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अमेरिका में भारत और वेस्ट इंडीज़ का मैच बीते जमाने में खींच लेगा

80s-90s वालों तैयार हो जाओ. ये तुम्हें नॉस्टैलजिक करने वाला है. क्रिकेट को ग्लोबल गेम बनाने का जुगाड़ भी है.

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27 अगस्त 2016 (Updated: 27 अगस्त 2016, 09:31 AM IST) कॉमेंट्स
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अमेरिका में भारत और वेस्ट इंडीज़न्यूट्रल वेन्यू पर क्रिकेट खेलें इसका आपके बचपन से क्या लेना देना है ? लेना-देना है भिया. आज आपको वे दिन याद कराने का मौका है जब सौरव गांगुली टोरंटो में अकेले दम पाकिस्तान से सीरिज़ जीत लाए थे और सचिन ने शारजाह के स्टडियम में धूल भरी आंधियों के बीच अपनी 2 महानतम पारियां खेली थीं. ये सब न्यूट्रल वेन्यू पर हुआ था मित्रों ! आजकल के बच्चों को न्यूट्रल वेन्यू पर क्रिकेट कम ही देखने को मिलता है लेकिन मोहन-जोदड़ो के बाद के बच्चे यानी 80-90 के दशक की संतानों ने न्यूट्रल वेन्यू पर बहुत क्रिकेट देखा है.

'दोस्ती कप' वाले पुराने दिन

न्यूट्रल-वेन्यू-क्रिकेट-कथा की शुरूआत भारत-पाकिस्तान से. कनाडा में भारत-पाकिस्तान के लोग अच्छी खासी संख्या में रहते हैं. उन्हीं को ध्यान में रखकर सहारा दोस्ती कप होता था. 1996 से लेकर 1998 तक 5-5 मैचों की 3 सीरीज़ हुई और 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ने पर सहारा कप बंद हो गया. saurav इन्हीं सहारा कपों में 1997 का सहारा कप था जिसमें सौरव गांगुली ने 5 मैचों की सीरिज़ में सबसे ज्यादा 222 रन बनाए थे और 15 विकेट लिए थे. सौरव 4 मैचों में मैन-ऑफ-द-मैच रहे थे और उस समय हम लोगों ने तो सौरव को दुनिया का श्रेष्ठ ऑलराउंडर मान लिया था.

न्यूट्रल वेन्यू बादशाह, शारजाह

लेकिन न्यूट्रल वेन्यू पर सबसे ज्यादा मैच शारजाह में हुए हैं. आपको तो याद ही होगा उन दिनों बातें उड़ा करती थीं कि शारजाह के सारे मैच बदमाश दाउद करवाता है. लेकिन हमारी दिलचस्पी तो खेल में रहती थी और वहीं हमने देखी थी सचिन की शायद 2 सबसे महान पारियां –ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करो या मरो मैच में 143 रन और फिर फाइनल में 134 रन. साल था 1998 और मैच के दौरान धूल भरी आंधियां आती थीं. थोड़ा सा और पीछे जाएं तो 1998 में सिंगापुर में सिंगर कप भी हुआ था. श्रीलंका की टीम नई-नई विश्व कप जीत के आई थी और भारत के कप्तान होते थे मोहम्मद अज़हरूद्दीन. इस सीरिज़ में भारत ने श्रीलंका और पाकिस्तान से 2 मैच खेले थे और दोनों में ही हार गया था. 1998 में ही भारत की 2 क्रिकेट टीमें एक साथ खेली थीं. हुआ ये था कि उस साल क्वालालम्पुर कॉमनवेल्थ खेलों में क्रिकेट को शामिल किया गया था. एक तरफ भारत की टीम कनाडा में पाकिस्तान से सहारा कप खेल रही थी और दूसरी तरफ एक टीम क्वालालाम्पुर में खेल रही थी. सहारा कप की टीम के कप्तान थे अज़हरूद्दीन और उप-कप्तान सचिन और कॉमनवेल्थ टीम की कमान अजय जडेजा और अनिल कुंबले के पास थी. कॉमनवेल्थ खेलों में हुए क्रिकेट मैचों को अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि लिस्ट ए का दर्ज़ा मिला था.

इनको बोलिए थैंक्यू

शारजाह और आबूधाबी जैसे न्यूट्रल वेन्यू पर क्रिकेट करवाने का श्रेय यूएई के कारोबारी अब्दुल रहमान बुखातिर को दिया जाता है. 2002 में इन्होंने टेन स्पोर्ट्स चैनल शुरू ही किया था और अपने चैनल के लिए एक त्रिकोणीय श्रृंखला मोरक्को में भी करवा डाली, वो भी ऐसी-वैसी टीमों के बीच नहीं बल्कि श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के बीच. और अब टी-20 का ज़माना. साल 2008 में कनाडा में पाकिस्तान, श्रीलंका, जिम्बावे और कनाडा के बीच एक टी-20 श्रृंखला हुई थी. तो कुल मिलाकर न्यूट्रल वेन्यूज पर क्रिकेट का ये इतिहास रहा है. यूएई में पाकिस्तान वाले लगातार क्रिकेट खेलते हैं क्योंकि सुरक्षा कारणों से कोई भी पाकिस्तान में खेलने को तैयार नहीं है. वो इसे अपने होम ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करते हैं, इसलिए हमने उन मैचों को न्यूट्रल वेन्यू पर हुए मैचों में नहीं गिना है.

क्या करें कि दुनिया क्रिकेट हो जाए

अमेरिका में 38 लाख भारतीय और अच्छी खासी संख्या में पाकिस्तान-श्रीलंका-बांग्लादेश के लोग रहते हैं जो क्रिकेट बड़े चाव से देखते हैं, उन्हीं को ध्यान में रखकर फ्लोरिडा में भारत-वेस्टइंडीज़ की टी20 सीरिज करवाई जा रही है. साथ ही अमेरिका, क्रिकेट से कुछ हद तक मिलते जुलते बेसबॉल का दीवाना देश है, शायद उनको क्रिकेट भी समझ आने लगे और एक बार अमेरिका को कुछ समझ आ जाए तो वो उसे ग्लोबल बनवा डालते हैं. इस तरह की श्रृंखलाओं के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि वहां के लोग और यहां के लोग कुछ समय बाद इन्हें भूला देते हैं. छिट-पुट श्रृंखलाओं और मैचों के अलावा क्रिकेट 10-12 देशों में ही सिमटा रहा है. वहीं फुटबॉल टीमों का बाकायदा न्यूट्रल वेन्यूज का कैलेंडर रहता है जो वे सीज़न के आखिर में खेलती हैं. अगर क्रिकेट को ग्लोबल बनना है तो न्यूट्रल वेन्यूज़ पर नियमित मैच कराने होंगे, सहारा कप जैसी श्रृंखलाओं को फिर आना होगा. और शायद फिर भारत सिर्फ 10-12 देशों में खेले जाने वाले क्रिकेट का दीवाना देश नहीं कहलाएगा, सारी दुनिया में खेले जाने वाले खेल का दीवाना देश कहलाएगा.
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