खुश रहना है तो योगी-राज में टमाटर खाइए, लाल और मुलायम
इंडिया सबसे खुश देशों की लिस्ट में नीचे फिर गया है. वजहें साफ़ हैं.

एशियाई महाद्वीप में भारत सबसे कम खुश देश है. यूएन हैपीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में हम चौथे पायदान से नीचे खिसक कर 122 वें नंबर पर आ गए हैं. और जब तक आप यह खबर पढ़ रहे हैं, शायद हम एक पायदान और खिसक गए हैं, क्योंकि यह खबर हमें दुखी कर रही है. इस इंडेक्स के अनुसार, बांग्लादेश, नेपाल, चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका सभी हम से बेहतर हैं. हद तो यह है कि इराक भी ज्यादा खुश है.
लंका वाले तो समुद्र किनारे रहने वाले हैं, उनका खुश होना लाज़िमी है. चीन के पास तो आप दुखी हैं, ऐसा सोचने की भी आजादी नहीं है. नेपाल के पास पहाड़ है और पहाड़ आपको खुश और शांत बनाता है. बांग्लादेशी बस इसलिए खुश हैं कि वो पाकिस्तानी नहीं हैं. पाकिस्तान इसलिए खुश है कि वो अफगानिस्तान नहीं है. अब तक तो नहीं.पर इराक हमें हमारी प्राथमिकताओं को फिर से सोचने पर मजबूर करता है. ये बात तो पक्की है कि सुइसाइड बम, आईएसआईएस और 14 सौ साल से चली आ रही शिया-सुन्नी की लड़ाई उन्हें हमसे ज्यादा खुश नहीं बना सकती. ये हो सकता है कि बस जिंदा बचे रहना इराकियों को धरती पर सबसे खुश प्राणी बनाता हैं. पर जिंदा रहना खुशी की बात तो है ही न ?
तो हमें क्या दिक्कत है ? कैसे हम जो कर्मा और धर्मा प्रोडक्शन पर भरोसा करने वाले, इतने दुखी हो गए कि म्यांमार और इथोपिया भी हमसे ज्यादा खुश हैं. मुझे शक है कि इसका कारण हमारे खाने की आदतें हैं. और इसलिए हम इसी लायक हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार योगी आदित्यनाथ उबले हुए चने, पपीता, सेब और दो चम्मच दलिया के बाद छाछ पीते हैं. कभी-कभी वह दो केले और खूब सारा पानी पीते हैं. मुझे एक दिन ऐसा खाना खिला दो और मैं एक महीने दुखी रहूंगा. आप ऐसी खबरें अखबार में लिखें तो, आप हजारों लोगों को उनके खाने के कारण दुखी करेंगे. दलिया खा रहें और चम्मच पूरा है कि आधा है, इतना डीटेल में जाने की जरूरत ही क्या है.
जब वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं, तब किसी ने यह नहीं बताया कि वो रात को क्या खाती हैं. हम अबतक नहीं जानते की राहुल गांधी हर रोज कितनी इडली छोड़ देते हैं. हम समझते हैं कि क्यों अखबार वाले अरविंद केजरीवाल के रात के खाने के बारे में नहीं बताते. पर देवेंद्र फडणवीस के बारे में क्यों नहीं बता रहे ? अब तक अरुण जेटली के दोपहर के खाने और नितिन गडकरी के समोसे के बारे में बताने में इतना रहस्य क्यों है?
क्या यह इसलिए है कि योगी आदित्यनाथ देसी हैं? आदमी, जिसकी गोद में बंदर है और कुंडल कानों के शंख के पार जाता है. हां वो अपने रे-बैन वाले चश्मे में अनोखे जरूर दिखते हैं, मगर उनका भगवा कपड़ा उन्हें रौबदार दिखाता है. आखिकार वो इंसान ही हैं, योगी हो या नहीं. वो वही खाते हैं जो हम सब खाते हैं. वो एक पंथ के नेता हैं और मांस नहीं खाते. पर ऐसे शाकाहारी जो कि हरी सब्जियां नहीं खाते, वो कब से देसी बन गए ?
आजकल एक ट्रेंड है खुद को शाकाहारी साबित करने का. पर इसके सबूत के लिए 'एवोकाडो', 'ब्रोकली' और न जाने कितने तरीके के जड़ और पत्तियां न हो तो शाकाहारी भी फर्जी ही लगता है. उबले हए चने, पपीते और दलिया तो इस कैटेगरी में आते ही नहीं. लोकल साग 'भाग मिलखा भाग' ज्यादा और 'रन लोला रन' कम लगते हैं.
जब एक भोला टीवी रिपोर्टर 2015 में बुंदेलखंड गया, तो पत्तियों और जड़ से बनी सब्जी खाने वालों को ऐसे गरीब साबित कर दिए जो कि घास खाने के लिए मजबूर हैं. बुंदेलखंड में लोगों द्वारा घास खाने की बात तो नहीं जानता पर मैं ये बता सकता हूं कि जो घास ये रिपोर्टर फूंक के जाते हैं वो अच्छी होती है.
हमें बताया गया है कि योगी आदित्यनाथ 4 घंटे ही सोते हैं. चार घंटे सोना बुरा नहीं है पर यह खूबी भी नहीं है. उनके पास साथ रहने के लिए एक कुत्ता है, और बाकी के लिए एक बंदर. मुस्लिम महाराज से प्यार करते हैं. अस्पताल मुस्लिम और हिंदू में फर्क नहीं करते हैं. मुस्लिम अपने कमरे को साफ रखते हैं. पिछले दो दिनों में हमें बता दिया गया है कि वो मुस्लिमों को इंसान समझते हैं. आदित्यनाथ भी इंसान हैं. खैर इस बात पर सवाल किसने उठाया ?
कुछ लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनमें कोई बुरी आदत नहीं है. और इसलिए वो हम सब से बेहतर हैं. वो मांस नहीं खाते, शराब नहीं पीते और न ही तंबाकू लेते हैं. ये चीजें आपके लिए बुरी हैं. खासकर खाना, जो आप खाते हैं वो आखिर आपको खा जाता है. पर इस छोटी सी जानकारी को मीडिया बताता नहीं. अखबार यह बताते रहते हैं कि मां के दूध में भी पेस्टिसाइड है. बाबा रामदेव हानिकारक केमिकलों के बारे में बोलते ही रहते हैं. चीनी आपके लिए बुरी है, बैठे रहना अब सिगरेट पीने के बराबर है. लंबे समय तक खड़ा रहना आपके खून को जमा देगा.
चॉकलेट आपके लिए बुरी है, वाइन आपके दिल को अच्छा रखती है पर लिवर जरूर सड़ा देती है. लाल मांस नहीं खाइए और मुर्गियों को तो बर्ड फ्लू है. मछलियों में ओमेगा-3 है पर उसमें जो मरक्युरी है, वो इस फायदे को भी मंदा कर देता है. मुस्लिम सुअर नहीं खा सकते और हिंदू बीफ. हर कोई टमाटर खा सकता है. लाल और मुलायम. ताजा और पल्प के साथ. काट के देखिए तो इतना भद्दा दिखता है जैसे उसमें एलियन मर गया हो. हम वो ही बन जाते हैं जो खाते हैं टमाटर.
ये आर्टिकल वेबसाइट डेली ओ के लिए लोहा सिंह ने लिखा है. हम इसे वेबसाइट की इज़ाज़त के बाद हिंदी में प्रस्तुत कर रहे हैं.
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