिल वाले इस धंधे के तार कहां कहां जुड़े हैं. यही फर्जी बिल DGGI को पीयूष जैन के यहां ले गए. लेकिन DGGI को पीयूष जैन के यहां से फर्ज़ी बिल नहीं, नोटों के बंडल मिले. अलमारियों और संदूकों में भरे बंडल. जिनमें से कई को इस तरह पैक किया गया था कि आराम से पार्सल किया जा सके. जैसे ही छापे में हार्ड कैश मिला, DGGI ने आयकर विभाग को खबर कर दी. और आयकर विभाग के लोग भी गिनती नहीं कर पाया. तब भारतीय स्टेट बैंक से मशीनें और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने को कहा गया. नोट गिनने वाली मशीनों की संख्या 1 से शुरू होकर 18 तक पहुंच गई थी. इसी छापे के दौरान एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. और साथ में ये खबर चल गई कि समाजवादी इत्र लॉन्च करने वाले कारोबारी के यहां पड़ गया छापा. यूपी भाजपा ने तुरंत इसे लेकर ट्वीट करके अखिलेश और सपा पर तंज़ भी कर दिया. रैलियों में क्या कहा जा रहा है, वो हम आपको सुनवा ही चुके हैं. लेकिन 25 दिसंबर की सुबह तक समाजवादी पार्टी ने मीडिया रिपोर्ट्स को गलत बता दिया. और कहा कि उनके वाले इत्र कारोबारी हैं पुष्पराज उर्फ पम्पी जैन. और छापा पड़ा है पीयूष जैन के यहां. इसके बाद कई जगह से सपा कनेक्शन वाली खबरें हटाई गईं. लेकिन यहां ये समझने की ज़रूरत है कि छापे का सपा कनेक्शन खोजा कैसे गया था. दरअसल पुष्पराज जैन की तरह ही पीयूष जैन भी मूलतः कन्नौज के ही रहने वाले हैं. इतना ही नहीं, कन्नौज में दोनों का घर जैन गली में ही है. दोनों एक ही तरह का कारोबार करते हैं - इत्र का कारोबार. तब पम्पी जैन ने कहा था.
पीयूष जैन से हमारा कोई लेना देना नहीं है. उनका समाजवादी पार्टी से भी लेना देना नहीं है.लेकिन भाजपा की तरफ से जो बाण छोड़ दिया गया था, उसे वापस नहीं लिया गया. अखिलेश यादव ने तब ये कहकर सबको चौंका दिया कि चुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसी हमारे MLC पर छापा मारना चाहती थी. लेकिन गली और नाम की गफलत में छापा भाजपा के करीबी कारोबारी पर पड़ गया. तो इस तरह पीयूष जैन का मामला सपा और भाजपा के बीच फुटबॉल हो गया. इधर ये खेल चल रहा था, उधर DGGi और आयकर विभाग की कार्रवाई लंबी खिंचती गई. आयकर विभाग ने जिस अलमारी का ताला तोड़ा, उसे अंदर से नोट मिले. 25 दिसंबर को कानपुर के बाद DGGI और इनकम टैक्स की टीमें पीयूष के पुश्तैनी घर कन्नौज पहुंचीं. कन्नौज में भी कानपुर वाली कहानी दोहराई गई. नोटो की गिड्डियां मिली और फिर नोट गिनने वाली मशीनों को काम पर लगा दिया गया. ज़मीन के नीचे बनी खुफ़िया अलमारियों से तक कैश निकल रहा था. दोनों ठिकानों पर छापेमारी के बाद कुल 197 करोड़ 49 लाख का कैश बरामद हुआ. साथ ही कैश के साथ 23 किलोग्राम सोना भी बरामद हुआ. करोड़ों की बरामदगी के बाद DGGI की टीम ने पीयूष जैन से 50 घंटे से भी ज्यादा पूछताछ की. इसके बाद 26 दिसंबर को रविवार के दिन पीयूष जैन को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद कानपुर के काकादेव थाने से पीयूष जैन का एक वीडियो भी आया जिसमें वो फर्श पर सोते हुए दिखाई दे रहे थे. इसके बाद पीयूष की पेशी कानपुर के महानगर मजिस्ट्रेट के कोर्ट में हुई जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. ये तस्वीरें दर्शकों को काफी कंफ्यूज़ कर रही थीं. एक तरफ उनके पास से मिला कुबेर का खज़ाना. दूसरी तरफ थाने की फर्श पर सोते पीयूष जैन. तब कन्नौज और कानपुर वालों ने बताया कि सादगी