भारतीय फिल्मों का वो सुपरस्टार, जिसे देखने के लिए लड़कियां छतों से कूद जाती थीं
जिसने नाव से कूदकर हीरोइन की जान बचाई और फिर शादी का प्रस्ताव दे दिया.
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देव आनंद को काले कपड़े पहनने की मनाही थी. कहा जाता था कि उनको काले कपड़े में देख लड़कियां छतों से कूद जाती थीं.

देव आनंद को भारत का सबसे चहेता सुपरस्टार माना जाता है.
#1. फिल्ममेकर ने पर्सनालिटी से इम्प्रेस होकर फिल्म दे दी
ग्रेजुएशन की पढ़ाई ख़त्म कर के देव आनंद बंबई आ गए. काम की तलाश में. काम शुरू हुआ. एक फर्म में 60 रुपए पर बतौर क्लर्क काम करने लगे. बड़े भाई चेतन थोड़ा थिएटर वगैरह में इंटरेस्ट लेते थे तो उनके ही साथ IPTA (Indian People's Theatre Association) से जुड़ गए. वहां से थोड़ा नाटक-ड्रामा समझा लेकिन फिल्मों में आने का फैसला किया अशोक कुमार की फिल्म 'अछूत कन्या' और 'किस्मत' देखकर.

देव आनंद अपने भाई चेतन और उनकी पत्नी के साथ.
अब फ़िल्में ही करनी थी तो यहां-वहां घूमकर काम ढूंढ रहे थे. कहीं से खबर लगी कि एक डायरेक्टर फिल्म बनाने वाला है. सीधा उसके ऑफिस पहुंच गए. प्रभात फिल्म स्टूडियो में डायरेक्टर बाबु राव एक फिल्म प्लान कर रहे थे. देव को देखकर चौंक गए. थोड़ी देर देखते ही रहे फिर तय कर लिया कि उनकी फिल्म में यही लड़का होगा. उन्होंने अपने लोगों से कहा कि इस लड़के की आंखें, स्माइल और कॉन्फिडेंस उन्हें बहुत कमाल लगी. मतलब पहली फिल्म बिना किसी ऑडिशन के सिर्फ पर्सनालिटी और प्रेजेंस पर ही पा गए.
#2. पहली फिल्म के दौरान ही गुरुदत्त से डील कर ली थी
साल 1946 का था और फिल्म बन रही थी प्रभात फिल्म स्टूडियो की 'हम एक हैं'. ये फिल्म हिंदू-मुस्लिम एकता पर बेस्ड थी. फिल्म में देव आनंद के साथ गुरुदत्त और कमला कोटनिस भी थीं. फिल्म की मेकिंग के दौरान देव और गुरुदत्त की दोस्ती हो गई. दोस्ती मतलब ऐसी जबरदस्त कि दोनों ने आपस में एक डील कर ली. वो ये कि अगर दोनों में से कोई एक सफल हुआ तो दूसरे की मदद करेगा. मतलब बात ये हुई कि अगर देव आनंद कोई फिल्म प्रोड्यूस करेंगे तो उसे गुरुदत्त डायरेक्ट करेंगे और अगर गुरुदत्त कोई फिल्म डायरेक्ट करते हैं तो उसमें देव लीड एक्टर होंगे. किस्मत से दोनों को कुछ नहीं करना पड़ा क्योंकि दोनों ही अपनी-अपनी फील्ड में खासे सफल हो गए.

देव आनंद और गुरुदत्त की पहली फिल्म की शूटिंग के दौरान ही बहुत जबरदस्त बॉन्डिंग हो गई थी.
#3. क्रेडिट में हीरोइन का नाम पहले आने से दुखी थे
40 के दशक में जब देव नए थे तब उन्हें महिला केंद्रित फिल्मों में हीरोइनों के लव इंटरेस्ट का रोल मिलता था. ऐसी ही एक तगड़ी एक्ट्रेस थीं सुरैया. जब देव को सुरैया के साथ काम करने का मौका मिला तो एकदम खुश हो गए. दोनों ने साथ में सात फिल्मों में काम किया और सभी हिट रहीं. फिल्म के क्रेडिट में सुरैया का नाम पहले अाता क्योंकि वो बड़ी स्टार थीं. यही बात देव आनंद को अब खल रही थी. शुरुआत में उन्हें बहुत बुरा नहीं लगा लेकिन अगले पांच साल तक उनके साथ यही होता रहा. फिर देव को बुरा लगना बंद हो गया क्योंकि दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था. ये बात सामने आई एक कांड के बाद.