तो इनके चरित्र का अभिन्न अंग है. कारोबारी हैं, लेकिन चलते हैं स्कूटर से. वैसा स्कूटर, जो आजकल आपको सड़कों पर कम ही देखने को मिलता है. घर में 10 साल से भी ज्यादा पुरानी दो गाड़ियां हैं, इनमें से एक गाड़ी का इंश्योरेंस भी खत्म हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो घर में कोई नौकर भी नहीं है. घर की रखवाली के लिए एक चौकीदार जरूर था जिसे साल डेढ़ साल में बदला जाता था. लेकिन सादगी का मतलब ये भी नहीं पीयूष जैन कोई छोटे-मोटे कारोबारी हैं. इत्र बनाने और खाने-पीने में प्रयोग होने वाले एसेंस को बनाने की कला पीयूष को विरासत में मिली. पीयूष के पिता महेश चंद्र जैन पेशे से कैमिस्ट हैं. पिछले 15 सालों में पीयूष के कारोबार ने दिन दुगुनी रात चौगुनी वाले मोड में तरक्की की. कन्नौज से शुरु हुआ कारोबार मुंबई, गुजरात के रास्ते विदेशों तक जा पहुंचा है. फिलहाल एजेंसियां इस बात का पता लगा ही रही हैं कि पीयूष जैन के पास कितनी संपत्ति है. पीयूष जैन के मामले पर सवाल तब और बढ़ गए जब ये खबर आई कि उन्होंने पेनल्टी समेत 52 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाने की बात कही है और बाकी पैसा वापस मांगा है. पीयूष जैन को भाजपा का करीबी साबित करने पर आमाद लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया कि dggi ने पीयूष जैन के यहां से बरामद पैसे को टर्नओवर मान लिया है. और अब इसी हिसाब से कार्यवाही होगी. आज लेकिन DGGI ने साफ किया कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है. टर्नओवर वाली बात का वज़न इस बात में है कि पीयूष जैन पर कार्रवाई किस तरह होगी. ये समझने के लिए हमने आयकर विभाग में पदस्थ अधिकारियों से बात की. हम इनकी पहचान ज़ाहिर नहीं कर सकते. अधिकारी ने हमें बताया कि अगर इस पैसे को जैन की कंपनी का टर्नओवर मान लिया जाए, तो पीयूष जैन पर कुछ रहम तो हो जाएगा. उन्हें सिर्फ बकाया GST देना होगा. साथ में कुछ पैनल्टी. इसके बाद वो ये कह पाएंगे कि वो अगले साल इस पैसे को अपने रिटर्न में दिखाने ही वाले थे. और तब जो टैक्स बनता, वो दे देते. लेकिन अगर इस पूरे पैसे को आयकर विभाग अनडिस्क्लोज़्ड इनकम मान लिया, तो आयकर विभाग का मीटर बहुत तेज़ चलेगा. उन्हें कम से कम 30 फीसदी टैक्स, इसके बाद पेनल्टी देनी होगी. ये रकम चली जाएगी 50 फीसदी के करीब. इसके बाद अगर कालेधन की धाराएं लग गईं, तो पेनल्टी 50 फीसदी से कहीं ऊपर चली जाएगी. जेल भी हो सकती है. रही बात सोने की, तो वो विदेश से आया लगता है. अगर पीयूष जैन इस सोने के बिल नहीं दिखा पाए तो फिर कस्टम्स विभाग का डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस इसे स्मगलिंग का केस मान लेगा. सोने और विदेशी प्रॉपर्टी के केस में पीयूष जैन को बेगुनाही साबित करने में बहुत कोशिश करनी होगी. इसीलिए वो डैमेज कंट्रोल के लिए टर्नओवर वाली दिशा में जाना चाहते हैं. ताकि हार्ड कैश बचा सकें. अब आखिर में उस सवाल पर बात कि पीयूष भाजपाई हैं या सपाई. अब तक पीयूष किसी पार्टी से सीधे जुड़े नहीं पाए गए हैं. DGGI जिस तरह पीयूष के यहां पहुंची है, उससे प्रथम दृष्टया ये नहीं लगता कि उनपर सपाई होने के चलते छापा पड़ा होगा. अब पूरी नज़रें इस बात पर हैं कि पीयूष पर कार्रवाई कितनी सख्त होगी. इसके बाद ही राजनैतिक तुक्केबाज़ी की गुंजाइश पैदा होगी. फिलहाल के लिए पीयूष जैन इतने लो प्रोफाइल कारोबारी हैं. कि उनका पूरा प्रोफाइल किसी के हाथ नहीं लगा है. अब गौर कीजिए दिन की कुछ सुर्खियों पर कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव टलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. सूबे की राजधानी लखनऊ में चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर एक अहम प्रेस कांफ्रेंस की. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव कराने में कोई देरी नहीं होगी. सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग से मुलाकात में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए समय पर चुनाव कराने की मांग की है. चुनाव आयोग की तरफ से यह भी साफ किया गया है कि आखिरी मतदाता सूची 5 जनवरी को आएगी, मतलब 5 जनवरी के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. चुनाव से पहले रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न होना भी एक चिंता का विषय है. इस मुद्दे पर नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल से सवाल पूछा गया तो उन्होंने गेंद चुनाव आयोग के पाले में डाल दी. डॉ पॉल ने कहा यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है और इस मुद्दे को उठाने के लिए यह सही मंच नहीं है. लेकिन किसी को तो जिम्मेदारी लेनी ही होगी क्योंकि कोरोना का वायरस क्षेत्र देखकर नहीं आता. दूसरी सुर्खी नागालैंड से है. विरोध के वाबजूद नागालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए विवादित कानून आफ्सपा यानी आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट को केन्द्र सरकार ने 6 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है. यह कानून सुरक्षाबलों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए व्यापक अधिकार देता है मसलन कानून की धारा-4 के मुताबिक, संदेह होने पर सुरक्षा बल किसी भी जगह पर तलाशी ले सकते हैं और खतरे होने पर उस इमारत को नष्ट तक किया जा सकता है. आफ्सपा की मियाद ऐसे समय में बढ़ाई जा रही है जब 4 दिसंबर को नागालैंड के मौन जिले में गलती से हुई आम नागरिकों की मौत के मामले में SIT जांच चल रही है. नागरिकों की मौत के बाद नागालैंड की राजधानी कोहिमा सहित कई जिलों में प्रदर्शन हुए जिनमें आफ्सपा को बैन करने की मांग की गई थी. तीसरी सुर्खी है छत्तीसगढ़ से. महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द बोलने वाले कालीचरण महाराज को आज सुबह छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया है. 26 दिसंबर को कालीचरण ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुई कथित धर्म संसद में महात्मा गांधी के खिलाफ गलत बयानबाजी की थी. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अगले दिन रायपुर में कालीचरण के खिलाफ FIR दर्ज हुई. जिसके चार दिन बाद आज एमपी से कालीचरण की गिरफ्तारी हुई. कालीचरण की गिरफ्तारी पर एमपी-छत्तीसगढ़ की सरकारें आमने-सामने आ गईं. एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एमपी पुलिस को सूचना दिए बगैर छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया. जवाब में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि किसी भी नियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. साथ ही बघेल ने नरोत्तम मिश्रा से सवाल भी पूछा कि वो कालीचरण की गिरफ्तारी पर खुश हैं या नहीं ? रायपुर के अलावा महाराष्ट्र के अकोला में भी कालीचरण के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है.