देव आनंद और सुरैया के बीच प्यार की खबरें सेट पर हुए एक हादसे के बाद पब्लिक में आई थीं.
#4. नाव से कूदकर हीरोइन की जान बचाई और फिर शादी का प्रस्ताव दे दिया
हुआ यूं कि देव आनंद और सुरैया फिल्म 'विद्या' के एक गाने 'किनारे किनारे चले जाएंगे हम' की शूटिंग कर रहे थे. इस गाने को नदी में नाव के ऊपर फिल्माया जा रहा था. शूटिंग के दौरान नाव नदी में पलट गई और सुरैया नदी में डूबने लगीं. देव ने आव देखा न ताव और वो भी नदी में कूद गए. उन्होंने सुरैया को वहां से निकाला और बाहर आते ही प्रोपोज़ कर दिया. सुरैया भी मान गईं. बताया जाता है कि देव आनंद ने सुरैया को उस ज़माने में 3,000 रुपए की अंगूठी देकर प्रोपोज़ किया था. इन दोनों की मोहब्बत सेट पर मौजूद एक्टर्स के थ्रू एक दूसरे को लेटर्स भेज-भेज कर परवान चढ़ रही थी.
यहां देखिये वो गाना:
मोहब्बत उफान पर थी और तभी सुरैया के घरवालों ने सारा मामला ख़राब कर दिया. फिल्मों की तरह दोनों की लाइफ में परिवार वाले विलेन बन गए. सुरैया मुस्लिम परिवार से थीं जबकि देव तो 'देव' थे. सुरैया की नानी इस रिश्ते के बिलकुल खिलाफ थीं. पहले जब भी देव सुरैया के घर जाते थे, तब उनकी खासी आव-भगत होती थी लेकिन जैसे ही नानी को उनके इस रिश्ते के बारे में खबर लगी, उन्होंने देव का अपने घर आना बंद कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने सुरैया को देव के साथ फिल्मों में काम करने से भी रोक दिया. 'दो सितारे' इन दोनों सितारों की एक साथ आखिरी फिल्म थी. इसके बाद सुरैया ने जिंदगी भर शादी नहीं की तो वहीं देव आनंद ने फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' की शूटिंग के दौरान अपनी को-एक्टर रहीं कल्पना कार्तिक से शादी कर ली.

कहा जाता है कि देव आनंद ने सुरैया को सेट पर ही अंगूठी देकर प्रोपोज़ किया था.
#5. इमरजेंसी के खिलाफ मोर्चा खोला था
देव आनंद सिर्फ फिल्मों में ही नहीं राजनीति में भी खासी दिलचस्पी रखते थे. इसी का एक नमूना दिखा 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल के दौरान. यूं तो पूरे देश में इसका विरोध हो रहा था लेकिन देव आनंद ने भी अपने समर्थकों को साथ लेकर एक रैली निकाली और इस इमरजेंसी का विरोध किया. उन्होंने 1977 के आम चुनाओं में भी इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रचार और प्रदर्शन किया था. बाद में देव ने अपनी भी एक पार्टी बना ली जिसका नाम था 'भारतीय राष्ट्रीय पार्टी' ( National Party of India), लेकिन बाद में वो पार्टी ख़त्म हो गई.

आपातकाल के दौरान पूरे भारत में इंदिरा के खिलाफ गुस्से और असंतोष का माहौल था. देव ने भी इंदिरा के खिलाफ रैली निकाली थी.
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